Understanding Disability

📘 विकलांगता की व्यापक समझ

🔎 Historical Perspectives of Disability – National and International & Models of Disability (ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और विकलांगता के मॉडल)

विकलांगता का इतिहास मानवता के इतिहास जितना ही पुराना है। समाज ने विकलांगता को कैसे देखा, यह समय, संस्कृति, धर्म और विज्ञान के विकास के साथ बदलता रहा है। इस ऐतिहासिक यात्रा को हम विभिन्न युगों (Eras) के माध्यम से विस्तार से समझ सकते हैं।

A. International Historical Perspective (अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य)

1. The Era of Extermination and Survival (विनाश और उत्तरजीविता का युग – प्राचीन काल)

प्राचीन काल में जीवन बहुत कठिन था। अस्तित्व (Survival) ही मुख्य लक्ष्य था।

  • Pre-historic Times (प्रागैतिहासिक काल): आदिमानव समूहों में रहते थे। जो सदस्य शिकार करने या समूह की सुरक्षा में योगदान नहीं दे सकते थे, उन्हें समूह के लिए बोझ माना जाता था। अक्सर विकलांग बच्चों को पीछे छोड़ दिया जाता था या मार दिया जाता था।
  • Ancient Greece & Rome (प्राचीन ग्रीस और रोम):
    • Sparta (स्पार्टा): स्पार्टा एक सैन्य समाज था। यहाँ शारीरिक पूर्णता (Physical Perfection) को पूजा जाता था। नवजात शिशुओं का निरीक्षण बुजुर्गों की एक परिषद द्वारा किया जाता था। यदि बच्चा कमजोर या विकलांग पाया जाता था, तो उसे Mount Taygetus से नीचे फेंक दिया जाता था। इसे Eugenics (सुजनन विज्ञान) का प्रारंभिक रूप माना जा सकता है।
    • Aristotle & Plato (अरस्तु और प्लेटो): महान दार्शनिकों ने भी विकलांगता के प्रति कठोर विचार रखे। अरस्तु ने कहा था, “Let there be a law that no deformed child shall live.” (कानून होना चाहिए कि कोई भी विकृत बच्चा जीवित न रहे)।
    • Rome: रोम में विकलांग बच्चों को कभी-कभी मनोरंजन के लिए या भिखारियों के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जीवित रखा जाता था, लेकिन उन्हें नागरिक अधिकार नहीं थे।

2. The Era of Superstition and Ridicule (अंधविश्वास और उपहास का युग – मध्य युग)

मध्य युग (Middle Ages) में धर्म का प्रभाव बढ़ा, लेकिन वैज्ञानिक समझ की कमी थी।

  • Demonology (दानव विद्या): मिर्गी (Epilepsy) या मानसिक बीमारी (Mental Illness) वाले लोगों को अक्सर “बुरी आत्माओं के साये” (Possessed by demons) में माना जाता था। उन्हें ठीक करने के लिए क्रूर तरीके अपनाए जाते थे, जैसे Trephination (सिर में छेद करना ताकि बुरी आत्मा बाहर निकल सके)।
  • Court Jesters (दरबारी विदूषक): शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों (जैसे बौनेपन से प्रभावित लोग या कूबड़ वाले लोग) को राजाओं और रानियों के मनोरंजन के लिए ‘विदूषक’ या ‘मूर्ख’ (Fools) के रूप में रखा जाता था। उन्हें “Freaks” (अजीब) माना जाता था।
  • Witchcraft (जादू-टोना): कभी-कभी विकलांगता को भगवान का दंड या चुड़ैलों का श्राप माना जाता था।

3. The Era of Asylum and Segregation (आश्रय और अलगाव का युग – 18वीं-19वीं सदी)

पुनर्जागरण (Renaissance) और औद्योगिक क्रांति के साथ दृष्टिकोण में बदलाव आया। इसे “दया” का युग भी कहा जा सकता है, लेकिन यह अलगाव (Segregation) पर आधारित था।

  • Institutionalization (संस्थागतकरण): समाज ने माना कि विकलांग लोग अपनी देखभाल खुद नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें “सुरक्षा” की जरूरत है। बड़े-बड़े पागलखाने (Asylums) और संस्थान बनाए गए।
  • Custodial Care (हिरासत में देखभाल): इन संस्थानों का उद्देश्य शिक्षा या पुनर्वास नहीं था, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से दूर रखना और बस जीवित रखना था। स्थितियाँ अक्सर अमानवीय होती थीं, जहाँ सैकड़ों लोग एक साथ जंजीरों में या गंदगी में रहते थे।

