बौद्धिक अक्षमता वाले छात्रों का आकलन
Course Code: Course III – Assessment of Children with Developmental Disabilities
विशेष शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से बौद्धिक अक्षमता (ID) वाले बच्चों के लिए, आकलन प्रक्रिया केवल ‘पास’ या ‘फेल’ करने के लिए नहीं होती। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चे की कार्यात्मक क्षमताओं (Functional Abilities) को समझना है ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इस इकाई में हम भारत में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख आकलन उपकरणों (Tools) जैसे MDPS, FACP, और BASIC-MR का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
Purpose and Significance of Assessment for Students with Intellectual Disability
बौद्धिक अक्षमता वाले छात्रों के लिए आकलन का उद्देश्य और महत्व)
बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability – ID) वाले बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तुलना में धीमा होता है और उनकी सीखने की गति अलग होती है। इसलिए, मानक स्कूल टेस्ट (जैसे वार्षिक परीक्षा) उन पर लागू नहीं होते। उनके लिए आकलन के उद्देश्य और महत्व निम्नलिखित हैं:
A. आकलन के उद्देश्य (Purpose)
- वर्तमान कार्य स्तर (Current Level of Functioning – CLF) का निर्धारण:शिक्षण शुरू करने से पहले यह जानना अनिवार्य है कि बच्चा “अभी” क्या कर सकता है। उदाहरण के लिए, क्या वह खुद खाना खा सकता है? क्या वह अपना नाम लिख सकता है? इसे ‘आधार रेखा’ (Baseline) कहा जाता है। बिना बेसलाइन के शिक्षण अंधेरे में तीर चलाने जैसा है।
- IEP (व्यक्तिगत शैक्षिक कार्यक्रम) का विकास:विशेष शिक्षा की आत्मा IEP है। आकलन हमें बच्चे की विशिष्ट कमजोरियों (Needs) और ताकतों (Strengths) के बारे में डेटा देता है। इसी डेटा के आधार पर हम अगले 3 महीने या 1 साल के लक्ष्य (Goals) निर्धारित करते हैं।
- शैक्षिक और व्यावसायिक प्लेसमेंट:आकलन यह तय करने में मदद करता है कि बच्चे को किस समूह में रखा जाए—क्या उसे प्री-प्राइमरी ग्रुप में जाना चाहिए, सेकेंडरी ग्रुप में, या उसे व्यावसायिक प्रशिक्षण (Pre-vocational) की आवश्यकता है।
- निदान और वर्गीकरण:नैदानिक आकलन (जैसे IQ टेस्ट) यह पुष्टि करता है कि बच्चे को बौद्धिक अक्षमता है या नहीं और उसकी गंभीरता का स्तर (Mild, Moderate, Severe, Profound) क्या है।
B. आकलन का महत्व (Significance)
- शिक्षण में सुधार: रचनात्मक आकलन (Formative Assessment) शिक्षक को बताता है कि उसकी पढ़ाने की तकनीक काम कर रही है या नहीं। यदि बच्चा नहीं सीख रहा, तो शिक्षक अपनी विधि बदल सकता है।
- प्रगति की निगरानी: यह माता-पिता और शिक्षकों को सबूत देता है कि बच्चे ने पिछले छह महीनों में क्या सीखा है।
- कानूनी आवश्यकता: सरकारी लाभ (पेंशन, रेलवे पास, UDID कार्ड) प्राप्त करने के लिए औपचारिक आकलन और प्रमाणन अनिवार्य है।
Assessment Tools at Pre-school Level
(प्री-स्कूल स्तर पर आकलन उपकरण)
प्री-स्कूल स्तर (0-6 वर्ष) पर, आकलन का मुख्य फोकस विकासात्मक मील के पत्थर (Developmental Milestones) और प्रारंभिक हस्तक्षेप (Early Intervention) पर होता है।
1. उपनयन (Upanayan Early Intervention Developmental Checklist)
