Learning characteristics of students with ASD

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले छात्रों की सीखने की विशेषताएं

🧩 Introduction to ASD (Introduction, Concept, Etiology, Prevalence)

Autism Spectrum Disorder (ASD) जिसे हिंदी में ‘स्वलीनता’ कहा जाता है, एक जटिल स्नायु-विकासात्मक (Neurodevelopmental) स्थिति है।

A. Concept & Definition (अवधारणा और परिभाषा)

  • “Autism” शब्द ग्रीक शब्द “Autos” से बना है, जिसका अर्थ है “Self” (स्वयं)। इसका शाब्दिक अर्थ है “अपने आप में खोया रहना”।
  • DSM-5 Definition: ऑटिज्म एक स्पेक्ट्रम विकार है जो दो मुख्य क्षेत्रों में कठिनाइयों द्वारा पहचाना जाता है (Dyad of Impairments):
    1. सामाजिक संचार और सामाजिक संपर्क में लगातार कमी (Deficits in Social Communication & Interaction).
    2. सीमित, दोहराव वाले व्यवहार, रुचियां या गतिविधियां (Restricted, repetitive patterns of behavior).

B. Historical Perspective (ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य)

  • 1943 (Leo Kanner): डॉ. लियो केनर ने 11 बच्चों का अध्ययन किया और इसे “Early Infantile Autism” नाम दिया। उन्होंने देखा कि ये बच्चे लोगों से ज्यादा “चीजों” में रुचि रखते थे।
  • 1944 (Hans Asperger): हंस एस्परगर ने ऐसे बच्चों का वर्णन किया जो बौद्धिक रूप से तेज थे लेकिन सामाजिक रूप से अजीब थे। इसे बाद में “Asperger’s Syndrome” कहा गया।
  • Refrigerator Mother Theory (A Dark Phase): 1950-60 के दशक में ब्रूनो बेटेलहाइम ने गलत सिद्धांत दिया कि “ठंडी और भावहीन माताओं” (Refrigerator Mothers) के कारण ऑटिज्म होता है। आधुनिक विज्ञान ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है। यह एक जैविक स्थिति है, परवरिश की गलती नहीं।

C. Etiology (कारण – Aetiology)

ऑटिज्म का कोई “एक” कारण नहीं है। यह “आनुवंशिकी और पर्यावरण” (Genetics + Environment) का मिश्रण है।

  1. Genetics (आनुवंशिकी): यदि एक जुड़वां बच्चे (Identical Twin) को ऑटिज्म है, तो दूसरे को होने की संभावना 70-90% है। कई जीन्स इसमें शामिल हैं।
  2. Neurological Factors: मस्तिष्क के कुछ हिस्सों (जैसे Amygdala – भावनाओं के लिए, Cerebellum – गति के लिए) की संरचना या कार्यप्रणाली में अंतर होता है।
  3. Environmental Factors: अधिक उम्र के माता-पिता, गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाएं (Valproic acid), या समय से पहले जन्म।
    • Note: टीकों (Vaccines) से ऑटिज्म नहीं होता। यह एक सिद्ध मिथक है।

D. Myths vs Facts (मिथक और तथ्य)

  • Myth: ऑटिज्म वाले बच्चे प्यार महसूस नहीं करते।
  • Fact: वे प्यार महसूस करते हैं, बस उसे व्यक्त करने का तरीका अलग होता है।
  • Myth: सभी ऑटिस्टिक बच्चे “Rain Man” (गणित के जादूगर) होते हैं।
  • Fact: ‘Savant Skills’ (अद्भुत प्रतिभा) केवल 10% मामलों में होती है। बाकी स्पेक्ट्रम में औसत या औसत से कम बुद्धि वाले बच्चे भी होते हैं।

🌈 Understanding the Spectrum of Autism

“Spectrum” शब्द का अर्थ है कि हर बच्चे में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं—हल्के (Mild) से लेकर गंभीर (Severe) तक।

A. The “Dyad” of Impairments (कठिनाइयों के दो स्तंभ)

DSM-IV में इसे “Triad” (तिकड़ी) कहा जाता था, लेकिन DSM-5 ने इसे दो मुख्य श्रेणियों में मिला दिया है:

1. Social Communication & Interaction (सामाजिक संचार और संपर्क)

  • Social-Emotional Reciprocity: बातचीत को आगे-पीछे (Back-and-forth) जारी न रख पाना। भावनाओं को साझा न करना।
  • Non-verbal Communication:
    • Eye Contact: बात करते समय नजरें नहीं मिलाना।
    • Gestures: ‘बाय-बाय’ करने के लिए हाथ न हिलाना या चीजों की तरफ इशारा (Pointing) न करना।
    • Facial Expressions: चेहरे पर भावों की कमी (Flat affect)।
  • Relationships: दोस्त बनाने या खेल में शामिल होने में रुचि न होना। वे अक्सर “अकेले” (Solitary play) खेलना पसंद करते हैं।

2. Restricted & Repetitive Behaviors (RRBs – सीमित और दोहराव वाले व्यवहार)

  • Stereotyped Movements (Stimming): हाथ फड़फड़ाना (Hand flapping), गोल घूमना, उंगलियों को आंखों के सामने हिलाना। यह उन्हें शांत होने में मदद करता है।
  • Inflexibility (कठोरता): दिनचर्या (Routine) में बदलाव से अत्यधिक परेशान होना। उन्हें सब कुछ “Same” चाहिए।
  • Fixated Interests: किसी एक विषय पर अत्यधिक रुचि (जैसे केवल डायनासोर या पंखों के बारे में बात करना)।
  • Sensory Issues: रोशनी, आवाज या कपड़ों के टेक्सचर के प्रति अति-संवेदनशीलता।

🧠 Neurocognitive Theories (स्नायु-संज्ञानात्मक सिद्धांत)

यह यूनिट का सबसे तकनीकी और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह समझाता है कि ऑटिस्टिक बच्चे का दिमाग “कैसे” अलग सोचता है। शिक्षक के लिए यह जानना जरूरी है ताकि वह सही शिक्षण विधि चुन सके।

1. Theory of Mind (ToM) – “Mindblindness”

  • Concept: यह समझने की क्षमता कि “दूसरों के विचार, भावनाएं और ज्ञान मेरे से अलग हो सकते हैं”।
  • Deficit in ASD: ऑटिस्टिक बच्चों को अक्सर लगता है कि “जो मैं जानता हूं, वही सब जानते हैं”। उन्हें दूसरों के नजरिए (Perspective Taking) को समझने में कठिनाई होती है।
  • Relevance in Classroom:
    • बच्चा “झूठ” या “मजाक” नहीं समझ पाता।
    • वह अनजाने में कुछ ऐसा कह सकता है जो दूसरों को बुरा लगे (Rude), क्योंकि उसे सामाजिक संदर्भ समझ नहीं आता।
    • Teaching Tip: शिक्षक को “Social Stories” का उपयोग करना चाहिए जो स्पष्ट रूप से सामाजिक नियमों को समझाएं।

2. Executive Functioning (EF) – “The CEO of Brain”

  • Concept: योजना बनाना (Planning), आवेग नियंत्रण (Impulse control), और काम शुरू/खत्म करना। यह दिमाग के Frontal Lobe का काम है।
  • Deficit in ASD: उन्हें “योजना बनाने” और “मल्टीटास्किंग” में दिक्कत होती है। अगर एक तरीका काम नहीं करता, तो वे दूसरा तरीका नहीं ढूँढ पाते (Stuck in a loop)।
  • Relevance in Classroom:
    • बच्चा अपना बैग पैक करना या होमवर्क व्यवस्थित करना भूल सकता है।
    • वह एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि में जाने (Transition) में परेशान हो जाता है।
    • Teaching Tip: कार्यों को छोटे चरणों में तोड़ें (Task Analysis) और Visual Checklists का उपयोग करें।

3. Weak Central Coherence (WCC) – “Trees vs Forest”

  • Concept: सामान्य लोग चीजों को “समग्र रूप” (Big Picture) में देखते हैं। इसे Central Coherence कहते हैं।
  • Deficit in ASD: ऑटिस्टिक बच्चे “विवरण” (Details) पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन “पूरी तस्वीर” नहीं देख पाते।
    • Example: एक साइकिल की तस्वीर में, वे पहिए के पेंच को देखेंगे, लेकिन यह नहीं समझ पाएंगे कि यह साइकिल है।
  • Relevance in Classroom:
    • वे पहेलियां (Puzzles) हल करने में बहुत तेज हो सकते हैं (विवरण देखने की क्षमता)।
    • लेकिन वे पाठ का “मुख्य सार” (Summary) समझने में फेल हो सकते हैं।
    • Teaching Tip: उन्हें पहले “Concept” समझाएं, फिर “Details” पर जाएं।