4. The Era of Education and Awakening (शिक्षा और जागृति का युग)

  • Pedro Ponce de León (1500s): स्पेन में बधिर बच्चों को पढ़ाने वाले पहले व्यक्ति।
  • Louis Braille (1829): इन्होंने नेत्रहीनों के लिए स्पर्शीय लिपि (Braille) का आविष्कार किया, जिसने शिक्षा के द्वार खोल दिए।
  • Itard and Victor (The Wild Boy of Aveyron): जीन-मार्क इटार्ड ने एक जंगली बच्चे (Victor) को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया। इसे विशेष शिक्षा (Special Education) की शुरुआत माना जाता है। उन्होंने साबित किया कि गहन प्रशिक्षण से व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है।

5. The Modern Era of Inclusion and Rights (समावेशन और अधिकारों का आधुनिक युग)

  • World Wars (विश्व युद्ध): प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लाखों सैनिक विकलांग होकर लौटे। समाज उन्हें “बोझ” या “शापित” नहीं कह सकता था क्योंकि वे “नायक” (Heroes) थे। इससे पुनर्वास विज्ञान (Rehabilitation Science) का तेजी से विकास हुआ।
  • Civil Rights Movement (नागरिक अधिकार आंदोलन): 1960 के दशक में अमेरिका में अश्वेतों के अधिकारों की मांग के साथ-साथ विकलांग लोगों ने भी समानता की मांग शुरू की।
  • Normalization Principle (सामान्यीकरण का सिद्धांत): वुल्फ वोल्फेंसबर्गर (Wolf Wolfensberger) ने कहा कि विकलांग लोगों को भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार है।
  • UNCRPD (2006): संयुक्त राष्ट्र ने विकलांगता को मानवाधिकार का मुद्दा घोषित किया।

B. National Historical Perspective (भारतीय ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य)

भारत में विकलांगता का इतिहास बहुत जटिल है और इसमें परस्पर विरोधी दृष्टिकोण (Contradictory Views) देखने को मिलते हैं।

1. Ancient India (प्राचीन भारत) – धर्म और कर्म का प्रभाव

  • Karma Theory (कर्म का सिद्धांत): अधिकांश प्राचीन भारतीय ग्रंथों में विकलांगता को पिछले जन्मों के बुरे कर्मों (Past life sins) का फल माना गया। इसने समाज में सहानुभूति के बजाय एक प्रकार की उदासीनता पैदा की।
  • Mythology (पौराणिकता):
    • धृतराष्ट्र (महाभारत): जन्म से नेत्रहीन थे। उन्हें राजा बनने से रोका गया (पांडु को राजा बनाया गया), जो दर्शाता है कि विकलांगता को नेतृत्व के लिए अयोग्य माना जाता था।
    • मंथरा (रामायण) और शकुनि (महाभारत): इन्हें शारीरिक रूप से विकृत (Deformed) और मानसिक रूप से कुटिल (Evil) दिखाया गया। इसने एक स्टीरियोटाइप बनाया कि “शारीरिक कुरूपता मन की कुरूपता का संकेत है”।
    • अष्टावक्र (Ashtavakra): दूसरी ओर, ऋषि अष्टावक्र, जिनके शरीर में आठ जगह टेढ़ापन था, उन्हें उनके अपार ज्ञान के लिए पूजा गया। यह दर्शाता है कि ज्ञान शारीरिक बाधाओं से ऊपर है।

2. Medieval India (मध्यकालीन भारत)

मुगल काल और अन्य शासकों के दौरान, विकलांगों के प्रति “दान” (Charity) और “खैरात” का दृष्टिकोण प्रमुख था। शासक गरीबों और विकलांगों को भोजन और आश्रय देना अपना धार्मिक कर्तव्य मानते थे। लेकिन कोई व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली नहीं थी।

