Concept of Assessment

आकलन की अवधारणा

Course: Assessment of Children with Developmental Disabilities

विशेष शिक्षा में ‘आकलन’ केवल अंक देने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक बच्चे के जीवन को समझने, उसकी जरूरतों को पहचानने और उसके भविष्य की योजना बनाने की नींव है। आइए इस इकाई के प्रत्येक बिंदु को विस्तार से समझें।


स्क्रीनिंग, मापन, परीक्षण, आकलन और मूल्यांकन (Screening, Measurement, Testing, Assessment, and Evaluation)

अक्सर लोग इन शब्दों का एक ही मतलब समझते हैं, लेकिन विशेष शिक्षा में इनका तकनीकी अर्थ और उपयोग अलग-अलग है। यह एक सीढ़ी (Hierarchy) की तरह काम करता है।

1. स्क्रीनिंग (Screening / छानबीन)

परिभाषा: स्क्रीनिंग एक त्वरित, सरल और कम खर्चीली प्रक्रिया है जिसका उपयोग बड़ी आबादी (जैसे पूरी कक्षा या समुदाय) में से उन व्यक्तियों की पहचान करने के लिए किया जाता है जिन्हें कोई समस्या हो सकती है।

  • मुख्य उद्देश्य: संदिग्ध मामलों (Suspected cases) की पहचान करना। यह निदान (Diagnosis) नहीं करता, केवल ‘खतरे’ (At-risk) का संकेत देता है।
  • प्रक्रिया: यह प्रक्रिया 15-20 मिनट में पूरी हो सकती है। इसे शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी कर सकते हैं।
  • उदाहरण:
    • नवजात शिशु की सुनने की क्षमता की जाँच (OAE test)।
    • स्कूल में प्रवेश के समय ‘Ten Questions Questionnaire’ का उपयोग करके यह देखना कि क्या बच्चे को चलने या बोलने में देरी है।
  • परिणाम: इसका परिणाम ‘Pass’ (पास) या ‘Refer’ (संदर्भित) होता है। यदि बच्चा फेल होता है, तो उसे विस्तृत आकलन के लिए भेजा जाता है।

2. मापन (Measurement)

परिभाषा: किसी वस्तु, घटना या विशेषता को नियमों के अनुसार अंक (Numbers) प्रदान करना मापन कहलाता है।

  • प्रकृति: यह पूरी तरह से मात्रात्मक (Quantitative) होता है। इसमें कोई भावना या निर्णय नहीं होता।
  • उदाहरण:
    • बच्चे का वजन 40 किलो है।
    • गणित के टेस्ट में 100 में से 35 नंबर मिले।
    • यहाँ ’40’ और ’35’ सिर्फ मापन हैं। यह नहीं बताता कि यह अच्छा है या बुरा।

3. परीक्षण (Testing)

परिभाषा: परीक्षण वह उपकरण (Instrument/Tool) या व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसका उपयोग व्यवहार का नमूना (Sample of behavior) लेने के लिए किया जाता है।

  • विशेषता: यह मानकीकृत (Standardized) होता है, यानी सभी बच्चों के लिए प्रश्न, समय और निर्देश समान होते हैं।
  • प्रकार:
    • Intelligence Test: जैसे Binet-Kamat Test (BKT).
    • Achievement Test: जैसे कक्षा की वार्षिक परीक्षा।
  • अंतर: ‘टेस्ट’ वह कागज या उपकरण है, जबकि ‘टेस्ट लेना’ प्रक्रिया है।

4. आकलन (Assessment)

परिभाषा: यह विभिन्न स्रोतों से जानकारी (Data) एकत्र करने की एक बहुआयामी और व्यापक प्रक्रिया है।

