Unit 2: विकासात्मक विकलांगता वाले छात्रों की सीखने की विशेषताएं
🧠 Introduction: The Unique Architecture of Learning
प्रत्येक बच्चा एक अलग तरह से सीखता है। जैसे हर ताले की एक अलग चाबी होती है, वैसे ही हर बच्चे के दिमाग को खोलने का एक अलग तरीका होता है। विशेष शिक्षा (Special Education) में, हमारा काम बच्चे को “बदलना” नहीं है, बल्कि उसके “सीखने के तरीके” (Learning Style) को पहचानकर अपनी “पढ़ाने की विधि” (Teaching Method) को बदलना है।
यूनिट 2 हमें यही सिखाती है कि हम अपने छात्रों की सीखने की विशेषताओं को कैसे पहचानें और उनके अनुसार कैसे पढ़ाएं।
📚 2.1 Concept and Meaning of Learning Characteristics (सीखने की विशेषताओं की अवधारणा और अर्थ)
A. Defining “Learning Characteristics” (परिभाषा)
सीखने की विशेषताएं वे विशिष्ट तरीके, गुण और व्यवहार हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि एक छात्र नई जानकारी को कैसे ग्रहण (Receive) करता है, संसाधित (Process) करता है, और याद (Retain) रखता है।
यह केवल “बुद्धिमानी” (Intelligence) के बारे में नहीं है। यह इस बारे में है कि:
- बच्चा जानकारी को कैसे अंदर लेता है? (Input)
- दिमाग उस जानकारी के साथ क्या करता है? (Processing)
- बच्चा उस जानकारी का उपयोग कैसे करता है? (Output)
B. Components of Learning Characteristics (घटक)
एक छात्र की सीखने की विशेषताएं इन चार स्तंभों पर टिकी होती हैं:
- Cognitive Style (संज्ञानात्मक शैली):
- क्या बच्चा “Global Learner” है (पहले पूरी तस्वीर देखना पसंद करता है)?
- या “Analytical Learner” है (पहले छोटे-छोटे विवरण देखना पसंद करता है)?
- विकासात्मक विकलांगता (जैसे ID) वाले बच्चों में अक्सर Short Attention Span (कम ध्यान अवधि) और Poor Memory (कमजोर याददाश्त) होती है।
- Psychosocial Factors (मनोसामाजिक कारक):
- Motivation: क्या बच्चा आंतरिक रूप से प्रेरित (Intrinsic) है या उसे टॉफी/तारीफ (Extrinsic) चाहिए?
- Anxiety: क्या नई चीजें सीखते समय वह डर जाता है?
- Impulsivity: क्या वह बिना सोचे-समझे जवाब देता है (ADHD लक्षण)?
- Physical/Sensory Factors (शारीरिक/संवेदी कारक):
- क्या उसे देखकर (Visual) सीखना पसंद है या सुनकर (Auditory)?
- क्या उसे एक जगह बैठना मुश्किल लगता है (Hyperactivity)?
- क्या उसे रोशनी या शोर से संवेदी समस्या (Sensory Issue) है?
- Environmental Preferences (पर्यावरणीय प्राथमिकताएं):
- क्या उसे शांत कमरा चाहिए या थोड़ा शोर चलता है?
- क्या उसे तेज रोशनी चाहिए या हल्की?