3. Colonial Era (औपनिवेशिक काल/ब्रिटिश राज)

अंग्रेजों ने भारत में पश्चिमी शैली की संस्थागत देखभाल की शुरुआत की।

  • First Blind School (1887): एनी शार्प (Annie Sharp) ने अमृतसर में नेत्रहीनों के लिए भारत का पहला स्कूल खोला।
  • First Deaf School (1893): बंबई (अब मुंबई) में बधिरों के लिए पहला स्कूल खुला।
  • यह “विशेष स्कूलों” (Special Schools) की शुरुआत थी, जहाँ विकलांग बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग पढ़ाया जाता था।

4. Post-Independence India (स्वतंत्रता के बाद का भारत)

  • 1947-1980: सरकार का ध्यान गरीबी हटाओ और सामान्य स्वास्थ्य पर था। विकलांगता मुख्य रूप से NGOs (स्वयंसेवी संस्थाओं) की जिम्मेदारी थी।
  • 1981 (International Year of Disabled Persons): इसने भारत में जागरूकता की लहर पैदा की।
  • 1995 (PWD Act): भारत का पहला व्यापक कानून जो विकलांगों को समान अवसर और अधिकारों की बात करता था।
  • 2016 (RPWD Act): वर्तमान का सबसे सशक्त कानून जो अधिकार-आधारित मॉडल पर केंद्रित है।
  • NEP 2020: नई शिक्षा नीति जो पूर्ण समावेशन (Full Inclusion) की वकालत करती है।

C. Models of Disability (विकलांगता के मॉडल)

विकलांगता को समझने का तरीका (Lens) ही मॉडल कहलाता है। यह तय करता है कि समाज विकलांग व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करेगा।

1. The Charity Model (दान मॉडल)

  • मुख्य विचार: विकलांग व्यक्ति “पीड़ित” (Victim) या “असहाय” (Helpless) है।
  • दृष्टिकोण: “हमें इनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि हम सक्षम हैं और ये अक्षम हैं।”
  • विशेषता: यह मॉडल विकलांग व्यक्ति को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता (Passive Recipient) मानता है। यह उनके आत्म-सम्मान को कम करता है।
  • उदाहरण: विशेष स्कूलों को “आश्रम” कहना, विकलांगों को केवल त्योहारों पर खाना या कपड़े बांटना।

2. The Medical Model (चिकित्सा मॉडल)

  • मुख्य विचार: विकलांगता एक “बीमारी” (Disease) या “शारीरिक त्रुटी” (Defect) है जिसे ठीक किया जाना चाहिए।
  • समस्या का स्थान: व्यक्ति के शरीर के अंदर। (The problem is the person).
  • समाधान: सर्जरी, दवाएं, थेरेपी, प्रोस्थेटिक्स।
  • आलोचना: यह मॉडल व्यक्ति को केवल एक “रोगी” के रूप में देखता है। यह मानता है कि अगर व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता, तो वह समाज में फिट नहीं हो सकता। यह शिक्षा या सामाजिक बदलाव पर ध्यान नहीं देता।

3. The Social Model (सामाजिक मॉडल)

  • उत्पत्ति: 1970 के दशक में विकलांग कार्यकर्ताओं द्वारा विकसित।
  • मुख्य विचार: विकलांगता व्यक्ति के शरीर में नहीं, बल्कि समाज के ढांचे में है।
  • समीकरण:Impairment + Barrier = Disability
    • (शारीरिक कमी + बाधा = विकलांगता)
  • उदाहरण: एक व्हीलचेयर उपयोगकर्ता इसलिए विकलांग नहीं है क्योंकि वह चल नहीं सकता, बल्कि इसलिए विकलांग है क्योंकि इमारत में सीढ़ियाँ हैं और रैंप नहीं है।
  • समाधान: बाधाओं (Barriers) को हटाना – चाहे वे भौतिक हों (Ramps), संचार संबंधी हों (Sign Language), या दृष्टिकोण संबंधी हों (Attitude)।

4. The Rights-Based Model (अधिकार-आधारित मॉडल)

  • मुख्य विचार: विकलांगता एक मानवाधिकार मुद्दा है।
  • दृष्टिकोण: विकलांग व्यक्ति को सेवाओं के लिए “भीख” मांगने की जरूरत नहीं है, यह उनका “अधिकार” है।
  • सशक्तिकरण: यह मॉडल “समानता” (Equality) और “गैर-भेदभाव” (Non-discrimination) पर जोर देता है। राज्य (सरकार) की जिम्मेदारी है कि वह इन अधिकारों को सुनिश्चित करे।
  • कानूनी आधार: RPWD Act 2016 और UNCRPD इसी मॉडल पर आधारित हैं।