  • प्रक्रिया: इसमें केवल टेस्ट नहीं, बल्कि अवलोकन (Observation), साक्षात्कार (Interview), और पुराने रिकॉर्ड्स की जाँच शामिल है।
  • विशेष शिक्षा में महत्व: हम आकलन इसलिए करते हैं ताकि बच्चे की वर्तमान कार्य क्षमता (Current Level of Functioning) का पता चले।
  • उदाहरण: राम का IQ स्कोर (टेस्ट से), उसके माता-पिता का साक्षात्कार (घर पर व्यवहार जानने के लिए), और खेल के मैदान में उसका अवलोकन—इन सबको मिलाकर जो समझ बनती है, वह ‘आकलन’ है। इसका उपयोग IEP (व्यक्तिगत शैक्षिक कार्यक्रम) बनाने में होता है।

5. मूल्यांकन (Evaluation)

परिभाषा: आकलन से प्राप्त जानकारी का विश्लेषण करके निर्णय (Decision/Judgment) लेना मूल्यांकन है। 6

  • उद्देश्य: यह तय करना कि शिक्षण सफल रहा या नहीं, या बच्चा अगली कक्षा के लिए तैयार है या नहीं।
  • प्रकृति: यह निर्णयात्मक (Subjective/Judgmental) होता है।
  • उदाहरण: राम के सभी टेस्ट और कार्यों को देखने के बाद यह निर्णय लेना कि “राम ने गणित में सुधार किया है और वह पास होने योग्य है।”

निदान और प्रमाणन के लिए आकलन (Assessment for Diagnosis and Certification)

जब हमें बच्चे की दिव्यांगता को चिकित्सकीय रूप से सिद्ध करना होता है, तो हम नैदानिक आकलन (Diagnostic Assessment) का उपयोग करते हैं।

A. बौद्धिक आकलन (Intellectual Assessment)

  • क्या है: यह सामान्य मानसिक क्षमता या बुद्धि (Intelligence) को मापता है।
  • महत्व: बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability – ID) की पहचान के लिए यह सबसे जरूरी है। यह बताता है कि बच्चा Mild, Moderate, Severe, या Profound किस श्रेणी में आता है।
  • उपकरण (Tools):
    • Binet Kamat Test (BKT): भारतीय बच्चों के लिए बहुत उपयोगी।
    • WISC (Wechsler Intelligence Scale for Children): अंतरराष्ट्रीय स्तर का टेस्ट।
    • Seguin Form Board (SFB): यह एक performance test है, जो उन बच्चों के लिए अच्छा है जो बोल नहीं सकते।

B. उपलब्धि आकलन (Achievement Assessment)

  • क्या है: यह मापता है कि बच्चे ने अकादमिक रूप से (पढ़ना, लिखना, गणित) क्या सीखा है।
  • महत्व: इसका उपयोग Specific Learning Disability (SLD) की पहचान के लिए होता है। उदाहरण के लिए, यदि बच्चे का IQ सामान्य है लेकिन वह पढ़ नहीं पा रहा (Dyslexia), तो उपलब्धि परीक्षण से यह अंतर (Discrepancy) पता चलता है।
  • उपकरण: Woodcock-Johnson Tests, Wide Range Achievement Test (WRAT)।

C. अभिक्षमता आकलन (Aptitude Assessment)

  • क्या है: यह बच्चे की भविष्य की क्षमता (Potential) को मापता है। 9
  • महत्व: यह व्यावसायिक मार्गदर्शन (Vocational Guidance) के लिए महत्वपूर्ण है। 14-18 वर्ष की आयु में, हमें यह जानना होता है कि बच्चा किस काम में अच्छा होगा (जैसे- कंप्यूटर टाइपिंग, लिफाफे बनाना, या बागवानी)।
  • उदाहरण: हाथ-आँख समन्वय (Hand-eye coordination) की जाँच करना।

D. मनोवैज्ञानिक आकलन (Psychological Assessment)

  • क्या है: इसमें व्यवहार, व्यक्तित्व, भावनात्मक स्थिरता और सामाजिक कौशल का आकलन शामिल है। 10
  • महत्व: ऑटिज्म (ASD) और ID वाले बच्चों में समस्या व्यवहार (जैसे मारना, चिल्लाना) के कारणों को समझने के लिए Functional Behaviour Assessment (FBA) किया जाता है।