👂 Sensory Processing in Autism (संवेदी प्रसंस्करण)

ऑटिज्म में दिमाग इंद्रियों (Senses) से मिलने वाली जानकारी को अलग तरह से प्रोसेस करता है। इसे Sensory Processing Disorder (SPD) भी कहते हैं।

A. The Senses (इंद्रियां)

5 मुख्य इंद्रियों (देखना, सुनना, सूंघना, चखना, छूना) के अलावा 2 और होती हैं:

  1. Vestibular: संतुलन और गति का ज्ञान (कान के अंदर)।
  2. Proprioception: शरीर की स्थिति का ज्ञान (जोड़ों और मांसपेशियों में)।

B. Types of Processing Issues

  1. Hyper-sensitive (अति-संवेदनशील):
    • लक्षण: थोड़ी सी आवाज (कुकर की सीटी, मिक्सर) से कान बंद कर लेना। कपड़ों के टैग चुभना। रोशनी से आंखें चुंधियाना।
    • व्यवहार: बच्चा भाग सकता है (Avoidance) या रो सकता है (Meltdown)।
  2. Hypo-sensitive (अल्प-संवेदनशील):
    • लक्षण: दर्द महसूस न होना। जोर-जोर से गिरना या दीवारों से टकराना।
    • व्यवहार: बच्चा संवेदी इनपुट की “तलाश” करता है (Sensory Seeking) – जैसे गोल घूमना, कूदना, या चीजों को मुंह में डालना।

C. Classroom Management for Sensory Issues

  • Sensory Corner: क्लास में एक शांत कोना बनाएं जहाँ बच्चा “Overload” होने पर जा सके।
  • Fidget Toys: ध्यान केंद्रित करने के लिए स्क्विशी बॉल या फिजेट स्पिनर दें।
  • Headphones: शोर कम करने वाले हेडफोन (Noise-canceling headphones)।

📝 Learning Characteristics and Styles

ऑटिस्टिक बच्चे “Visual Thinkers” होते हैं। टेंपल ग्रैंडिन (प्रसिद्ध ऑटिस्टिक वैज्ञानिक) ने कहा था: “I think in pictures” (मैं चित्रों में सोचती हूं)।

A. Learning Characteristics (सीखने की विशेषताएं)

  1. Visual Learners: वे सुनकर नहीं, देखकर सीखते हैं। बोले गए शब्द हवा में गायब हो जाते हैं, लेकिन चित्र हमेशा रहते हैं।
  2. Rote Memory (रटने की क्षमता): उनकी याददाश्त (तथ्यों, तारीखों, रास्तों के लिए) बहुत तेज हो सकती है।
  3. Literal Interpretation: वे शब्दों का शाब्दिक अर्थ निकालते हैं।
    • Example: अगर शिक्षक कहे “अपनी सीट पर चिपक जाओ” (Sit still), तो वे गोंद ढूंढने लगेंगे। मुहावरों से बचें।
  4. Difficulty with Generalization: उन्होंने स्कूल में “नमस्ते” करना सीखा, तो वे घर पर मेहमानों को नमस्ते नहीं करेंगे। उन्हें लगता है कि यह नियम केवल स्कूल के लिए है।
  5. Prompt Dependency: अगर उन्हें हर बार मदद (Prompt) दी जाए, तो वे मदद का इंतजार करने लगते हैं, खुद नहीं करते।

B. Teaching Strategies based on Learning Style (शिक्षण रणनीतियां)

  1. TEACCH Model / Structured Teaching:
    • कक्षा का वातावरण व्यवस्थित रखें।
    • Visual Schedules: “अब क्या करना है” और “इसके बाद क्या” – इसे चित्रों के माध्यम से दीवार पर लगाएं।
  2. Priming (पूर्व-तैयारी):
    • पाठ शुरू करने से पहले उन्हें बता दें कि आज हम क्या पढ़ने वाले हैं। इससे उनकी चिंता (Anxiety) कम होती है।
  3. Use of Interests:
    • अगर बच्चे को “ट्रेन” पसंद है, तो गणित सिखाने के लिए ट्रेन के डिब्बों का उपयोग करें।
  4. Concrete to Abstract:
    • पहले ठोस वस्तुएं दिखाएं, फिर अमूर्त अवधारणाएं समझाएं।

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