विकलांग व्यक्तियों की विशेषताएँ, घटना-दर, प्रसार, प्रकार एवं आवश्यकताएँ
⭐ Introduction to Unit 3
Disability एक बहुआयामी अवधारणा है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन, शिक्षा, समाज, रोजगार, संचार, और स्वतंत्रता पर पड़ता है। विकलांगता केवल शारीरिक क्षमता का अभाव नहीं है, बल्कि ऐसे पर्यावरण, संरचनाएँ, दृष्टिकोण और सामाजिक व्यवस्थाएँ भी हैं जो व्यक्तियों की क्षमताओं को पूर्ण रूप से उपयोग करने में बाधा बनती हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विकलांगता को केवल एक चिकित्सीय स्थिति की तरह नहीं देखा जाता, बल्कि इसे मानव विविधता का एक स्वाभाविक अंग माना जाता है।
Unit 3 का उद्देश्य विभिन्न विकलांगताओं के स्वभाव (Characteristics), घटनादर (Incidence), प्रचलन (Prevalence), प्रकार (Types) और जरूरतों (Needs) को गहराई से समझना है। ये सभी जानकारियाँ Inclusive Education के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि प्रत्येक विकलांगता के सीखने, व्यवहार, संचार और भागीदारी पर अलग-अलग प्रभाव होते हैं। यदि शिक्षक को विकलांगताओं का वास्तविक और संवेदनशील ज्ञान हो, तो वह बेहतर, सहानुभूतिपूर्ण और प्रभावी शिक्षण प्रदान कर सकता है।
⭐ 3.1 Locomotor Disabilities and Muscular Dystrophy
⭐ Locomotor Disabilities – Characteristics (विशेषताएँ)
Locomotor Disability में शरीर की गतिविधियों, चलने-फिरने, संतुलन बनाए रखने और हाथ-पैर की क्रियाओं को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि व्यक्ति का शरीर स्वतंत्र रूप से वह कार्य नहीं कर पाता जो सामान्य रूप से बहुत सहज होते हैं। इसमें कई प्रकार की मांसपेशीय, अस्थि (bone), जोड़ (joint), तंत्रिका (nerve) और spinal cord से संबंधित समस्याएँ शामिल होती हैं।
Locomotor Disability वाले व्यक्ति अक्सर चलते समय अस्थिरता महसूस करते हैं। उन्हें स्वाभाविक गति से चलने और दिशा बदलने में कठिनाई होती है। कई मामलों में शरीर का संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है, जिससे बार-बार गिरने की संभावना रहती है। इसके अलावा, हाथों से जुड़ी सूक्ष्म गतिविधियाँ जैसे बटन लगाना, पेन पकड़ना, खाना परोसना, जूते बाँधना आदि में भी कठिनाई होती है। मांसपेशियों में कमजोरी व्यक्ति को थकान महसूस कराती है, जिससे वह तेजी से कार्य नहीं कर पाता।
Locomotor Disabilities के कारण बच्चे अक्सर खेलकूद, दौड़ने, चढ़ने, कूदने या शारीरिक गतिविधियों में पीछे रह जाते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास पर भी प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में वे लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठ नहीं पाते और कई बार बार-बार पोज़िशन बदलने की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चों को कक्षा में प्रवेश, शौचालय जाने, या अलग-अलग मंज़िलों तक पहुँचने में सहायता की आवश्यकता होती है।
⭐ Locomotor Disabilities – Incidence & Prevalence (घटनादर और प्रचलन)
भारत और विश्व में Locomotor Disabilities का प्रचलन काफी महत्वपूर्ण है। भारत की जनगणना और WHO के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 1.5% जनसंख्या किसी-न-किसी रूप में locomotor impairment से प्रभावित है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर अधिक है क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित, प्रसव सेवाएँ कमज़ोर और पोषण असमान होता है। दुर्घटनाएँ भी एक प्रमुख कारण हैं, विशेषकर सड़क दुर्घटनाएँ जो spinal cord injury और अम्प्यूटेशन जैसी स्थितियों को जन्म देती हैं।
Polio भारत में पहले अत्यधिक प्रचलित कारण था, हालांकि अब भारत पोलियो मुक्त है, लेकिन इसके प्रभाव आज भी कई व्यक्तियों में दिखाई देते हैं। लड़कों में locomotor disability का प्रतिशत अधिक पाया जाता है क्योंकि वे बाहरी गतिविधियों में अधिक शामिल होते हैं, जिससे चोटों की संभावना बढ़ती है।
⭐ Locomotor Disabilities – Types (प्रकार)
Locomotor Disabilities कई कारणों से उत्पन्न होती हैं। कुछ जन्मजात होती हैं, जबकि कई जीवन के दौरान दुर्घटना, संक्रमण, ऑपरेशन या बीमारियों के कारण होती हैं।
उदाहरणस्वरूप—
Polio-related disability में तंत्रिका क्षति के कारण मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और पैर का आकर असमान हो सकता है।
Amputation दुर्घटनाओं, युद्ध, संक्रमण या शल्य चिकित्सा के कारण अंग कटने की स्थिति है, जिससे व्यक्ति की गतिशीलता सीमित हो जाती है।