E. प्रमाणन (Certification)

भारत में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPWD Act 2016) के तहत सरकारी लाभ पाने के लिए प्रमाण पत्र जरूरी है।

  • प्रक्रिया: जिला अस्पताल का मेडिकल बोर्ड (जिसमें मनोवैज्ञानिक, डॉक्टर आदि होते हैं) बच्चे का आकलन करता है।
  • मानदंड: यदि अक्षमता 40% या उससे अधिक है, तो UDID कार्ड जारी किया जाता है।

विकासात्मक और शैक्षिक आकलन (Developmental and Educational Assessment)

बच्चे की उम्र और गंभीरता के आधार पर आकलन का फोकस बदल जाता है।

A. विकासात्मक आकलन (Developmental Assessment)

  • लक्ष्य समूह: छोटे बच्चे (0-6 वर्ष) या गंभीर दिव्यांगता (Severe/Profound ID) वाले व्यक्ति।
  • फोकस: यहाँ हम पढ़ाई-लिखाई (Academics) नहीं देखते, बल्कि विकासात्मक मील के पत्थर (Developmental Milestones) देखते हैं।
  • डोमेन (Domains):
    1. गामक (Motor): चलना, दौड़ना, चीजों को पकड़ना।
    2. भाषा (Communication): बोलना और समझना।
    3. सामाजिक (Social): दूसरों के साथ खेलना, आँख मिलाना।
    4. स्वयं सहायता (Self-help): खाना, कपड़े पहनना, टॉयलेट जाना।
  • उपकरण: Portage Guide to Early Education (PGEE), Upanayan, Aarambh.

B. शैक्षिक आकलन (Educational Assessment)

  • लक्ष्य समूह: स्कूल जाने वाले बच्चे (6-18 वर्ष)।
  • फोकस: पाठ्यचर्या (Curriculum), साक्षरता, अंकगणित और कार्यात्मक कौशल।
  • उपकरण: MDPS (Madras Developmental Programming System), FACP.

C. आकलन के प्रकार (समय के आधार पर)

  1. प्रवेश स्तर (Entry Level / Baseline Assessment):
    • कब: शिक्षण शुरू करने से ठीक पहले।
    • क्यों: यह जानने के लिए कि बच्चा अभी क्या जानता है। “शुरुआती बिंदु” तय करने के लिए। (जैसे: क्या बच्चा 1 से 10 तक गिन सकता है?)
  2. रचनात्मक आकलन (Formative Assessment):
    • कब: शिक्षण के दौरान (निरंतर)।
    • क्यों: प्रगति की निगरानी करने के लिए। “क्या मेरी शिक्षण विधि काम कर रही है?” (जैसे: साप्ताहिक टेस्ट, होमवर्क)।
  3. योगात्मक आकलन (Summative Assessment):
    • कब: सत्र या वर्ष के अंत में।
    • क्यों: अंतिम परिणाम जानने के लिए। “क्या बच्चे ने लक्ष्य प्राप्त कर लिया?” (जैसे: वार्षिक परीक्षा)।

औपचारिक और अनौपचारिक आकलन (NRT और CRT)

विशेष शिक्षक के रूप में, यह आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक है।

A. औपचारिक आकलन (Formal Assessment)

ये मानकीकृत (Standardized) टेस्ट होते हैं। इनके नियम सख्त होते हैं (प्रशासन और स्कोरिंग के)। इनका उपयोग मुख्य रूप से निदान (Diagnosis) के लिए होता है।

B. अनौपचारिक आकलन (Informal Assessment)

ये शिक्षक द्वारा बनाए गए लचीले तरीके होते हैं। जैसे चेकलिस्ट (Checklist), अवलोकन (Observation), कार्य के नमूने (Work Samples)। इनका उपयोग पढ़ाने (Teaching) के लिए होता है।

