Human Learning and Intelligence

Table of Contents

मानव अधिगम और बुद्धिमत्ता

🌿 भूमिका (Introduction)

हर बच्चा जन्म से ही सीखने की क्षमता लेकर आता है। कोई भी शिशु जब पहली बार माँ का चेहरा पहचानता है, वह अधिगम (learning) है। जब कोई बच्चा गिरकर उठना सीखता है, चलना सीखता है — वह भी अधिगम है।
👉 यही सीखने की प्रक्रिया जीवनभर चलती रहती है।

शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं होता बल्कि इस सीखने की प्रक्रिया को समझना, पहचानना और दिशा देना होता है — खासकर जब कक्षा में विभिन्न क्षमताओं और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे हों।

इसलिए “Human Learning and Intelligence” शिक्षण-प्रशिक्षण की नींव है। इसमें यह समझना ज़रूरी है कि लोग कैसे सीखते हैं, क्यों सीखते हैं और कैसे सिखाया जाए


🟡 1.1 मानव अधिगम: अर्थ, परिभाषा और अवधारणा (Human Learning: Meaning, Definition & Concept Formation)

📖 1.1.1 परिभाषा

  • Crow & Crow: “Learning is the acquisition of habits, knowledge and attitudes.”
    “सीखना आदतों, ज्ञान और दृष्टिकोण को अर्जित करने की प्रक्रिया है।”
  • Kimble: “Learning is a relatively permanent change in behavior as a result of experience or training.”
    “सीखना अनुभव या प्रशिक्षण के कारण व्यवहार में होने वाला स्थायी परिवर्तन है।”
  • Skinner: “Learning is a process of progressive behaviour adaptation.”
    “सीखना व्यवहार में क्रमिक परिवर्तन की प्रक्रिया है।”

🧠 1.1.2 अधिगम की विशेषताएँ (Characteristics of Learning)

  1. अनुभव पर आधारित — सीखना जन्मजात नहीं होता, यह अनुभव से होता है।
    📌 उदाहरण: बच्चा आग को छूकर गर्मी को सीखता है।
  2. व्यवहार में परिवर्तन — सीखने से व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है।
  3. स्थायी परिवर्तन — सीखना अस्थायी नहीं होता; अभ्यास से यह पक्का हो जाता है।
  4. लक्ष्य उन्मुख (Goal Oriented) — हर सीखने का एक उद्देश्य होता है।
  5. सामाजिक प्रक्रिया — सीखना समाज और परिवेश से गहराई से जुड़ा है।
  6. व्यक्तिगत भिन्नता — हर बच्चा अलग गति और शैली से सीखता है।
  7. सीखना निरंतर प्रक्रिया है — जन्म से मृत्यु तक सीखना चलता रहता है।

🧒 1.1.3 अधिगम की प्रक्रिया (Process of Learning)

सीखना एक क्रमिक प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  1. प्रेरणा (Motivation) — सीखने की इच्छा का उत्पन्न होना।
  2. ध्यान (Attention) — सीखने वाली वस्तु या घटना पर फोकस।
  3. अधिगम क्रिया (Learning Act) — वास्तविक सीखने की क्रिया।
  4. सुदृढ़ीकरण (Reinforcement) — अभ्यास और दोहराव से सीख पक्का होना।
  5. सामान्यीकरण (Generalization) — सीखी बातों को नई स्थितियों में लागू करना।

📌 उदाहरण: बच्चा एक बार में साइकल नहीं सीखता। वह देखता है, कोशिश करता है, गिरता है, फिर दोहराता है — और अंत में उसे चलाना सीख जाता है।


🌱 1.1.4 शिक्षा में अधिगम का महत्व (Importance of Understanding Learning)

  • शिक्षक छात्रों की सीखने की शैली को पहचान कर उपयुक्त विधि चुन सकता है।
  • विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए व्यक्तिगत अधिगम योजनाएँ बनाना आसान होता है।
  • प्रेरणा और सुदृढ़ीकरण से बच्चों में रुचि बढ़ती है।
  • यह Inclusive Education की बुनियाद है।

🟡 1.2 अधिगम के सिद्धांत (Learning Theories)

अधिगम को गहराई से समझने के लिए तीन प्रमुख दृष्टिकोण माने जाते हैं:

  1. व्यवहारवाद (Behaviourism)
  2. संज्ञानवाद (Cognitivism)
  3. सामाजिक निर्माणवाद (Social Constructivism)

🧪 1.2.1 व्यवहारवाद (Behaviourism)

👉 मुख्य विचारक: Pavlov, Thorndike, Skinner

🧠 सिद्धांत

सीखना उद्दीपक (Stimulus) और प्रतिक्रिया (Response) के बीच संबंध का परिणाम है।
बच्चे बार-बार की गई क्रिया से आदत और व्यवहार सीखते हैं।


