Assessment of Students with SLD

विशिष्ट अधिगम अक्षमता वाले छात्रों का आकलन

Course Code: Course III – Assessment of Children with Developmental Disabilities

विशिष्ट अधिगम अक्षमता (Specific Learning Disability – SLD) एक “छिपी हुई दिव्यांगता” है। ये बच्चे देखने में सामान्य लगते हैं और उनकी बुद्धि (IQ) भी औसत या औसत से अधिक होती है, लेकिन उन्हें पढ़ने (Dyslexia), लिखने (Dysgraphia) या गणित (Dyscalculia) में गंभीर कठिनाई होती है। इनका आकलन करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हमें यह सिद्ध करना होता है कि उनकी समस्या बुद्धि की कमी के कारण नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग (Processing) की कमी के कारण है।


Assessment of Perceptual, Memory Skills, Cognitive Skills and Readiness Skills

(प्रत्यक्षीकरण, स्मृति कौशल, संज्ञानात्मक कौशल और तत्परता कौशल का आकलन)

SLD की जड़ें अक्सर मस्तिष्क द्वारा सूचना को प्रोसेस करने के तरीके में होती हैं। हम निम्नलिखित क्षेत्रों का आकलन करते हैं:

A. प्रत्यक्षीकरण कौशल (Perceptual Skills)

प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है हम जो देखते या सुनते हैं, उसे हमारा दिमाग कैसे समझता है। SLD वाले बच्चों में अक्सर इसमें गड़बड़ी होती है।

  1. दृश्य प्रत्यक्षीकरण (Visual Perception):
    • Visual Discrimination: क्या बच्चा ‘b’ और ‘d’ या ‘p’ और ‘q’ में अंतर कर सकता है?
    • Figure-Ground: क्या वह भीड़भाड़ वाले पेज पर एक विशिष्ट शब्द ढूंढ सकता है?
    • Visual Closure: क्या वह आधे मिटे हुए अक्षर को पहचान सकता है?
  2. श्रवण प्रत्यक्षीकरण (Auditory Perception):
    • क्या बच्चा ‘क’ और ‘ख’ की ध्वनि में अंतर कर सकता है? (Auditory Discrimination)
    • क्या वह शोर में भी शिक्षक की बात सुन सकता है?

B. स्मृति कौशल (Memory Skills)

  1. अल्पकालिक स्मृति (Short Term Memory): क्या बच्चा अभी सुनी हुई 3-4 निर्देशों को याद रखकर पालन कर सकता है? SLD वाले बच्चे अक्सर निर्देश भूल जाते हैं।
  2. कार्यकारी स्मृति (Working Memory): मानसिक गणना करते समय या पढ़ते समय जानकारी को होल्ड करना। डिस्लेक्सिया में यह अक्सर कमजोर होती है।
  3. दीर्घकालिक स्मृति (Long Term Memory): क्या उसे कल सीखा हुआ पाठ आज याद है?

C. संज्ञानात्मक कौशल (Cognitive Skills)

  • तर्क (Reasoning): समस्याओं को सुलझाने की क्षमता।
  • मेटाकॉग्निशन (Metacognition): क्या बच्चे को पता है कि वह कैसे सीखता है? क्या वह अपनी गलतियों को खुद पकड़ सकता है?

D. तत्परता कौशल (Readiness Skills)

यह छोटे बच्चों (प्री-स्कूल) के लिए है। यह जानने के लिए कि क्या बच्चा पढ़ने-लिखने के लिए तैयार है।

  • क्या वह पेंसिल सही पकड़ता है?
  • क्या वह बाएं से दाएं (Left to Right) स्कैन कर सकता है?
  • क्या वह किताब को सीधा पकड़ता है?

Assessment of Attention, Listening and Speaking Skills

(ध्यान, सुनने और बोलने के कौशल का आकलन)

SLD और ADHD (ध्यान की कमी) अक्सर साथ-साथ चलते हैं। भाषा की समस्या भी SLD का एक बड़ा संकेत है।

A. ध्यान (Attention)

  • Selective Attention: क्या बच्चा आवश्यक चीज पर ध्यान दे सकता है और बेकार की आवाजों को नजरअंदाज कर सकता है?
  • Sustained Attention: क्या वह एक काम पर 10-15 मिनट तक टिक सकता है?
  • आकलन: इसके लिए अवलोकन (Observation) और चेकलिस्ट का उपयोग किया जाता है। शिक्षक देखता है कि बच्चा कितनी बार सीट से उठता है या ख्यालों में खो जाता है।

