Development in School Education and Equal Educational Opportunity

Table of Contents

स्कूल शिक्षा में विकास और समान शैक्षिक अवसर

🟡 4.1. विकलांग बच्चों की शिक्षा के विकास में मील के पत्थर (Landmarks in Development of Education of Children with Disabilities)

🌿 4.1.1 भूमिका

भारत में समावेशी शिक्षा की जड़ें बहुत पुरानी हैं। शिक्षा की दिशा और स्वरूप समाज के बदलते दृष्टिकोण के साथ बदले हैं। पहले विकलांग बच्चों को मुख्यधारा से बाहर रखा जाता था, लेकिन अब Divyang Jan को समान अधिकार देने की दिशा में कई ऐतिहासिक कदम उठे हैं।


🏥 4.1.2 Surgeon Report — विकलांगता की अवधारणा

  • ब्रिटिश शासन के समय “Surgeon Report” (19वीं सदी) में पहली बार विकलांगता को “एक सामाजिक मुद्दे” के रूप में देखा गया।
  • इसमें सुझाव दिया गया कि विकलांग व्यक्तियों को अलग करने की बजाय उन्हें समाज में शामिल किया जाए।
  • यह रिपोर्ट आगे चलकर भारत में समावेशी शिक्षा की बुनियाद बनी।

📌 मुख्य विचार: विकलांगता कोई “अलग” पहचान नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे का हिस्सा है।


📜 4.1.3 Charter Act 1823 में विकलांगता

  • 1823 के Charter Act में शिक्षा का प्रावधान पहली बार विधायी रूप से आया।
  • यद्यपि इस समय शिक्षा का दायरा सीमित था, फिर भी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा पर कुछ प्रारंभिक विचार सामने आए।
  • मिशनरियों द्वारा दृष्टिबाधित और श्रवणबाधित बच्चों के लिए विशेष विद्यालयों की स्थापना इसी काल में शुरू हुई।

📌 उदाहरण: 1887 में बंबई में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए विशेष स्कूल।


🧏 4.1.4 CABE Report 1923 — श्रवण बाधित बच्चों की शिक्षा

  • Central Advisory Board of Education (CABE) की रिपोर्ट में श्रवण बाधित बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा (Sign Language) को शिक्षा में शामिल करने की सिफारिश की गई।
  • इससे पहली बार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा को मुख्यधारा के पाठ्यक्रम से जोड़ा गया।

📌 मुख्य उद्देश्य: सुनने में अक्षम बच्चों को “आवाज़” देना, ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें।


🇮🇳 4.1.5 भारतीय दृष्टिकोण — “दिव्यांग जन”

  • भारत में समय के साथ शब्दावली भी बदली — “Handicapped” से “Differently Abled” और अब “Divyang Jan”
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में “Divyang” शब्द का प्रयोग शुरू किया ताकि समाज में सम्मान और समानता की भावना बढ़े।
  • अब विकलांगता को कमज़ोरी नहीं बल्कि विशेषता माना जाता है।

📌 महत्वपूर्ण कदम: RPwD Act 2016, Inclusive Education Policies, RTE Act 2009।


🟡 4.2. शिक्षा का अधिकार और सार्वभौमिक पहुँच (Right to Education and Universal Access)

🌿 4.2.1 भूमिका

“हर बच्चा स्कूल जाएगा” — यह केवल एक नारा नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकार है। भारत में Right to Education Act 2009 ने शिक्षा को अधिकार बना दिया। लेकिन केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं, उसे लागू करना भी ज़रूरी है।


🏫 4.2.2 Universal Enrolment (सार्वभौमिक नामांकन)

  • हर बच्चे को स्कूल में नामांकित करना सरकार की ज़िम्मेदारी।
  • इसमें कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक और विकलांग बच्चे प्राथमिक लक्ष्य हैं।
  • विशेष अभियान चलाए गए — जैसे “School Chale Hum”।

📌 लक्ष्य: कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे।


🧑‍🏫 4.2.3 Universal Retention (सार्वभौमिक स्थायित्व)

  • सिर्फ़ नामांकन नहीं, बच्चे को स्कूल में टिके रहना भी ज़रूरी है।
  • Mid Day Meal, छात्रवृत्ति, फ्री यूनिफॉर्म जैसी योजनाएँ इसी उद्देश्य से शुरू हुईं।
  • शिक्षकों की संवेदनशील भूमिका यहाँ अहम है।

📖 4.2.4 Universal Learning (सार्वभौमिक अधिगम)

  • हर बच्चे को केवल स्कूल जाना ही नहीं, बल्कि सीखना भी चाहिए।
  • गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण सामग्री, शिक्षक प्रशिक्षण और समावेशी वातावरण की आवश्यकता।
  • NEP 2020 ने foundational learning पर विशेष ज़ोर दिया है।

🟡 4.3. गुणवत्ता और समानता से जुड़े मुद्दे (Issues of Quality and Equity)

🌿 4.3.1 भूमिका

केवल स्कूल खोल देना पर्याप्त नहीं है। गुणवत्ता और समानता दोनों शिक्षा के मूल स्तंभ हैं। अगर इन पर ध्यान न दिया जाए तो समावेशी शिक्षा अधूरी रह जाती है।


🏫 4.3.2 भौतिक असमानता (Physical Inequalities)

  • ग्रामीण और शहरी स्कूलों में बड़ा अंतर।
  • कई स्कूलों में रैंप, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं।
  • विकलांग बच्चों के लिए पहुंच एक बड़ी समस्या।

📌 समाधान: Barrier-free infrastructure.