C. Why is this important for IDD? (IDD के लिए महत्व)
सामान्य शिक्षा में, शिक्षक “एक ही लाठी से सबको हांकते” हैं (One size fits all)। लेकिन IDD (Intellectual and Developmental Disabilities) में यह असंभव है।
- एक Autistic बच्चा शायद सुनकर न सीख पाए, लेकिन देखकर तुरंत सीख ले।
- एक Dyslexic बच्चा पढ़कर न सीख पाए, लेकिन सुनकर याद कर ले।
- निष्कर्ष: “If a child can’t learn the way we teach, maybe we should teach the way they learn.” (इग्नासियो एस्ट्राडा)
🎨 2.2 Varied Types of Learners (सीखने वालों के विविध प्रकार)
सबसे लोकप्रिय और व्यावहारिक मॉडल VAK Model (Visual, Auditory, Kinesthetic) है। आइए इसे गहराई से समझें।
A. Visual Learners (दृश्य शिक्षार्थी) – “I see what you mean”
ये वे बच्चे हैं जो देखकर सबसे अच्छा सीखते हैं। जानकारी उनके दिमाग में “चित्रों” (Images) के रूप में जाती है।
Characteristics (विशेषताएं):
- चेहरे और जगहें याद रखते हैं, लेकिन नाम भूल सकते हैं।
- निर्देश सुनने के बजाय पढ़ना या डेमो देखना पसंद करते हैं।
- रंगों (Colors) और आकृतियों (Shapes) के प्रति आकर्षित होते हैं।
- अक्सर डूडलिंग (Doodling) करते हैं या नोट्स बनाते हैं।
- IDD Context: ऑटिज्म (ASD) वाले बच्चे अक्सर बहुत मजबूत ‘Visual Learners’ होते हैं। वे शब्दों से ज्यादा चित्रों (Picture Cards) को समझते हैं।
Teaching Strategies (पढ़ाने के तरीके):
- Flashcards: शब्दों और चित्रों वाले फ्लैशकार्ड्स का उपयोग करें।
- Color Coding: महत्वपूर्ण जानकारी को अलग-अलग रंगों से हाइलाइट करें (जैसे संज्ञा लाल रंग में, क्रिया हरे रंग में)।
- Charts & Mind Maps: जानकारी को चार्ट के रूप में दिखाएं।
- Videos: पाठ के बजाय वीडियो दिखाएं।
- Visual Schedules: दिनचर्या को चित्रों के माध्यम से दीवार पर लगाएं।
B. Auditory Learners (श्रवण शिक्षार्थी) – “I hear what you say”
ये वे बच्चे हैं जो सुनकर और बोलकर सबसे अच्छा सीखते हैं।
Characteristics (विशेषताएं):
- निर्देशों को सुनकर आसानी से समझ लेते हैं।
- पढ़ते समय होंठ हिलाते हैं या जोर से पढ़ते हैं।
- संगीत और ताल (Rhythm) पसंद करते हैं।
- चर्चा (Discussion) करना और प्रश्न पूछना पसंद करते हैं।
- शोर से जल्दी विचलित (Distracted) हो जाते हैं।
Teaching Strategies (पढ़ाने के तरीके):
- Discussion: कक्षा में बात करने का मौका दें।
- Audio Books: पाठ को रिकॉर्ड करके सुनाएं।
- Rhymes & Songs: गणित के फॉर्मूले या दिनों के नाम गानों के माध्यम से सिखाएं।
- Verbal Instructions: लिखित निर्देश के साथ-साथ बोलकर भी समझाएं।
- Peer Tutoring: उन्हें दूसरे बच्चों को समझाने दें (बोलने से उनकी याददाश्त पक्की होती है)।
C. Tactile/Kinesthetic Learners (स्पर्श/गामक शिक्षार्थी) – “Let me try it”
ये “Doers” (करने वाले) हैं। वे चुपचाप बैठकर नहीं सीख सकते। उन्हें गति (Movement) और स्पर्श (Touch) चाहिए।
Characteristics (विशेषताएं):
- लंबे समय तक एक जगह बैठना मुश्किल लगता है (Fidgeting)।
- बात करते समय हाथों का बहुत इस्तेमाल करते हैं (Gestures)।
- चीजों को छूकर, तोड़कर या जोड़कर समझते हैं।
- पढ़ाई में कमजोर हो सकते हैं, लेकिन खेलकूद या कला में अच्छे होते हैं।
- IDD Context: ADHD वाले बच्चे अक्सर Kinesthetic होते हैं।
Teaching Strategies (पढ़ाने के तरीके):
- Hands-on Activities: मिट्टी (Clay), ब्लॉक, या रेत (Sand) से अक्षर बनवाना।
- Role Play: कहानी को नाटक करके सिखाना।
- Field Trips: कक्षा से बाहर ले जाकर सिखाना।
- Movement Breaks: हर 15 मिनट बाद “स्ट्रेचिंग” या “जंपिंग” ब्रेक दें।
- Floor Activities: टेबल-कुर्सी के बजाय जमीन पर बैठकर गतिविधियाँ कराएं।
🛠️ 2.3 Basic Principles in Identifying Learning Styles & Multiple Intelligences
शिक्षक को कैसे पता चलेगा कि बच्चे का स्टाइल क्या है? और क्या सीखने का केवल एक ही तरीका होता है?