📌 Pavlov – Classical Conditioning

🐶📚 Pavlov का शर्तबद्ध अधिगम प्रयोग —

बहुत समय पहले की बात है… एक वैज्ञानिक थे जिनका नाम था इवान पावलॉव (Ivan Pavlov)
वे बहुत ही जिज्ञासु और ध्यान देने वाले व्यक्ति थे। उन्हें जानवरों के व्यवहार को समझने में खास रुचि थी।

पावलॉव के पास एक पालतू कुत्ता था। वह रोज़ाना उसे खाना खिलाते थे। उन्होंने देखा कि जैसे ही कुत्ते को खाना दिया जाता है, उसके मुँह से लार टपकने लगती है — क्योंकि कुत्ता खाने को देखकर उत्साहित हो जाता था।

अब पावलॉव के मन में एक सवाल आया —

“क्या ऐसा हो सकता है कि बिना खाना दिए भी कुत्ते के मुँह से लार टपकने लगे?”

इस सवाल का जवाब खोजने के लिए उन्होंने एक बहुत ही दिलचस्प प्रयोग किया 👇


🔔 चरण 1: घंटी और खाना

हर दिन जब वे कुत्ते को खाना देते, उससे पहले एक घंटी बजाते
घंटी की आवाज़ सुनकर फिर कुत्ते को खाना मिलता — और वह खुशी से लार टपकाता।

यह कई दिनों तक चलता रहा। घंटी की आवाज़ → खाना → लार।


🔔🍖 चरण 2: केवल घंटी बजाना

कुछ दिनों बाद उन्होंने कुछ अलग किया —
उन्होंने घंटी तो बजाई, लेकिन खाना नहीं दिया

जैसे ही घंटी बजी…
👉 कुत्ते के मुँह से लार टपकने लगी — बिना खाना देखे ही


🧠 चरण 3: शर्तबद्ध प्रतिक्रिया

अब कुत्ता घंटी की आवाज़ को खाने से जोड़ चुका था
वह सोचता था — “घंटी = खाना आ रहा है।”
इसलिए घंटी बजते ही उसके शरीर ने वैसी ही प्रतिक्रिया दी जैसे खाना देखकर देता था।

यही था पावलॉव का प्रसिद्ध प्रयोग — Classical Conditioning (शास्त्रीय शर्तबद्ध अधिगम)


🧑‍🏫 📚 कक्षा में इसका शैक्षिक उपयोग (Classroom Application)

अब कल्पना कीजिए कि आप एक शिक्षक हैं…
हर दिन जब कक्षा शुरू होती है, आप एक छोटी सी धुन बजाते हैं। कुछ दिनों बाद बच्चे जैसे ही वह धुन सुनते हैं —
👉 वे स्वतः अपनी जगह पर बैठने लगते हैं, ध्यान से बोर्ड की तरफ देखने लगते हैं।

✅ यहाँ “धुन” या “सिग्नल” वही काम कर रहा है जो घंटी ने Pavlov के प्रयोग में किया।

📌 सीखने की बात:

  • बार-बार दोहराए गए संकेत और गतिविधि से बच्चों में सकारात्मक आदतें विकसित की जा सकती हैं।
  • यह विधि Classroom Management में बहुत उपयोगी है।
  • इससे बच्चों का ध्यान और व्यवहार दोनों में सुधार होता है।

📌 Thorndike – Trial and Error Learning

  • बिल्ली भोजन पाने के लिए बार-बार प्रयास करती है और रास्ता सीख जाती है।
  • “Law of Effect” — सफल प्रतिक्रियाएँ दोहराई जाती हैं।

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • बच्चे गलतियाँ कर सीखते हैं, इसलिए अभ्यास के अवसर देना चाहिए।

📌 Skinner – Operant Conditioning

  • Positive Reinforcement से सही व्यवहार को सुदृढ़ किया जा सकता है।
  • Negative Reinforcement से अनुचित व्यवहार को घटाया जा सकता है।

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • अच्छा प्रदर्शन → पुरस्कार या प्रशंसा।
  • अनुशासनहीनता पर वैकल्पिक गतिविधि।

🧠 1.2.2 संज्ञानवाद (Cognitivism)

👉 मुख्य विचारक: Piaget, Bruner

🧠 सिद्धांत

सीखना सोचने और समझने की मानसिक प्रक्रिया है। मस्तिष्क सक्रिय रूप से जानकारी को संगठित करता है।


📌 Piaget – Cognitive Development

  • सीखना उम्र के अनुसार विकसित होता है:
    1. Sensory Motor (0–2)
    2. Pre-Operational (2–7)
    3. Concrete Operational (7–11)
    4. Formal Operational (11+)
  • प्रत्येक स्तर पर सोचने की जटिलता बढ़ती है।

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • शिक्षण आयु और समझदारी के स्तर के अनुसार होना चाहिए।