- विकासकर्ता: मधुरम नारायणन सेंटर फॉर एक्सेप्शनल चिल्ड्रेन (MNC), चेन्नई।
- लक्षित समूह: 0 से 6 वर्ष के विकासात्मक देरी वाले बच्चे।
- संरचना: इसमें बच्चे के विकास को 5 डोमेन (क्षेत्रों) में मापा जाता है:
- गामक (Motor)
- स्वयं सहायता (Self-help)
- भाषा (Language)
- संज्ञान (Cognition)
- समाजीकरण (Socialization)
- विशेषता: इसमें कुल 250 कौशल हैं। यह चेकलिस्ट रंग-कोडित (Colour-coded) है, जिससे माता-पिता आसानी से देख सकते हैं कि बच्चा किस उम्र के स्तर पर है। यह कंप्यूटर आधारित प्रोग्रामिंग में भी उपलब्ध है।
2. पोर्टेज गाइड (Portage Guide to Early Education – PGEE)
- मूल: यह मूल रूप से अमेरिका (विस्कॉन्सिन) में विकसित किया गया था, लेकिन भारत में इसका हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद और अनुकूलन किया गया है।
- दृष्टिकोण: यह एक गृह-आधारित (Home-based) मॉडल है। इसका उद्देश्य माता-पिता को ‘शिक्षक’ के रूप में प्रशिक्षित करना है।
- घटक (Components): इसके तीन मुख्य भाग हैं:
- चेकलिस्ट: 0-6 वर्ष के विकास के लिए 580 व्यवहारों की सूची।
- कार्ड फाइल: प्रत्येक व्यवहार को सिखाने की विधि वाले कार्ड्स।
- मैनुअल: उपयोग करने के निर्देश।
- महत्व: यह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
3. आरंभ (Aarambh)
- विकासकर्ता: NIEPID (NIMH), सिकंदराबाद।
- उद्देश्य: स्कूल तत्परता (School Readiness)।
- लक्षित आयु: 3 से 6 वर्ष।
- उपयोग: यह उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो विशेष या समावेशी स्कूल में जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह आकलन करता है कि क्या बच्चे में स्कूल जाने के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल हैं (जैसे: एक जगह बैठना, पेंसिल पकड़ना, टॉयलेट की जरूरत बताना, समूह में खेलना)।
Assessment Tools at School Ages
( स्कूली उम्र में आकलन उपकरण)
जब बच्चा 6 वर्ष से ऊपर का हो जाता है, तो फोकस ‘विकास’ से हटकर ‘कार्यात्मक कौशल’ और ‘पाठ्यक्रम’ पर आ जाता है। भारत में निम्नलिखित उपकरण मानक (Standard) माने जाते हैं:
1. MDPS (Madras Developmental Programming System)
- विकासकर्ता: विजय ह्यूमन सर्विसेज, चेन्नई (प्रो. पी. जयचंद्रन)।
- प्रकृति: यह एक CRT (Criterion Referenced Test) है। इसका उद्देश्य निदान करना नहीं, बल्कि प्रोग्रामिंग (IEP) करना है।
- संरचना:
- इसमें कुल 18 डोमेन (क्षेत्र) हैं। (जैसे: सकल गामक, सूक्ष्म गामक, भोजन, कपड़े पहनना, सौंदर्य प्रसाधन, पढ़ना, लिखना, संख्या, समय, पैसा, घरेलू कार्य आदि)।
- प्रत्येक डोमेन में 20 कौशल हैं।
- कुल कौशल = $18 \times 20 = 360$ कौशल।
- स्कोरिंग:
- A: यदि बच्चा कार्य को पूरी तरह स्वतंत्र रूप से करता है।
- B: यदि बच्चा कार्य नहीं कर सकता या उसे मदद चाहिए।
- उपयोग: विशेष स्कूलों में हर तिमाही (Quarterly) आकलन के लिए यह सबसे लोकप्रिय टूल है। जो कौशल ‘B’ होते हैं, उन्हें ही IEP का लक्ष्य बनाया जाता है।
2. FACP (Functional Assessment Checklist for Programming)
- विकासकर्ता: NIEPID (NIMH), सिकंदराबाद।
- दर्शन: यह बच्चों को उनकी कालानुक्रमिक आयु (Chronological Age) के आधार पर समूहों में बाँटता है, न कि मानसिक आयु पर। यह समावेशन और समुदाय आधारित पुनर्वास के लिए उत्कृष्ट है।