5. The Functional Model (कार्यात्मक मॉडल)

  • मुख्य विचार: यह इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति क्या कार्य कर सकता है और क्या नहीं।
  • उपयोग: इसका उपयोग अक्सर रोजगार या व्यावसायिक चिकित्सा (Occupational Therapy) में किया जाता है ताकि यह तय किया जा सके कि व्यक्ति को किस प्रकार की अनुकूलन (Adaptation) की आवश्यकता है।

📖 Concept, Meaning and Definition – Handicap, Impairment, Disability, Activity Limitation, Habilitation and Rehabilitation

शब्दावली (Terminology) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गलत शब्द गलत दृष्टिकोण पैदा करते हैं।

A. The Old Framework: ICIDH (1980 by WHO)

WHO ने 1980 में तीन शब्दों में स्पष्ट अंतर किया था। इसे एक रेखीय प्रगति (Linear Progression) के रूप में देखा जाता था: Disease -> Impairment -> Disability -> Handicap

1. Impairment (क्षति/विकार) – Organ Level

  • परिभाषा: मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या संरचनात्मक स्तर पर कोई भी हानि या असामान्यता।
  • सरल शब्दों में: यह शरीर के किसी अंग की खराबी है।
  • उदाहरण:
    • कान के पर्दे का फट जाना।
    • आंख की रेटिना का खराब होना।
    • पैर का कट जाना (Amputation)।
    • मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगना।

2. Disability (अक्षमता/विकलांगता) – Person Level

  • परिभाषा: क्षति (Impairment) के परिणामस्वरूप, किसी गतिविधि को उस तरीके से या उस सीमा के भीतर करने की क्षमता में कमी, जिसे मानव के लिए सामान्य माना जाता है।
  • सरल शब्दों में: अंग की खराबी के कारण व्यक्ति क्या नहीं कर पा रहा है।
  • उदाहरण:
    • कान के पर्दे फटने के कारण सुनने में असमर्थता
    • पैर कटने के कारण चलने में असमर्थता

3. Handicap (बाधा/असुविधा) – Social Level

  • परिभाषा: यह एक नुकसान है जो क्षति या अक्षमता के कारण होता है, जो व्यक्ति को उसकी आयु, लिंग और सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों के आधार पर सामान्य भूमिका निभाने से रोकता है।
  • सरल शब्दों में: समाज की बाधाओं के कारण अवसर का नुकसान।
  • उदाहरण:
    • चलने में असमर्थता के कारण नौकरी न मिल पाना क्योंकि ऑफिस सीढ़ियों के ऊपर है।
    • सुनने में असमर्थता के कारण दोस्तों से बात न कर पाना क्योंकि उन्हें साइन लैंग्वेज नहीं आती।

B. The New Framework: ICF (2001 by WHO)

WHO ने महसूस किया कि पुराने शब्द बहुत नकारात्मक थे। इसलिए 2001 में ICF (International Classification of Functioning, Disability and Health) लाया गया। यह Bio-Psycho-Social Model है।

ICF ने शब्दों को बदल दिया:

  1. Impairment (क्षति): (Body Functions and Structures) – यह शब्द समान है।
  2. Activity Limitation (गतिविधि सीमा): जिसे पहले ‘Disability’ कहा जाता था।
    • यह किसी कार्य को करने में आने वाली कठिनाई है।
    • उदाहरण: बोतल का ढक्कन खोलने में कठिनाई, पढ़ने में कठिनाई।
  3. Participation Restriction (भागीदारी प्रतिबंध): जिसे पहले ‘Handicap’ कहा जाता था।
    • यह जीवन की स्थितियों में शामिल होने में आने वाली समस्या है।
    • उदाहरण: स्कूल जाने में असमर्थता, चुनाव में वोट न डाल पाना, शादी न हो पाना।