Spinal Cord Injury सबसे गंभीर स्थितियों में से एक है क्योंकि यह व्यक्ति की चलने-फिरने की क्षमता को पूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है।
Arthritis Related Disabilities में जोड़ों की सूजन या दर्द के कारण movement अत्यधिक सीमित हो जाता है।
⭐ Locomotor Disabilities – Needs (शैक्षिक व सामाजिक आवश्यकताएँ)
Locomotor Disabilities के साथ रहने वाले व्यक्तियों के लिए मुख्य आवश्यकता है—accessible learning environment। कक्षा में ramps, wide doors, barrier-free toilets, accessible seating जैसे प्रावधान उन्हें स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने में सक्षम बनाते हैं।
शैक्षिक दृष्टि से उन्हें modified writing tasks, extra time, assistive tools (writing boards, grips), scribe की आवश्यकता होती है। नियमित physiotherapy और occupational therapy उनके शारीरिक विकास में सहायक होती है। शिक्षक को यह समझना ज़रूरी है कि ऐसे बच्चे धीमी गति से चलते हैं, इसलिए उन्हें जल्दबाज़ी में काम करवाना तनाव पैदा कर सकता है।
उनकी मनोवैज्ञानिक आवश्यकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर वे अपने शारीरिक अंतर के कारण हीनभावना (inferiority complex) का अनुभव करते हैं। शिक्षक द्वारा सकारात्मक प्रोत्साहन और कक्षा में peer support उन्हें आत्मविश्वास देता है।
⭐ Muscular Dystrophy – Characteristics (विशेषताएँ)
Muscular Dystrophy (MD) एक genetic disorder है जिसमें मांसपेशियों की शक्ति और आकार धीरे-धीरे कम होता जाता है। MD की सबसे मुख्य विशेषता है—progressive weakness, अर्थात यह समय के साथ बढ़ती रहती है। यह विकलांगता बच्चे की चलने, दौड़ने, खड़े रहने, सीढ़ियाँ चढ़ने और संतुलन बनाए रखने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देती है।
MD में मांसपेशियों की कोशिकाएँ सामान्य रूप से काम नहीं करतीं और धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। बच्चे रोज़मर्रा की गतिविधियों से जल्दी थक जाते हैं और उन्हें बार-बार बैठकर आराम करना पड़ता है। कई बच्चे देर से चलना सीखते हैं, और बड़े होने पर wheelchair की आवश्यकता हो सकती है।
यह condition emotional challenges भी पैदा करती है क्योंकि बच्चा अपनी प्रगति (progress) को पीछे जाते हुए महसूस करता है। परिवार और साथियों का संवेदनशील व्यवहार बेहद आवश्यक होता है।
⭐ Muscular Dystrophy – Types (प्रकार)
Duchenne Muscular Dystrophy (DMD)
सबसे common और तेजी से बढ़ने वाला प्रकार। आमतौर पर लड़कों में होता है क्योंकि यह X-linked genetic condition है। बच्चे लगभग 10–12 वर्ष की आयु तक चलने में कठिनाई अनुभव करते हैं।
Becker Muscular Dystrophy
DMD जैसा होता है लेकिन प्रगति धीमी और कम severe होती है।
Myotonic Dystrophy
हाथ-पैर की मांसपेशियों में कठोरता (stiffness) एक मुख्य विशेषता है।
⭐ Muscular Dystrophy – Needs (आवश्यकताएँ)
MD वाले बच्चे को frequent rest breaks, modified physical activities और emotional support की आवश्यकता होती है। शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें writing support, assistive devices और exam accommodations जैसे extra time और scribe की आवश्यकता होती है। Physiotherapy, respiratory care और supportive counseling उनकी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
⭐ 3.2 Cerebral Palsy and Other Neurological Conditions
⭐ Cerebral Palsy – Characteristics (विशेषताएँ)
Cerebral Palsy (CP) एक non-progressive neurological disability है, जिसका मतलब है कि brain injury बढ़ती नहीं है, लेकिन उसके प्रभाव जीवनभर रहते हैं। इसकी विशेषताएँ movement, posture और coordination से संबंधित होती हैं।
CP में मांसपेशियाँ या तो बहुत stiff (spastic) होती हैं या बहुत ढीली। बच्चे अक्सर संतुलन नहीं बना पाते, चलने में कठिनाई होती है, और कई बार बोलने में भी दिक्कत आती है। कुछ बच्चों में सीखने में कठिनाई (cognitive issues) होती है और कुछ में seizures भी होते हैं।
⭐ Cerebral Palsy – Types (प्रकार)
Spastic CP सबसे common प्रकार है, जिसमें muscles अत्यधिक कठोर होती हैं।
Dyskinetic CP में शरीर अनियंत्रित रूप से हिलता रहता है।
Ataxic CP में balance नियंत्रित नहीं रहता।
Mixed CP इनका मिश्रण होता है।
⭐ Cerebral Palsy – Needs (आवश्यकताएँ)
