Human Resource in Disability Sector

📘 Unit 5: विकलांगता क्षेत्र में मानव संसाधन

👥 5.1 Human Resource Development (HRD) in Disability Sector

विकलांगता पुनर्वास (Rehabilitation) का आधारभूत ढांचा केवल “ईंट और पत्थर” से नहीं, बल्कि “प्रशिक्षित पेशेवरों” (Trained Professionals) से बनता है। भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ विकलांग जनसंख्या करोड़ों में है, मानव संसाधन विकास (HRD) एक महत्वपूर्ण चुनौती और प्राथमिकता है।

A. Current Status of HRD in India (भारत में HRD की वर्तमान स्थिति)

भारत में विकलांगता क्षेत्र में मानव संसाधन के विकास, मानकीकरण और निगरानी की जिम्मेदारी एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) के पास है।

1. The Apex Body: Rehabilitation Council of India (RCI)

Rehabilitation Council of India (RCI) की स्थापना 1986 में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में हुई थी, लेकिन इसे RCI Act, 1992 के तहत संसद द्वारा एक वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया (जिसे 2000 में संशोधित किया गया)।

RCI के मुख्य कार्य (Mandates):

  1. Standardization: विकलांगता पुनर्वास के क्षेत्र में सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों (Certificate, Diploma, B.Ed., M.Ed.) का मानकीकरण (Standardization) करना।
  2. Central Rehabilitation Register (CRR): सभी योग्य पेशेवरों और कर्मियों का एक केंद्रीय रजिस्टर बनाए रखना। केवल CRR नंबर वाले पेशेवर ही भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं।
  3. Recognition: विश्वविद्यालयों और संस्थानों को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने की मान्यता (Recognition) देना।
  4. Research: पुनर्वास और विशेष शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा देना।

Categories of Professionals: RCI ने 16 श्रेणियों के पेशेवरों को मान्यता दी है, जिनमें शामिल हैं:

  • Special Educators (विशेष शिक्षक)
  • Clinical Psychologists (नैदानिक मनोवैज्ञानिक)
  • Audiologists & Speech Therapists
  • Rehabilitation Social Workers
  • Hearing Aid Technicians
  • Vocational Counsellors

2. The Demand-Supply Gap (मांग और आपूर्ति का अंतर)

  • Statistics: जनगणना 2011 के अनुसार भारत में 2.68 करोड़ (2.21%) विकलांग लोग हैं। विश्व बैंक के अनुसार यह संख्या 4-8% हो सकती है।
  • Current Scenario: RCI के पास लगभग 1.5 – 2 लाख पंजीकृत पेशेवर हैं।
  • Ratio: आदर्श अनुपात 1:8 या 1:10 (शिक्षक:छात्र) होना चाहिए, लेकिन भारत में यह अनुपात बहुत कम है। लाखों और पेशेवरों की आवश्यकता है।

B. Needs and Issues in HRD (आवश्यकताएं और मुद्दे)

  1. Urban-Rural Disparity (शहरी-ग्रामीण असमानता):
    • 80% सेवाएं और पेशेवर शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जबकि 69% विकलांग आबादी गांवों में रहती है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए पेशेवरों को प्रोत्साहन (Incentives) की कमी है।
  2. Lack of Cross-Disability Training:
    • अधिकांश पाठ्यक्रम (जैसे B.Ed. HI या VI) केवल एक विकलांगता पर केंद्रित होते हैं। लेकिन समावेशी स्कूलों (Inclusive Schools) में शिक्षक को हर प्रकार के बच्चे को संभालना होता है।
    • Need: हमें ‘Multi-category’ या ‘Cross-disability’ प्रशिक्षित शिक्षकों की जरूरत है।
  3. Burnout and Attrition (थकान और नौकरी छोड़ना):
    • विशेष शिक्षा एक भावनात्मक रूप से थकाने वाला पेशा है। कम वेतन, काम का अधिक बोझ, और करियर में प्रगति (Promotion) के सीमित अवसरों के कारण लोग यह क्षेत्र छोड़ देते हैं।
  4. Quality of Training:
    • देश भर में सैकड़ों प्रशिक्षण संस्थान कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं। गुणवत्ता सुनिश्चित करना RCI के लिए एक चुनौती है। कई जगह केवल डिग्री बांटी जा रही है, कौशल नहीं।