C. Habilitation vs Rehabilitation (हैबिलिटेशन बनाम पुनर्वास)

ये दो शब्द अक्सर एक साथ उपयोग किए जाते हैं, लेकिन इनमें तकनीकी अंतर है।

1. Habilitation (नवनिर्माण/हैबिलिटेशन)

  • अर्थ: उन कौशलों को सीखना जो व्यक्ति के पास कभी नहीं थे। यह आमतौर पर उन बच्चों के लिए होता है जो जन्मजात (Congenital) विकलांगता के साथ पैदा हुए हैं।
  • उद्देश्य: नए कौशल सिखाना।
  • उदाहरण:
    • एक जन्मजात बधिर बच्चे को पहली बार बोलना या साइन लैंग्वेज सिखाना।
    • ऑटिज्म वाले बच्चे को सामाजिक कौशल सिखाना जो उसने कभी नहीं सीखे।
    • बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चे को कपड़े पहनना सिखाना।

2. Rehabilitation (पुनर्वास)

  • अर्थ: उन कौशलों को पुनः प्राप्त करना (Regain) जो व्यक्ति के पास पहले थे लेकिन बीमारी या चोट के कारण खो गए हैं। ‘Re’ का अर्थ है ‘पुनः’।
  • उद्देश्य: खोए हुए कौशल को वापस लाना या अनुकूलित करना।
  • उदाहरण:
    • सड़क दुर्घटना में याददाश्त खोने वाले व्यक्ति को फिर से याद करना सिखाना।
    • स्ट्रोक (Stroke) के बाद लकवाग्रस्त व्यक्ति को फिर से चलना सिखाना।
    • पैर कटने के बाद कृत्रिम पैर (Prosthetic) के साथ चलना सिखाना।

⚖️ Definition, Categories (Benchmark Disabilities) & Legal Provisions for PWDs in India (RPWD Act 2016)

The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 (RPWD Act) भारत के विकलांगता इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसने 1995 के PWD Act की जगह ली।

A. Definition of Disability under the Act

अधिनियम विकलांगता को एक “विकसित होती हुई अवधारणा” (Evolving Concept) मानता है।

  • Person with Disability (PWD): वह व्यक्ति जिसे दीर्घकालिक (Long term) शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी क्षति है, जो बाधाओं के साथ मिलकर समाज में उसकी पूर्ण भागीदारी को रोकती है।
  • Person with Benchmark Disability: वह व्यक्ति जिसमें प्रमाणित प्राधिकारी (Medical Authority) द्वारा प्रमाणित कम से कम 40% निर्दिष्ट विकलांगता हो।
    • महत्व: केवल बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति ही सरकारी योजनाओं, आरक्षण और भत्ते के हकदार हैं।
  • Person with Disability having High Support Needs: वह व्यक्ति जिसे दैनिक जीवन की गतिविधियों के लिए गहन सहायता (Intensive Support) की आवश्यकता होती है (जैसे 24×7 देखभाल)।

B. Categories of Disabilities (21 श्रेणियां)

अधिनियम ने विकलांगताओं की सूची को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया। इन्हें व्यापक समूहों में समझा जा सकता है:

1. Physical Disability (शारीरिक विकलांगता)

A. Locomotor Disability (चलन निशक्तता):

  1. Leprosy Cured Person: कुष्ठ रोग से ठीक हो चुके व्यक्ति, लेकिन जिनके हाथ-पैरों में संवेदना की कमी या विकृति रह गई है।
  2. Cerebral Palsy (CP): मस्तिष्क क्षति के कारण मांसपेशियों के समन्वय में समस्या।
  3. Dwarfism (बौनापन): वयस्क होने पर ऊंचाई 4 फीट 10 इंच (147 सेमी) या उससे कम होना।
  4. Muscular Dystrophy: मांसपेशियों का आनुवंशिक क्षय।
  5. Acid Attack Victims: तेजाब हमले के कारण विरूपण या अंगभंग।

B. Visual Impairment (दृष्टि दोष): 6. Blindness: दृष्टि का पूर्ण अभाव या दृष्टि तीक्ष्णता 3/60 से कम। 7. Low Vision: सुधार के बाद भी दृष्टि समस्या, लेकिन सहायक उपकरणों से कार्य संभव।

C. Hearing Impairment (श्रवण दोष): 8. Deaf: दोनों कानों में 70 dB या अधिक की हानि। 9. Hard of Hearing: 60 dB से 70 dB की हानि।