CP वाले छात्र को special seating, IEP, communication support, AAC devices, physiotherapy, occupational therapy, behavior support, और exam modifications की आवश्यकता होती है। उनके लिए structured और predictable वातावरण बहुत मददगार होता है।
⭐ Other Neurological Conditions – Characteristics & Needs
Neurological conditions जैसे Epilepsy, Multiple Sclerosis, Parkinson’s आदि में तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। इसकी विशेषताएँ—seizures, मोटर कठिनाइयाँ, coordination issues और memory challenges शामिल हैं। Needs में safe environment, medication management, slow pace teaching और emotional support आते हैं।
⭐ 3.3 Blindness and Low Vision
⭐ Blindness – Characteristics
Blindness में व्यक्ति को कोई दृश्य जानकारी नहीं मिलती या बहुत सीमित मिलती है। व्यक्ति Braille पर निर्भर होता है। उसे mobility support, tactile learning और auditory learning की आवश्यकता होती है।
⭐ Low Vision – Characteristics
Low vision में व्यक्ति print पढ़ सकता है लेकिन सहायता के साथ। उसे magnifiers, large print, bright light और high contrast की आवश्यकता होती है।
⭐ Needs
दोनों स्थितियों में accessible study material, Braille, audio books, digital screen readers, orientation & mobility training, और supportive environment अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
⭐ 3.4 Hearing Impairment
⭐ Characteristics
Hearing Impairment में व्यक्ति sound को कम या बिलकुल नहीं सुन पाता, जिसके कारण speech development प्रभावित होती है। communication challenges, misinterpretation और social isolation बहुत common हैं।
⭐ Needs
Sign Language, visual support, captioned videos, repetition, clear speech, front seating और hearing aids जैसे technological support आवश्यक होते हैं।
⭐ 3.5 Speech & Language Disabilities
⭐ Characteristics
Speech & Language Disabilities में व्यक्ति को बोलने, शब्द बनाने, आवाज़ नियंत्रित करने और भाषा को समझने में कठिनाई होती है। Stammering, articulation errors और expressive language difficulty आम विशेषताएँ हैं।
⭐ Needs
Speech therapy, slow-paced instruction, language-rich activities, visual cues, emotional support और safe वातावरण बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
⭐ Conclusion
Unit 3 हमें यह समझाता है कि हर disability अपनी अलग संरचना, कारण, प्रभाव और सीखने की आवश्यकताओं के साथ आती है। Inclusive Education का लक्ष्य तभी सफल हो सकता है जब शिक्षक इन विविधताओं को गहराई से समझे, उनका सम्मान करे और प्रत्येक विद्यार्थी के लिए उपयुक्त supportive environment तैयार करे।
Mind Map:
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│ UNIT 3 – Disabilities │
│ Characteristics, Types, Needs, Prevalence│
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│ 3.1 Locomotor │ │ 3.2 Cerebral Palsy │ │ 3.3 Blindness & │
│ Disabilities & MD │ │ & Neurological Conditions│ │ Low Vision │
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• Movement difficulty • Motor impairments • Blind: No functional vision
• weak muscles • Balance problems • Low Vision: partial vision
• Poor coordination • Speech challenges • Light sensitivity
• Assistive devices • Seizures (some cases) • Needs: Braille, audio,
• Incidence: 1.5% (India) • Types: Spastic, Dyskinetic, Ataxic screen readers, mobility
• Needs: ramps, therapy, AT • Needs: physio, OT, AAC, IEP training, large print
• MD: Progressive weakness • Neurological issues: Epilepsy, MS • Prevalence: 0.3% India
• Needs: rest, emotional support Needs: safety, medication
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│ 3.4 Hearing Impairment │ │ 3.5 Speech & Language │
└──────────────────────────┘ │ Disabilities │
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• Difficulty hearing sounds • Stammering, articulation
• Speech delay errors
• Needs: ISL, captions, • Delayed speech
visual support, hearing aids • Needs: speech therapy,
• Types: mild → profound language-rich environment
• Prevalence: ~1% India • Confidence support
B.Ed Special Education (ID), B.com & M.Com
Founder – ✨ Notes4SpecialEducation✨
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