C. Importance of Working within an Ethical Framework (नैतिक ढांचे का महत्व)

विशेष शिक्षा और पुनर्वास “दान” (Charity) नहीं है, यह एक “पेशेवर सेवा” (Professional Service) है। इसलिए, हर पेशेवर को एक सख्त नैतिक संहिता (Code of Ethics) का पालन करना चाहिए।

Key Ethical Principles (प्रमुख नैतिक सिद्धांत):

  1. Respect for Dignity & Human Rights:
    • बच्चे को कभी भी दया का पात्र न समझें। उसे “विकलांग बच्चा” कहने के बजाय “विकलांगता वाला बच्चा” (Child with Disability – Person First Language) कहें।
    • उसकी स्वायत्तता (Autonomy) का सम्मान करें।
  2. Confidentiality (गोपनीयता):
    • एक परिवार आपको अपने बच्चे की सबसे निजी जानकारी (मेडिकल हिस्ट्री, पारिवारिक समस्याएं) बताता है।
    • इस जानकारी को बिना अनुमति किसी तीसरे पक्ष (पड़ोसी, रिश्तेदार या अन्य शिक्षक) के साथ साझा करना अनैतिक और गैर-कानूनी है।
  3. Professional Competence (पेशेवर क्षमता):
    • “Do No Harm”: गलत थेरेपी या गलत शिक्षण विधि बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है।
    • एक पेशेवर को अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए। अगर आप स्पीच थेरेपिस्ट नहीं हैं, तो स्पीच थेरेपी देने की कोशिश न करें; रेफर करें।
    • Lifelong Learning: विज्ञान बदल रहा है। CRE (Continuing Rehabilitation Education) के माध्यम से खुद को अपडेट रखना नैतिक जिम्मेदारी है।
  4. Non-Discrimination (गैर-भेदभाव):
    • सेवाएं देते समय जाति, धर्म, लिंग, सामाजिक स्थिति या विकलांगता की गंभीरता के आधार पर भेदभाव न करें। एक गरीब बच्चे को भी वही गुणवत्ता मिलनी चाहिए जो अमीर बच्चे को मिलती है।

🌍 5.2 Role of International Bodies in Disability Rehabilitation

विकलांगता अब एक “राष्ट्रीय मुद्दा” नहीं, बल्कि एक “वैश्विक मानवाधिकार मुद्दा” है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की विभिन्न एजेंसियां और अंतर्राष्ट्रीय संगठन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

A. United Nations Children’s Fund (UNICEF)

Focus: बच्चे के अधिकार, अस्तित्व, विकास और सुरक्षा। Role in Disability:

  1. Inclusive Education: UNICEF दुनिया भर में सरकारों के साथ मिलकर शिक्षा नीतियों को समावेशी बनाने पर काम करता है। भारत में भी SSA (Sarva Shiksha Abhiyan) को तकनीकी सहायता UNICEF ने दी थी।
  2. Early Detection: यह आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को विकलांगता की शीघ्र पहचान के लिए प्रशिक्षित करता है।
  3. Child Protection: विकलांग बच्चों के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार का जोखिम सामान्य बच्चों से 4 गुना अधिक होता है। UNICEF बाल संरक्षण प्रणालियों को मजबूत करता है।
  4. Data Collection: विकलांग बच्चों के सटीक आंकड़े इकट्ठा करने में मदद करना।

B. United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO)

Focus: शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से शांति। Role in Disability:

  1. Salamanca Statement (1994): यह यूनेस्को का सबसे ऐतिहासिक योगदान है। स्पेन के सलामांका शहर में हुए इस सम्मेलन ने दुनिया को “Inclusive Education” (समावेशी शिक्षा) का मार्ग दिखाया। इसने कहा कि “विशेष जरूरत वाले बच्चों को सामान्य स्कूलों में प्रवेश का अधिकार है।”
  2. Education for All (EFA): यूनेस्को यह सुनिश्चित करता है कि EFA लक्ष्यों में विकलांग बच्चे पीछे न छूट जाएं।
  3. ICT in Education: विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए सहायक तकनीक (Assistive Technology) और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।

C. World Health Organization (WHO)

Focus: वैश्विक स्वास्थ्य और रोकथाम। Role in Disability:

  1. ICF Model (2001): WHO ने विकलांगता की परिभाषा को मेडिकल मॉडल से हटाकर Bio-Psycho-Social Model (ICF) पर स्थापित किया।
  2. Prevention: पोलियो उन्मूलन (Polio Eradication), खसरा टीकाकरण और कुपोषण निवारण कार्यक्रमों के माध्यम से विकलांगता की रोकथाम।
  3. Community Based Rehabilitation (CBR): WHO ने CBR की अवधारणा दी, जो संस्थागत देखभाल के बजाय सामुदायिक संसाधनों के उपयोग पर जोर देती है।
  4. World Report on Disability (2011): यह रिपोर्ट विकलांगता पर दुनिया का सबसे प्रामाणिक दस्तावेज है।

D. United Nations Development Programme (UNDP)

Focus: गरीबी उन्मूलन और विकास। Role in Disability:

  • विकलांगता और गरीबी एक दुष्चक्र (Vicious Cycle) है। गरीबी विकलांगता को जन्म देती है, और विकलांगता गरीबी को।
  • UNDP आजीविका (Livelihood), कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में विकलांग व्यक्तियों को शामिल करता है।

E. International Disability Alliance (IDA)

Focus: विकलांग व्यक्तियों की वैश्विक आवाज। Role:

  • यह UN एजेंसियों या सरकारों का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह NGOs और DPOs (Disabled People’s Organizations) का एक नेटवर्क है।
  • इसका मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि UN के हर निर्णय में विकलांग लोगों की राय ली जाए।
  • Motto: “Nothing About Us Without Us”.

Mindmap:

mindmap

📜 5.3 International Conventions and Policies

अंतर्राष्ट्रीय संधियां (Conventions) देशों को कानून बनाने के लिए बाध्य करती हैं या मार्गदर्शन देती हैं।

A. UNCRPD (United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities)

यह विकलांगता के इतिहास में Magna Carta (महाअधिकार पत्र) माना जाता है।

  • Adopted: 13 दिसंबर 2006 (UN General Assembly).
  • India Ratified: 1 अक्टूबर 2007.
  • Nature: यह कानूनी रूप से बाध्यकारी (Legally Binding) संधि है। भारत ने इसी के अनुपालन में RPWD Act 2016 बनाया।

Key Principles (मूल सिद्धांत – Article 3):

  1. Respect for inherent dignity: व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता का सम्मान।
  2. Non-discrimination: भेदभाव रहित व्यवहार।
  3. Full and effective participation: समाज में पूर्ण भागीदारी।
  4. Respect for difference: विकलांगता को मानव विविधता (Human Diversity) का हिस्सा मानना।
  5. Equality of opportunity: अवसर की समानता।
  6. Accessibility: सुगमता (भौतिक और सूचनात्मक)।
  7. Equality between men and women.
  8. Respect for evolving capacities of children.

Important Articles for Education:

  • Article 24 (Education): यह स्पष्ट रूप से कहता है कि देशों को एक समावेशी शिक्षा प्रणाली (Inclusive Education System) सुनिश्चित करनी होगी। विशेष स्कूल अपवाद होने चाहिए, नियम नहीं।

B. Millennium Development Goals (MDGs) – (2000-2015)

  • यह 8 लक्ष्यों का एक समूह था जिसे 2015 तक प्राप्त करना था (जैसे गरीबी हटाना, प्राथमिक शिक्षा)।
  • Critical Analysis: MDGs की सबसे बड़ी आलोचना यह थी कि इसमें विकलांगता का एक बार भी उल्लेख नहीं था। इस “भूल” (Omission) के कारण विकास कार्यक्रमों में विकलांग लोग बुरी तरह पिछड़ गए।

C. Sustainable Development Goals (SDGs) – (2015-2030)

MDGs की गलती को सुधारते हुए, SDGs का मूल मंत्र है: “Leave No One Behind” (किसी को पीछे न छोड़ें)। इसमें 17 लक्ष्य हैं, जिनमें से 5 में विकलांगता का सीधा उल्लेख है:

  1. Goal 4 (Quality Education): सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना। (इसमें विकलांग बच्चों के लिए सुगम स्कूलों की बात की गई है)।
  2. Goal 8 (Decent Work): विकलांग व्यक्तियों सहित सभी के लिए पूर्ण और उत्पादक रोजगार।
  3. Goal 10 (Reduced Inequalities): उम्र, लिंग, विकलांगता, नस्ल आदि के आधार पर असमानता को कम करना।
  4. Goal 11 (Sustainable Cities): शहरों, परिवहन और सार्वजनिक स्थानों को विकलांगों के लिए सुरक्षित और सुगम (Accessible) बनाना।
  5. Goal 17 (Partnerships): उच्च गुणवत्ता वाले डेटा (Data) का संग्रह करना जो विकलांगता के आधार पर अलग-अलग (Disaggregated) हो।