- समूह (Groups):
- Pre-Primary (3-6 वर्ष): स्कूल तत्परता और स्वयं सहायता कौशल।
- Primary-I (7-10 वर्ष): कार्यात्मक साक्षरता, व्यक्तिगत कौशल।
- Primary-II (11-14 वर्ष): कार्यात्मक अकादमिक, घरेलू कौशल।
- Secondary/Pre-Vocational (15-18 वर्ष): सामुदायिक भागीदारी, नौकरी के कौशल।
- FACP-PMR: यह चेकलिस्ट विशेष रूप से Profound Mental Retardation (गहन अक्षमता) वाले बच्चों के लिए है जो बिस्तर पर हैं (Bed-ridden) या जिन्हें अत्यधिक सहायता (High Support) की आवश्यकता है। इसमें बहुत सूक्ष्म कौशल (जैसे करवट लेना, निगलना, प्रकाश की ओर देखना) शामिल हैं।
3. BASIC-MR (Behavioural Assessment Scale for Indian Children with MR)
- विकासकर्ता: पेशावरिया और वेंकटेशन (NIEPID)।
- उद्देश्य: यह कौशल (Skills) का आकलन नहीं करता, बल्कि व्यवहार (Behavior) का आकलन करता है।
- संरचना:
- Part A (Problem Behaviors): इसमें 75 नकारात्मक व्यवहार हैं (जैसे: मारना, काटना, चिल्लाना, जिद्दीपन)। इसमें लक्ष्य होता है स्कोर को कम करना।
- Part B (Positive Behaviors): इसमें बच्चे की अच्छी आदतें और सामाजिक कौशल हैं।
- महत्व: यदि किसी बच्चे में व्यवहार की गंभीर समस्या है, तो उसे पढ़ना-लिखना सिखाना मुश्किल है। इसलिए MDPS/FACP के साथ BASIC-MR का उपयोग अनिवार्य है।
4. GLAD (Grade Level Assessment Device)
- विकासकर्ता: डॉ. जयंती नारायण (NIEPID)।
- उपयोग: यह उन बच्चों के लिए है जो Mild ID या Borderline Intelligence वाले हैं और नियमित स्कूलों में जा सकते हैं।
- प्रकृति: यह कक्षा 1 से कक्षा 4 तक के मानक पाठ्यक्रम (हिंदी, अंग्रेजी, गणित) पर आधारित है। यह बताता है कि बच्चा अपनी कक्षा के स्तर से कितना पीछे है और उसे उपचारात्मक शिक्षण (Remedial Teaching) की कहाँ आवश्यकता है।
Preparation of Material for Assessment of Various Skills
(विभिन्न कौशलों के आकलन के लिए सामग्री तैयार करना)
बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चे अमूर्त (Abstract) अवधारणाओं को नहीं समझते। इसलिए, उनका आकलन कागज-कलम से नहीं, बल्कि मूर्त सामग्री (Concrete Material) से किया जाना चाहिए। शिक्षक को एक ‘असेसमेंट किट’ तैयार करनी होती है।
A. असेसमेंट किट के घटक (Components of Assessment Kit)
- गामक कौशल (Motor Skills) के लिए:
- अलग-अलग आकार के मनके (Beads) और धागा।
- ब्लॉक्स (Blocks) टॉवर बनाने के लिए।
- कैंची और कागज (काटने के कौशल के लिए)।
- गेंद (फेंकने और पकड़ने के लिए)।
- स्वयं सहायता (Self-Help) के लिए:
- बटन फ्रेम (बटन लगाने/खोलने के लिए)।
- ज़िप और वेल्क्रो बोर्ड।
- असली शर्ट या पैंट।
- टूथब्रश, कंघी, चम्मच और ग्लास।
- संज्ञानात्मक कौशल (Cognitive Skills) के लिए:
- रंग और आकार (Colors & Shapes) के फ़्लैशकार्ड्स।
- समान वस्तुओं को मिलाने (Matching) के लिए सेट।
- पहेलियाँ (Puzzles) – 2 से 4 टुकड़ों वाली।
- कार्यात्मक अकादमिक (Functional Academics) के लिए:
- असली सिक्के और नोट (Money concept)।
- घड़ी (समय देखने के लिए)।
- माप तौल के उपकरण (टेप, तराजू)।
- दैनिक उपयोग की वस्तुओं के रैपर (बिस्कुट, साबुन) पढ़ने के लिए।