B. सुनने का कौशल (Listening Skills)

  • क्या बच्चा कहानियों को सुनकर समझता है (Listening Comprehension)?
  • कई बार SLD वाले बच्चे सुनने में तो ठीक होते हैं, लेकिन उसे प्रोसेस करने में धीमे होते हैं (Auditory Processing Disorder)।

C. बोलने का कौशल (Speaking Skills)

  • Phonological Awareness (ध्वनि जागरूकता): यह पढ़ने (Reading) की नींव है। आकलन करें कि क्या बच्चा शब्दों को तोड़ सकता है? (जैसे: “कमल” = क+म+ल)। क्या वह तुकांत शब्द (Rhyming words) बता सकता है?
  • शब्दावली (Vocabulary): क्या उसे अपनी उम्र के हिसाब से पर्याप्त शब्द आते हैं?
  • विचार अभिव्यक्ति: क्या वह अपनी बात को सही वाक्यों में कह पाता है?

Assessment of Reading and Writing Skills

(पढ़ने और लिखने के कौशल का आकलन)

यह SLD आकलन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि डिस्लेक्सिया (Dyslexia) और डिस्ग्राफिया (Dysgraphia) सबसे आम हैं।

A. पढ़ने का आकलन (Reading Assessment)

  1. डिकोडिंग (Decoding): क्या बच्चा अक्षरों को जोड़कर शब्द बना पा रहा है? क्या वह अपरिचित शब्दों को पढ़ सकता है या अटक जाता है?
  2. प्रवाह (Fluency): वह कितनी तेजी से और सही पढ़ता है? क्या वह एक-एक अक्षर जोड़कर पढ़ता है (रुकावट के साथ) या प्रवाह में?
  3. समझ (Comprehension): यह सबसे जरूरी है। बच्चा पाठ को पढ़ तो लेता है, लेकिन क्या उसे उसका मतलब समझ आया? आकलन के लिए उसे एक पैराग्राफ पढ़वाएं और फिर उससे जुड़े प्रश्न पूछें।
  4. त्रुटि विश्लेषण (Error Analysis): बच्चा किस तरह की गलतियां कर रहा है?
    • Omission: शब्द छोड़ देना।
    • Substitution: ‘घर’ को ‘पर’ पढ़ देना।
    • Reversal: ‘was’ को ‘saw’ पढ़ना।

B. लिखने का आकलन (Writing Assessment)

  1. हस्तलेखन (Handwriting): क्या अक्षर लाइन के ऊपर-नीचे जा रहे हैं? क्या अक्षरों का आकार बहुत बड़ा या छोटा है? (Dysgraphia के संकेत)।
  2. वर्तनी (Spelling): क्या वह मात्राओं की गलती करता है? क्या वह ‘phonetic spelling’ लिखता है (जैसे: ‘phone’ को ‘fon’)?
  3. लिखित अभिव्यक्ति (Written Expression): क्या वह अपने विचारों को कागज पर उतार पाता है? SLD वाले बच्चे अक्सर बोलने में बहुत अच्छे होते हैं लेकिन लिखने में उनके विचार उलझ जाते हैं।

Assessment of Math Skills – Computation and Application

(गणित कौशल का आकलन – गणना और अनुप्रयोग)

डिस्कैल्कुलिया (Dyscalculia) का आकलन करने के लिए हम दो मुख्य क्षेत्रों को देखते हैं:

A. गणना (Computation)

  • Number Sense: क्या बच्चे को छोटे और बड़े अंक का अंतर पता है?
  • मूलभूत संक्रियाएं: जमा, घटा, गुणा, भाग। SLD वाले बच्चे अक्सर चिह्नों (+, -, x) में भ्रमित हो जाते हैं या हासिल (carry-over) लेना भूल जाते हैं।
  • स्थानिक समझ: क्या वह अंकों को एक के नीचे एक सही लाइन में लिखता है?