💰 4.3.3 आर्थिक असमानता (Economic Inequalities)

  • गरीब परिवारों के बच्चे स्कूल जल्दी छोड़ देते हैं।
  • कई बार बाल श्रम या पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण पढ़ाई छूट जाती है।
  • छात्रवृत्ति और RTE Act जैसी योजनाएँ इस कमी को पूरा करने का प्रयास करती हैं।

🧘 4.3.4 सामाजिक और सांस्कृतिक असमानता (Social & Cultural Inequalities)

  • जाति, धर्म, लिंग, विकलांगता जैसे कारणों से भेदभाव।
  • अल्पसंख्यक समूहों को स्कूल में अक्सर हाशिए पर रखा जाता है।
  • शिक्षा में “समान अवसर” की गारंटी ज़रूरी है।

🗣️ 4.3.5 भाषा से जुड़ी असमानता (Linguistic Inequalities)

  • भारत में 22 से अधिक मान्यता प्राप्त भाषाएँ और सैकड़ों बोलियाँ।
  • कई बच्चों को स्कूल की भाषा समझ नहीं आती।
  • बहुभाषिक शिक्षण से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

📌 NEP 2020 में Mother Tongue पर जोर इसी कारण है।


🟡 4.4. समानता का अर्थ और संवैधानिक प्रावधान (Meaning of Equality and Constitutional Provisions)

🌿 4.4.1 समानता और समता (Equity vs Equality)

  • Equality = सभी को समान अवसर देना।
  • Equity = सभी को उनकी ज़रूरत के अनुसार संसाधन देना।

📌 उदाहरण: दृष्टिबाधित छात्र को ब्रेल पुस्तक देना equity है।


⚖️ 4.4.2 असमानता के रूप

  1. सामाजिक असमानता (जाति, धर्म, लिंग)
  2. आर्थिक असमानता
  3. सांस्कृतिक और भाषाई असमानता
  4. शिक्षा व्यवस्था में असमानता — सरकारी व निजी स्कूलों के बीच।

🏫 4.4.3 ग्रामीण-शहरी और पब्लिक-प्राइवेट स्कूल असमानता

  • ग्रामीण स्कूलों में संसाधनों की कमी।
  • निजी स्कूलों में तकनीकी सुविधाएँ, लेकिन सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे की कमी।
  • इससे शैक्षणिक स्तर पर बड़ा अंतर बन जाता है।

🧑‍🏫 4.4.4 सिंगल टीचर स्कूल और डिस्टेंस एजुकेशन की समस्या

  • कई गाँवों में एक ही शिक्षक से पूरी स्कूल चलती है।
  • Open & Distance Education सिस्टम में निगरानी और गुणवत्ता की कमी।

📌 समाधान: अधिक शिक्षक भर्ती, डिजिटल संसाधन, और सरकारी निगरानी में सुधार।


🟡 4.5. शैक्षणिक कार्यक्रम और योजनाएँ (Programmes and Schemes)

🌿 4.5.1 IEDC Programme (1974, 1983)

Integrated Education of Disabled Children (IEDC)

  • विकलांग बच्चों को सामान्य स्कूलों में पढ़ाने के लिए यह भारत की पहली बड़ी योजना थी।
  • इसमें सहायक साधन, विशेष शिक्षक और सहायक सेवाएँ शामिल की गईं।

📌 उद्देश्य: समावेशी शिक्षा की नींव रखना।


📚 4.5.2 SSA — Sarva Shiksha Abhiyan (2000, 2011)

  • “Education for All” का मिशन।
  • हर बच्चे तक प्राथमिक शिक्षा पहुँचाना।
  • विकलांग बच्चों के लिए विशेष फंडिंग और संसाधन।

📌 मुख्य घटक: Free Textbooks, Mid-Day Meal, स्कूल अधोसंरचना।


🏫 4.5.3 RMSA — Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan (2009)

  • माध्यमिक शिक्षा तक समान अवसर।
  • स्कूलों में ICT (Information and Communication Technology) को बढ़ावा।
  • विकलांग बच्चों के लिए संसाधन उपलब्ध कराना।

♿ 4.5.4 IEDSS — Inclusive Education of the Disabled at Secondary Stage (2009)

  • माध्यमिक स्तर पर विकलांग बच्चों को मुख्यधारा में शामिल करना।
  • RCI द्वारा विशेष शिक्षक प्रशिक्षण।
  • रैंप, लिफ्ट, सहायक उपकरणों की अनिवार्यता।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में समान शैक्षिक अवसर और समावेशी शिक्षा की दिशा में कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं — Surgeon Report से लेकर NEP 2020 तक।
👉 इन सभी प्रयासों का लक्ष्य एक ही है:
“हर बच्चे को समान, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा”।

समावेशी शिक्षा केवल नीतियाँ नहीं — यह एक मानव अधिकार है।

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