B. सामग्री तैयार करने के सिद्धांत (Principles)
- वास्तविकता (Reality): जहाँ तक संभव हो, प्लास्टिक के मॉडल के बजाय असली वस्तुओं का उपयोग करें। (उदाहरण: प्लास्टिक के केले के बजाय असली केला दिखाएं)।
- सुरक्षा (Safety): सामग्री नुकीली, जहरीली या बहुत छोटी नहीं होनी चाहिए जिसे बच्चा निगल ले।
- स्थानीय संदर्भ (Local Context): सामग्री बच्चे की संस्कृति के अनुसार होनी चाहिए। यदि बच्चा रोटी खाता है, तो उसे ब्रेड का मॉडल दिखाकर न पूछें।
- लागत प्रभावी (Low Cost): महँगे खिलौनों की ज़रूरत नहीं है। बेकार वस्तुओं (Waste material) से बेहतरीन TLM बनाया जा सकता है।
Documentation of Assessment Result, Interpretation, Report Writing
( आकलन परिणाम का दस्तावेजीकरण, व्याख्या और रिपोर्ट लेखन)
आकलन प्रक्रिया तब तक पूरी नहीं होती जब तक उसे सही तरीके से रिकॉर्ड और रिपोर्ट न किया जाए।
1. दस्तावेजीकरण (Documentation)
शिक्षक को आकलन के दौरान निरंतर डेटा रिकॉर्ड करना होता है।
- बेसलाइन रिकॉर्ड: शिक्षण शुरू करने से पहले की स्थिति।
- चेकलिस्ट मार्किंग: MDPS या FACP शीट पर तारीख के साथ A (Independent) या B (Dependent) मार्क करना।
- एनेकडोटल रिकॉर्ड (Anecdotal Record): बच्चे के व्यवहार की किसी विशिष्ट घटना का विवरण लिखना (जैसे: “आज राहुल ने पहली बार बिना कहे अपनी टिफिन खोली”)।
2. व्याख्या (Interpretation)
डेटा का अर्थ समझना ही व्याख्या है।
- उदाहरण 1: यदि बच्चा ‘Basic-MR’ के पार्ट A में उच्च स्कोर करता है, तो इसका मतलब है कि उसमें गंभीर व्यवहारिक समस्याएं हैं और IEP में पहली प्राथमिकता ‘व्यवहार परिमार्जन’ (Behavior Modification) होनी चाहिए, न कि पढ़ाई।
- उदाहरण 2: यदि बच्चा FACP में सामाजिक कौशल में कमजोर है, तो उसे समूह गतिविधियों में अधिक शामिल करने की आवश्यकता है।
3. रिपोर्ट लेखन (Report Writing)
एक अच्छी आकलन रिपोर्ट वह है जिसे माता-पिता और अन्य पेशेवर आसानी से समझ सकें। रिपोर्ट में तकनीकी शब्दों का कम से कम प्रयोग होना चाहिए या उन्हें कोष्ठक में समझाया जाना चाहिए।
आदर्श रिपोर्ट का ढांचा:
- जैव-डेटा (Bio-data): नाम, उम्र, लिंग, पता, निदान (Diagnosis)।
- रेफरल का कारण: आकलन क्यों किया गया?
- पृष्ठभूमि का इतिहास: जन्म, विकास और पारिवारिक इतिहास।
- उपयोग किए गए उपकरण: (जैसे: MDPS, Observation)।
- वर्तमान कार्य स्तर (Current Level):
- बच्चा क्या कर सकता है (Strengths)।
- बच्चा क्या नहीं कर सकता (Needs/Weaknesses)।
- ध्यान दें: रिपोर्ट हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। “बच्चा कुछ नहीं जानता” के बजाय लिखें “बच्चे को अभी इस कौशल में मदद की जरूरत है”।
- सिफारिशें (Recommendations):
- सुझाए गए IEP लक्ष्य।
- थेरेपी की आवश्यकता (Speech/Physio)।
- माता-पिता के लिए घर पर करने योग्य गतिविधियां।
निष्कर्ष:
बौद्धिक अक्षमता वाले छात्रों के आकलन में MDPS और FACP जैसे उपकरण शिक्षक के सबसे बड़े हथियार हैं। एक विशेष शिक्षक को इन टूल्स का उपयोग केवल औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि बच्चे की वास्तविक क्षमता को बाहर लाने और उसे समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए करना चाहिए।
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