D. Speech and Language Disability: 10. बोलने या भाषा को समझने में स्थायी विकलांगता (जैसे लरेंजेक्टोमी या वाचाघात)।

2. Intellectual Disability (बौद्धिक विकलांगता)

  1. Intellectual Disability (ID): सीमित बौद्धिक कार्यक्षमता और अनुकूली व्यवहार (IQ < 70)।
  2. Specific Learning Disability (SLD): पढ़ने, लिखने या गणित में कठिनाई (Dyslexia, Dysgraphia, etc.)।
  3. Autism Spectrum Disorder (ASD): सामाजिक संपर्क और संचार में कठिनाई।

3. Mental Behaviour (मानसिक व्यवहार)

  1. Mental Illness: सोच, मूड, धारणा और स्मृति का विकार (जैसे सिज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर)। यह ‘मानसिक मंदता’ से अलग है।

4. Disability caused due to Chronic Neurological Conditions (जीर्ण तंत्रिका संबंधी स्थितियां)

  1. Multiple Sclerosis: तंत्रिका तंत्र (Nervous system) की सुरक्षात्मक परत का नष्ट होना।
  2. Parkinson’s Disease: हाथ-पैरों में कंपन और जकड़न।

5. Blood Disorders (रक्त विकार)

  1. Haemophilia: रक्त का थक्का न जमना (Bleeding disorder)।
  2. Thalassemia: हीमोग्लोबिन की कमी, बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता।
  3. Sickle Cell Disease: लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बिगड़ना (Anaemia and Pain)।

6. Multiple Disabilities (बहु-विकलांगता)

  1. Multiple Disabilities: उपर्युक्त में से दो या अधिक विकलांगताएं (जैसे Deaf-Blindness)।
  2. Any other category: केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा किसी अन्य श्रेणी को जोड़ सकती है।

C. Legal Provisions and Rights (कानूनी प्रावधान और अधिकार)

RPWD Act 2016 केवल परिभाषाओं के बारे में नहीं है, यह अधिकारों के बारे में है:

  1. Equality and Non-discrimination: विकलांग व्यक्तियों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है। कोई भी उनके साथ भेदभाव नहीं कर सकता।
  2. Education (शिक्षा):
    • 6 से 18 वर्ष तक के प्रत्येक विकलांग बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है।
    • सभी शिक्षण संस्थानों को समावेशी (Inclusive) होना चाहिए।
  3. Reservation (आरक्षण):
    • सरकारी नौकरियों में आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है।
    • उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए 5% आरक्षण।
  4. Accessibility (सुगमता):
    • सार्वजनिक भवनों, परिवहन और वेबसाइटों को विकलांगों के लिए सुगम बनाना अनिवार्य है (सुगम्य भारत अभियान)।
  5. Guardianship (संरक्षकता):
    • मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए ‘सीमित अभिभावकत्व’ (Limited Guardianship) का प्रावधान, जहाँ निर्णय लेने में सहायता दी जाती है, न कि उनके बदले निर्णय लिया जाता है।
  6. Penalties (दंड):
    • विकलांग व्यक्तियों के अपमान, शोषण या अधिनियम के उल्लंघन के लिए 6 महीने से 2 साल तक की जेल और 10,000 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना।
  7. Special Courts: त्वरित न्याय के लिए हर जिले में विशेष अदालतें।

🧬Causes, Prevention, Prevalence & Demographic Profile (कारण, रोकथाम, व्यापकता और जनसांख्यिकी)

A. Causes of Disability (विकलांगता के कारण)

विकलांगता के कारणों को तीन प्रमुख चरणों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. Prenatal Causes (गर्भावस्था के दौरान)

  • Genetic Factors (आनुवंशिक कारक): जीन या गुणसूत्रों में असामान्यता।
    • Down Syndrome: 21वें गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति (Trisomy 21)।
    • Fragile X Syndrome: आनुवंशिक बौद्धिक अक्षमता का सबसे आम कारण।
  • Maternal Health (माँ का स्वास्थ्य):
    • Infections (TORCH Complex): Toxoplasmosis, Rubella (खसरा), Cytomegalovirus, Herpes। यदि गर्भावस्था की पहली तिमाही में माँ को रूबेला हो जाए, तो बच्चे को अंधापन या बहरापन हो सकता है।
    • Malnutrition: आयोडीन की कमी से बच्चे का मानसिक विकास रुक सकता है (Cretinism)।
    • Substance Abuse: गर्भावस्था में शराब (Fetal Alcohol Syndrome) या तंबाकू का सेवन।
  • Blood Incompatibility: Rh फैक्टर असंगतता (Rh Incompatibility) के कारण बच्चे के मस्तिष्क को नुकसान (Kernicterus) हो सकता है।