🏛️ 5.4 Role of National Institutes (राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका)

भारत सरकार (MSJE) ने विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के लिए 9 राष्ट्रीय संस्थान (National Institutes – NIs) स्थापित किए हैं। ये संस्थान अनुसंधान (Research), जनशक्ति विकास (Manpower Development), और सेवाएँ (Services) प्रदान करते हैं।

महत्वपूर्ण: परीक्षा में अक्सर इनके नाम, स्थान और कार्य विस्तार से पूछे जाते हैं।

1. NIEPID (National Institute for the Empowerment of Persons with Intellectual Disabilities)

  • पूर्व नाम: NIMH (National Institute for the Mentally Handicapped).
  • Location: सिकंदराबाद, तेलंगाना।
  • Mandate: Intellectual Disability (ID).
  • Functions:
    • IDD बच्चों के लिए D.Ed., B.Ed., और M.Ed. Special Education (ID) पाठ्यक्रम चलाना।
    • शीघ्र हस्तक्षेप सेवाएं (Early Intervention) प्रदान करना।
    • माता-पिता प्रशिक्षण कार्यक्रम और वयस्क स्वतंत्र जीवन कौशल (Adult Independent Living) मॉडल विकसित करना।
    • M.Phil (Rehabilitation Psychology) जैसे कोर्स चलाना।

2. NIEPMD (National Institute for Empowerment of Persons with Multiple Disabilities)

  • Location: मुत्तुकाडु, चेन्नई (तमिलनाडु)।
  • Mandate: Multiple Disabilities (बहु-विकलांगता) जैसे Deaf-Blindness, CP+ID.
  • Functions:
    • उन जटिल मामलों को संभालना जिन्हें एकल-विकलांगता संस्थान नहीं संभाल सकते।
    • क्रॉस-डिसेबिलिटी सेवाओं का मॉडल केंद्र।
    • Community Based Rehabilitation (CBR) में अनुसंधान।

3. AYJNISLD (Ali Yavar Jung National Institute of Speech and Hearing Disabilities)

  • Location: मुंबई (महाराष्ट्र)।
  • Mandate: Hearing & Speech Impairment.
  • Functions:
    • ऑडियोलॉजी (Audiology) और स्पीच पैथोलॉजी में डिग्री/डिप्लोमा।
    • सुनने की जांच और हियरिंग एड (Hearing Aids) का वितरण और फिटिंग।
    • कोक्लियर इंप्लांट (Cochlear Implant) सर्जरी और पोस्ट-हabilitation सेवाएं।
    • शोर प्रदूषण के बारे में जागरूकता।

4. NIEPVD (National Institute for the Empowerment of Persons with Visual Disabilities)

  • Location: देहरादून (उत्तराखंड)।
  • Mandate: Visual Impairment (Blindness & Low Vision).
  • Functions:
    • यह भारत का सबसे पुराना संस्थान है।
    • ब्रेल प्रेस (Braille Press): ब्रेल में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन।
    • Talking Books Library: ऑडियो बुक्स का निर्माण।
    • नेत्रहीनों के लिए मॉडल स्कूल और विशेष शिक्षा प्रशिक्षण।

5. ISLRTC (Indian Sign Language Research and Training Centre)

  • Location: नई दिल्ली।
  • Mandate: Indian Sign Language (ISL).
  • Functions:
    • यह एक नया संस्थान है (2015 में स्थापित)।
    • ISL का मानकीकरण (Standardization) करना।
    • ISL Dictionary (शब्दकोश) विकसित करना (अब तक 10,000 शब्द)।
    • सांकेतिक भाषा अनुवादकों (Interpreters) को प्रशिक्षित करना।

6. PDUNIPPD (Pt. Deendayal Upadhyaya National Institute for Persons with Physical Disabilities)

  • Location: नई दिल्ली।
  • Mandate: Locomotor Disability.
  • Functions:
    • फिजियोथेरेपी (PT) और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (OT) में शिक्षा।
    • कृत्रिम अंग (Artificial Limbs) और कैलिपर्स का निर्माण और वितरण।
    • स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए विशेष स्कूल।