C. NRT बनाम CRT (विस्तृत तुलना)

विशेषताNorm-Referenced Test (NRT) (मानक संदर्भित परीक्षण)Criterion-Referenced Test (CRT) (निकष संदर्भित परीक्षण)
तुलना (Comparison)बच्चे की तुलना अन्य बच्चों (Norm Group) से की जाती है।बच्चे की तुलना एक तय मानक/कौशल (Criteria) से की जाती है।
मुख्य प्रश्न“कक्षा में बच्चे का स्थान (Rank) क्या है?”“क्या बच्चा यह विशिष्ट कार्य कर सकता है?”
परिणामPercentile (प्रतिशतक), Rank, IQ Score.Pass/Fail, Mastered/Not Mastered.
उपयोगDiagnosis (निदान): बच्चे को वर्गीकृत करने के लिए (जैसे ‘मंदबुद्धि’)।IEP Development: बच्चे को क्या सिखाना है, यह तय करने के लिए।
उदाहरणWISC, Board Exams, Intelligence Tests.MDPS, FACP, BASIC-MR.

विशेष टिप: D.Ed. (IDD) में आपको CRT (जैसे MDPS) पर अधिक ध्यान देना है क्योंकि IEP बनाने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि बच्चा “कमीज के बटन बंद कर सकता है या नहीं”, न कि यह कि उसका IQ कितना है।


विकासात्मक अक्षमता वाले छात्रों के आकलन में ध्यान रखने योग्य बातें (Points to Consider)

IDD, ASD (ऑटिज्म), या SLD वाले बच्चों का आकलन सामान्य बच्चों की तरह नहीं किया जा सकता। इसके लिए विशेष अनुकूलन (Adaptations) की आवश्यकता होती है।

1. तैयारी और तालमेल (Preparation & Rapport)

  • बच्चे के साथ विश्वास का रिश्ता (Rapport) बनाएं। ऑटिज्म वाले बच्चे अजनबियों से डर सकते हैं, इसलिए टेस्ट से पहले उनके साथ खेलें।
  • माता-पिता को पास बैठने दें यदि बच्चा बहुत छोटा या डरा हुआ है।

2. वातावरण (Environment)

  • शांत स्थान: शोर-शराबे से दूर।
  • विश्राम: ADHD वाले बच्चों के लिए कमरे में बहुत सारे चार्ट या खिलौने नहीं होने चाहिए, वरना उनका ध्यान भटकेगा।
  • फर्नीचर: बच्चे की शारीरिक जरूरत (जैसे CP वाले बच्चे के लिए विशेष कुर्सी) के अनुसार फर्नीचर होना चाहिए।

3. सामग्री का अनुकूलन (Adaptation of Tools)

  • मूर्त वस्तुएं: चित्रों के बजाय असली वस्तुओं (Real Objects) का उपयोग करें। (जैसे: सेब की फोटो के बजाय असली सेब दिखाएं)।
  • साइज: यदि बच्चे की पकड़ (Grip) कमजोर है, तो बड़े आकार के ब्लॉक या पहेली (Puzzle) का उपयोग करें।

4. प्रतिक्रिया में लचीलापन (Flexibility in Response)

  • Non-verbal बच्चे: यदि बच्चा बोल नहीं सकता, तो उसे इशारा करने दें, चित्र चुनने दें, या आई-गेज़ (Eye-gaze) का उपयोग करने दें।
  • समय: समय सीमा (Time limit) को हटा दें। बच्चे को सोचने का पूरा समय दें।

5. बहु-विषयक टीम (Multi-disciplinary Team)

आकलन अकेले नहीं किया जा सकता। इसमें शामिल होना चाहिए:

  • Special Educator: शैक्षिक आकलन के लिए।
  • Psychologist: व्यवहार और IQ के लिए।
  • Therapists: PT (चलने-फिरने के लिए), OT (हाथ के कौशल/संवेदी के लिए), ST (बोलने के लिए)।
  • Parents: घर पर बच्चे के कौशल (Adaptive behavior) के बारे में जानकारी देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोत।

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