2. Natal/Perinatal Causes (जन्म के समय)

  • Hypoxia/Anoxia (ऑक्सीजन की कमी): प्रसव के दौरान गर्भनाल (Umbilical cord) के दबने या देर से रोने (Delayed birth cry) के कारण मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिलती। यह Cerebral Palsy का सबसे बड़ा कारण है।
  • Prematurity & Low Birth Weight (LBW): समय से पहले जन्म (37 सप्ताह से कम) या जन्म के समय वजन 2.5 किलो से कम होना। ऐसे बच्चों के फेफड़े और मस्तिष्क अविकसित हो सकते हैं।
  • Birth Trauma: प्रसव के दौरान औजारों (Forceps) के गलत इस्तेमाल से सिर में चोट।

3. Postnatal Causes (जन्म के बाद)

  • Infections:
    • Meningitis/Encephalitis: दिमागी बुखार जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है।
    • Japanese Encephalitis: मच्छरों से फैलने वाला संक्रमण।
  • Accidents/Trauma: सिर की चोट (Traumatic Brain Injury), रीढ़ की हड्डी की चोट।
  • Environmental Toxins: सीसा (Lead) विषाक्तता (पेंट्स या खिलौनों से), कीटनाशक।
  • Malnutrition: बचपन में प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण (PEM) से शारीरिक और मानसिक विकास का रुकना।

B. Prevention of Disability (विकलांगता की रोकथाम)

रोकथाम तीन स्तरों पर की जाती है:

1. Primary Prevention (प्राथमिक रोकथाम)

उद्देश्य: विकलांगता को होने से रोकना

  • टीकाकरण (Immunization): पोलियो, खसरा, रूबेला के टीके लगवाना।
  • पोषण: गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड और आयोडीन युक्त नमक देना (ताकि Spina Bifida और ID को रोका जा सके)।
  • आनुवंशिक परामर्श (Genetic Counseling): अगर परिवार में विकलांगता का इतिहास है, तो विवाह या गर्भधारण से पहले डॉक्टर से सलाह लेना।
  • विवाह की उम्र: कम उम्र में गर्भधारण से बचना।

2. Secondary Prevention (द्वितीयक रोकथाम)

उद्देश्य: समस्या का जल्दी पता लगाना और उसे गंभीर होने से रोकना।

  • Newborn Screening: जन्म के तुरंत बाद बच्चे की सुनने की क्षमता और चयापचय विकारों (Metabolic disorders) की जांच।
  • Early Intervention: विकासात्मक देरी का पता चलते ही फिजियोथेरेपी या स्पीच थेरेपी शुरू करना।

3. Tertiary Prevention (तृतीयक रोकथाम)

उद्देश्य: विकलांगता के प्रभाव को कम करना और कार्यक्षमता बढ़ाना।

  • पुनर्वास (Rehabilitation): सहायक उपकरण (बैसाखी, हियरिंग एड) प्रदान करना।
  • समावेशी शिक्षा: बच्चे को समाज का हिस्सा बनाना।

C. Prevalence & Demographic Profile (व्यापकता और जनसांख्यिकी)

आंकड़े हमें समस्या के पैमाने को समझने में मदद करते हैं।

Global Scenario (WHO World Report on Disability 2011)

  • 15% नियम: विश्व की लगभग 15% आबादी (1 अरब से अधिक लोग) किसी न किसी रूप में विकलांगता के साथ जी रही है।
  • बढ़ती संख्या: उम्र बढ़ने वाली आबादी और पुरानी बीमारियों (डायबिटीज, हृदय रोग) के कारण विकलांगता बढ़ रही है।
  • गरीबी और विकलांगता: विकलांगता और गरीबी का गहरा संबंध है। गरीब देशों में विकलांगता की दर अधिक है।

National Scenario (India – Census 2011)

(नोट: 2011 की जनगणना के आंकड़े सबसे आधिकारिक माने जाते हैं, हालांकि अब वे पुराने हैं। नए सर्वेक्षणों में संख्या अधिक है)