7. SVNIRTAR (Swami Vivekanand National Institute of Rehabilitation Training and Research)

  • Location: कटक (ओडिशा)।
  • Mandate: Locomotor Disability & Surgical Correction.
  • Functions:
    • यह अपनी सर्जिकल यूनिट (Surgery) के लिए प्रसिद्ध है जहाँ पोलियो और CP की सुधारात्मक सर्जरी होती है।
    • ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पुनर्वास शिविर लगाना।
    • प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण।

8. NILD (National Institute for Locomotor Disabilities)

  • Location: कोलकाता (पश्चिम बंगाल)।
  • Mandate: Orthopaedic Disabilities.
  • Functions:
    • हड्डी रोग विशेषज्ञों और थेरेपिस्ट्स की टीम के साथ पुनर्वास सेवाएं।
    • गंभीर विकलांगता वाले लोगों के लिए मोबाइल पुनर्वास वैन।

9. NIMHR (National Institute of Mental Health Rehabilitation)

  • Location: सीहोर (मध्य प्रदेश)।
  • Mandate: Mental Health Rehabilitation.
  • Functions:
    • मानसिक बीमारी से ठीक हो चुके लोगों (Persons recovered from mental illness) के पुनर्वास और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
    • मानसिक स्वास्थ्य में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स।

💻 5.5 Role of Information and Communication Technology (ICT) in Disability

21वीं सदी में ICT (Information and Communication Technology) विकलांग व्यक्तियों के लिए एक “गेम चेंजर” है। यह बाधाओं को तोड़ता है और “Equalizer” (समानता लाने वाला) का काम करता है।

A. ICT for Accessibility (सुगमता के लिए तकनीक)

  1. Screen Readers: (जैसे JAWS, NVDA) नेत्रहीन लोगों को कंप्यूटर स्क्रीन की सामग्री सुनाते हैं।
  2. Voice Recognition: (जैसे Dragon Naturally Speaking) जो लोग हाथ से लिख/टाइप नहीं कर सकते, वे बोलकर कंप्यूटर चला सकते हैं।
  3. OCR (Optical Character Recognition): स्कैन की गई किताबों या छवियों को पढ़ने योग्य टेक्स्ट में बदलना।

B. ICT for Communication (संचार के लिए)

  1. AAC (Augmentative and Alternative Communication):
    • Avaz App: ऑटिज्म या सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चे जो बोल नहीं सकते (Non-verbal), वे टैबलेट पर चित्रों/प्रतीकों को दबाकर अपनी बात कह सकते हैं। यह उन्हें “आवाज” देता है।
  2. Video Relay Services (VRS): बधिर लोग वीडियो कॉल के माध्यम से साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर से जुड़ सकते हैं और किसी से भी बात कर सकते हैं।

C. ICT for Education (शिक्षा के लिए)

  1. Virtual Classrooms & E-Learning: कोविड-19 ने दिखाया कि तकनीक शिक्षा को घर तक ला सकती है। विशेष बच्चों के लिए यह वरदान है जो स्कूल नहीं जा सकते।
  2. Digital Libraries: ‘सुगम्य पुस्तकालय’ (Sugamya Pustakalaya) भारत सरकार की एक ऑनलाइन लाइब्रेरी है जहाँ लाखों किताबें सुलभ प्रारूप (Accessible Formats) में उपलब्ध हैं।
  3. Gamification: सीखने को खेल (Game) में बदलना। SLD और ID बच्चों के लिए यह बहुत प्रभावी है क्योंकि इसमें तत्काल फीडबैक और पुरस्कार मिलता है।

D. ICT for Skill Development & Employment

  • Tele-working: घर से काम करने की सुविधा ने विकलांग लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार खोले हैं।
  • Skill Training: ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से कोडिंग, डाटा एंट्री और डिजिटल मार्केटिंग सीखना।

E. Government Initiatives

  • Accessible India Campaign (Sugamya Bharat Abhiyan): इसका एक प्रमुख स्तंभ “ICT Accessibility” है – सरकारी वेबसाइटों और दस्तावेजों को सुलभ बनाना।
  • UDID Card (Unique Disability ID): सरकार ने पूरा डेटाबेस डिजिटल कर दिया है। अब विकलांगता प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनता है, जो पूरे देश में मान्य है और डेटा प्रबंधन को आसान बनाता है।


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