B. अनुप्रयोग (Application)

  • Word Problems: यह सबसे कठिन होता है। “राम के पास 2 सेब थे…” – इसमें बच्चे को पहले भाषा समझनी होती है और फिर तय करना होता है कि जोड़ना है या घटाना।
  • दैनिक गणित: समय देखना, पैसे का हिसाब रखना, माप-तौल।

Assessment Using Various Tools

(विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके आकलन)

SLD के आकलन के लिए मानकीकृत और अनौपचारिक दोनों तरह के टूल्स का उपयोग होता है। यहाँ पाठ्यक्रम में दिए गए टूल्स का विवरण है:

प्रमुख उपकरण (Tools Details)

  1. First Screen
    • क्या है: यह एक स्क्रीनिंग ऐप/टूल है जिसे ‘Orkids’ (दिल्ली) ने विकसित किया है।
    • उपयोग: यह शिक्षकों के लिए है। यह जल्दी से पहचान करता है कि बच्चे को SLD का जोखिम है या नहीं। यह डोमेन-आधारित स्कोर देता है (पढ़ना, लिखना, आदि)।
  2. BCSLD (Behaviour Checklist for Screening the Learning Disabled)
    • विकसित: डॉ. स्वरूप और मेहता (SNDT यूनिवर्सिटी, मुंबई)।
    • उपयोग: यह एक स्क्रीनिंग चेकलिस्ट है। शिक्षक बच्चे के व्यवहार को देखता है (जैसे: “अक्षरों को उल्टा लिखता है”) और चेक करता है। यह SLD की प्रारंभिक पहचान के लिए बहुत अच्छा भारतीय टूल है।
  3. GLAD (Grade Level Assessment Device)
    • विकसित: डॉ. जयंती नारायण (NIMH/NIEPID)।
    • उपयोग: यह प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-4) के बच्चों के लिए है। यह हिंदी, अंग्रेजी और गणित में बच्चे के ‘सीखने के स्तर’ का आकलन करता है। यह बताता है कि बच्चा अपनी कक्षा से कितना पीछे है। यह डायग्नोस्टिक नहीं, बल्कि शैक्षिक टूल है।
  4. DTRD (Diagnostic Test of Reading Disorders)
    • उपयोग: यह विशेष रूप से पढ़ने की समस्याओं (Dyslexia) के निदान के लिए है। यह बताता है कि बच्चा कहाँ गलती कर रहा है – स्वरों में, व्यंजनों में, या समझ में।
  5. DTLD (Diagnostic Test of Learning Disability)
    • विकसित: डॉ. स्वरूप और मेहता।
    • डोमेन: यह 10 क्षेत्रों का आकलन करता है, जैसे- आँख-हाथ समन्वय (Eye-hand coordination), फिगर-ग्राउंड, स्मृति, आदि। यह SLD के अंतर्निहित कारणों (प्रोसेसिंग समस्याओं) को पकड़ता है।
  6. DALI (Dyslexia Assessment for Languages of India)
    • विकसित: नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (NBRC)।
    • महत्व: यह भारत का पहला टूल है जो कई भारतीय भाषाओं (हिंदी, मराठी, कन्नड़, अंग्रेजी) में डिस्लेक्सिया की जांच करता है। यह बहुत ही आधुनिक और सटीक टूल है।

आकलन का दस्तावेजीकरण और रिपोर्ट लेखन (Documentation & Report Writing)

आकलन के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट बनाना अनिवार्य है।

  1. Discrepancy Note: रिपोर्ट में यह साफ लिखना चाहिए कि बच्चे की बुद्धि (IQ) सामान्य है लेकिन उपलब्धि (Achievement) कम है। यही SLD का मुख्य लक्षण है।
  2. त्रुटि विश्लेषण (Error Analysis): सिर्फ स्कोर न लिखें, बल्कि गलतियों के उदाहरण दें। (जैसे: “बच्चा ‘b’ को ‘d’ लिखता है”)।
  3. प्रोविजन (Provisions): रिपोर्ट के आधार पर सिफारिश करें कि बच्चे को परीक्षा में क्या छूट मिलनी चाहिए (जैसे: एक्स्ट्रा टाइम, स्क्राइब/लेखक, कैलकुलेटर)।
  4. सिफारिशें: माता-पिता और शिक्षकों के लिए उपचारात्मक रणनीतियाँ (Remedial Strategies) लिखें।

Unit 5: सारांश (Summary)

  • SLD का आकलन “प्रोसेसिंग” (Processing) की जांच है, न कि बुद्धि की।
  • पढ़ना (Dyslexia): डिकोडिंग और समझ की जांच करें।
  • लिखना (Dysgraphia): वर्तनी और लिखावट की जांच करें।
  • गणित (Dyscalculia): संख्या ज्ञान और तर्क की जांच करें।
  • टूल्स: भारत में GLAD (शैक्षिक स्तर के लिए), BCSLD (स्क्रीनिंग के लिए) और DALI (भाषा निदान के लिए) सबसे महत्वपूर्ण हैं।

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