  • कुल जनसंख्या: भारत की जनसंख्या का 2.21% (लगभग 2.68 करोड़ लोग) विकलांग है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंकड़ा कम करके आंका गया है (Under-reported) और वास्तविक संख्या 4-8% के बीच हो सकती है।
  • ग्रामीण बनाम शहरी: 69% विकलांग आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।
  • लिंगानुपात: पुरुषों में विकलांगता दर महिलाओं की तुलना में थोड़ी अधिक दर्ज की गई है।
  • साक्षरता: विकलांग आबादी की साक्षरता दर (55%) सामान्य आबादी (74%) से काफी कम है।
  • सबसे आम विकलांगता: 2011 की जनगणना के अनुसार, ‘चलन निशक्तता’ (Locomotor disability) सबसे अधिक प्रचलित थी।

🤝 Concept, Meaning and Importance of Cross Disability Approach and Interventions (क्रॉस डिसेबिलिटी दृष्टिकोण)

Concept (अवधारणा)

परंपरागत रूप से, विकलांगता क्षेत्र “Silo” (अलग-अलग डिब्बों) में काम करता था।

  • नेत्रहीनों के लिए अलग स्कूल और विशेषज्ञ।
  • बधिरों के लिए अलग।
  • मानसिक मंदता के लिए अलग।

Cross Disability Approach (समग्र/बहु-विकलांगता दृष्टिकोण) इस दीवार को तोड़ता है। यह मानता है कि यद्यपि हर विकलांगता अलग है, लेकिन बाधाएं (Barriers), अधिकार (Rights) और जरूरतें (Needs) समान हैं।

  • Holistic View: यह बच्चे को “नेत्रहीन” या “ऑटिस्टिक” के रूप में नहीं, बल्कि एक “बच्चे” के रूप में देखता है जिसकी विभिन्न जरूरतें हो सकती हैं।

Importance (महत्व)

1. Resource Optimization (संसाधनों का इष्टतम उपयोग)

भारत जैसे विकासशील देश में, हर गाँव में हर प्रकार की विकलांगता के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ (Therapist) रखना संभव नहीं है।

  • एक Cross-Disability trained Special Educator एक ही केंद्र पर हल्की और मध्यम विकलांगता वाले विभिन्न बच्चों को संभाल सकता है।
  • बुनियादी चिकित्सा (जैसे प्रारंभिक संवेदी प्रशिक्षण) सभी के लिए समान हो सकती है।

2. Addressing Multiple Disabilities (बहु-विकलांगता का समाधान)

आजकल कई बच्चे Multiple Disabilities के साथ पैदा हो रहे हैं (जैसे CP के साथ कम दृष्टि)।

  • पुराने मॉडल में, नेत्रहीन स्कूल उसे लेने से मना कर देगा क्योंकि उसे CP है, और CP सेंटर उसे मना कर देगा क्योंकि वह देख नहीं सकता।
  • Cross Disability Approach ऐसे बच्चों को स्वीकार करता है और उनकी सभी जरूरतों को एक जगह पूरा करता है।

3. Unified Advocacy (एकीकृत वकालत)

जब बधिर लोग केवल अपने लिए लड़ते हैं और नेत्रहीन केवल अपने लिए, तो आवाज कमजोर होती है।

  • Cross Disability Approach सभी विकलांग लोगों को एक मंच पर लाता है। “Disability Rights” की मांग एक साथ की जाती है। RPWD Act 2016 इसी एकता का परिणाम है।

4. Inclusive Education (समावेशी शिक्षा)

एक समावेशी स्कूल में सभी प्रकार के बच्चे आते हैं। वहां का शिक्षक यह नहीं कह सकता कि “मैं केवल ऑटिज्म जानता हूं, डाउन सिंड्रोम नहीं”। शिक्षक को सभी विकलांगताओं की बुनियादी समझ होनी चाहिए।

Interventions in Cross Disability (हस्तक्षेप)

  1. Universal Design for Learning (UDL): ऐसा पाठ्यक्रम बनाना जो नेत्रहीन, बधिर और धीमे सीखने वाले, सभी बच्चों के लिए सुलभ हो।
  2. Early Intervention Centers (DEIC): भारत सरकार के ‘District Early Intervention Centers’ क्रॉस डिसेबिलिटी का बेहतरीन उदाहरण हैं, जहाँ एक ही छत के नीचे मनोवैज्ञानिक, स्पीच थेरेपिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट साथ मिलकर काम करते हैं।


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