📌 Bruner – Discovery Learning

  • छात्र खोज और अनुभव के माध्यम से सीखते हैं।
  • शिक्षक सिर्फ Facilitator होता है।

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • प्रोजेक्ट, गतिविधि आधारित शिक्षण।

🧑‍🤝‍🧑 1.2.3 सामाजिक निर्माणवाद (Social Constructivism)

👉 मुख्य विचारक: Vygotsky, Bandura

🧠 सिद्धांत

सीखना समाज में, लोगों से बातचीत के माध्यम से होता है। शिक्षक और साथी सीखने में सहयोगी होते हैं।


📌 Vygotsky – ZPD & Scaffolding

  • ZPD (Zone of Proximal Development): उचित सहारा मिलने पर बच्चा अपनी क्षमता बढ़ा सकता है।
  • Scaffolding: शिक्षक धीरे-धीरे सहारा हटाता है।

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • समूह गतिविधियाँ, Peer Learning, Role Play।

📌 Bandura – Observational Learning

  • सीखना देखकर भी होता है। (Modeling)
    📚 कक्षा में प्रयोग:
  • अच्छा व्यवहार दिखाने वाले बच्चों को मॉडल बनाना।

🟡 1.3 बुद्धिमत्ता (Intelligence)

📖 1.3.1 परिभाषा

  • “बुद्धिमत्ता वह मानसिक क्षमता है जो व्यक्ति को नई परिस्थितियों में अनुकूलन करने, समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।” — Wechsler

🧠 1.3.2 बुद्धिमत्ता के प्रकार (Theories)

📌 Spearman’s Two-Factor Theory

  • g (General Intelligence) + s (Specific Abilities)
  • हर व्यक्ति में सामान्य और विशेष बुद्धिमत्ता होती है।

📌 Thurstone’s Multi-Factor Theory

  • बुद्धिमत्ता कई क्षमताओं का समूह है — स्मृति, तर्क, भाषा, संख्यात्मक क्षमता।

📌 Sternberg’s Triarchic Theory

  1. Analytical (विश्लेषणात्मक)
  2. Creative (रचनात्मक)
  3. Practical (व्यावहारिक)

📚 कक्षा में प्रयोग:

  • रचनात्मकता और व्यवहारिक कौशल को भी महत्व देना।

🟡 1.4 रचनात्मकता (Creativity)

📖 1.4.1 परिभाषा

“रचनात्मकता वह मानसिक प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति नई और उपयोगी चीज़ें या विचार उत्पन्न करता है।”
👉 Creativity = Originality + Fluency + Flexibility + Elaboration


🌿 1.4.2 रचनात्मकता की विशेषताएँ

  • नई सोच और समाधान।
  • मौलिकता।
  • समस्या सुलझाने की क्षमता।
  • कल्पनाशक्ति का उपयोग।
  • स्वतंत्र सोच।

📚 कक्षा में उपयोग

  • खुले प्रश्न पूछना।
  • आर्ट, मॉडल मेकिंग, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षा।
  • आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देना।

🟡 1.5 Inclusive & Special Classroom में निहितार्थ (Implications)

Inclusive classrooms में सभी बच्चे अलग-अलग क्षमताओं और गति से सीखते हैं। इसलिए:

  1. Teaching Differentiation — एक ही अवधारणा को विभिन्न तरीकों से सिखाना।
  2. Multi-sensory learning — देखना, सुनना, करना — सभी इंद्रियों का उपयोग।
  3. Individualized Education Plan (IEP) — विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए।
  4. Peer Learning & Group Work — सहपाठी मदद से सीखना।
  5. Flexible Curriculum — ताकि हर बच्चा अपनी गति से सीख सके।
  6. Assistive Technology — Braille, Sign Language, AAC Tools आदि।

📌 उदाहरण:

  • दृष्टिबाधित बच्चे के लिए tactile chart।
  • श्रवण बाधित बच्चे के लिए visuals और captions।
  • ADHD बच्चे के लिए hands-on activity।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

👉 सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है — यह अनुभव, सोच, व्यवहार और समाज से गहराई से जुड़ा हुआ है।
👉 अधिगम सिद्धांत और बुद्धिमत्ता को समझकर शिक्षक बेहतर शिक्षण कर सकता है।
👉 समावेशी कक्षा में हर बच्चे को अवसर देना ही एक सच्चे शिक्षक की पहचान है।


📚 महत्वपूर्ण परीक्षा प्रश्न (Important Questions)

  1. Human Learning की परिभाषा और विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  2. Behaviourism, Cognitivism और Constructivism सिद्धांतों की व्याख्या कीजिए।
  3. Intelligence के सिद्धांतों पर चर्चा कीजिए।
  4. Creativity की विशेषताओं को समझाइए।
  5. Inclusive Classroom में अधिगम सिद्धांतों के निहितार्थ बताइए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page