A. Basic Principles in Identifying Learning Styles (पहचान के सिद्धांत)
सीखने की शैली की पहचान कोई “जादू” नहीं है, यह “अवलोकन” (Observation) का विज्ञान है।
1. Observation (सतत अवलोकन): शिक्षक को बच्चे को विभिन्न स्थितियों में देखना चाहिए:
- Free Play: वह कौन से खिलौने चुनता है? (पजल = Visual/Logical, संगीत वाला खिलौना = Auditory, भागना = Kinesthetic)।
- Problem Solving: जब वह फंसता है, तो क्या करता है? (मदद मांगता है = Auditory, चीजों को इधर-उधर करता है = Kinesthetic)।
2. Checklists and Interviews:
- माता-पिता से पूछें: “घर पर यह टीवी ज्यादा देखता है या बाहर खेलता है?”
- मानकीकृत चेकलिस्ट (VAK Questionnaires) का उपयोग करें (सरल हिंदी में अनुकूलित)।
3. Trial and Error (प्रयास और त्रुटि):
- एक ही अवधारणा को तीन अलग-अलग तरीकों से पढ़ाएं और देखें कि बच्चा किसमें सबसे जल्दी प्रतिक्रिया देता है।
- तरीका 1: चित्र दिखाएं (Visual).
- तरीका 2: कहानी सुनाएं (Auditory).
- तरीका 3: मॉडल बनाने दें (Kinesthetic).
4. Pattern Recognition:
- एक बार के व्यवहार पर निर्णय न लें। देखें कि क्या बच्चा बार-बार (Consistently) एक ही विधि को पसंद करता है।
B. Concept of Multiple Intelligences (बहु-बुद्धि का सिद्धांत)
Howard Gardner (1983) ने शिक्षा जगत में क्रांति ला दी। उन्होंने कहा: “It’s not how smart you are, it’s how you are smart.” (यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कितने बुद्धिमान हैं, बल्कि यह कि आप किस तरह से बुद्धिमान हैं।)
गार्डनर के अनुसार, बुद्धि एक नहीं, बल्कि 8 प्रकार की होती है। एक विशेष शिक्षक के लिए यह सिद्धांत वरदान है, क्योंकि विकलांग बच्चे अक्सर पारंपरिक पढ़ाई (पढ़ना-लिखना) में कमजोर होते हैं, लेकिन अन्य बुद्धिमत्ताओं में तेज हो सकते हैं।
1. Linguistic Intelligence (भाषाई बुद्धि) – Word Smart
- विशेषता: शब्दों, भाषा और कहानियों में अच्छे।
- IDD Context: कुछ ऑटिस्टिक बच्चे (Asperger’s) बहुत अच्छी शब्दावली रख सकते हैं।
- Teaching: कहानियाँ, कविताएं, शब्द पहेली।
2. Logical-Mathematical Intelligence (तार्किक-गणितीय बुद्धि) – Number/Logic Smart
- विशेषता: तर्क, पैटर्न, और संख्याओं में अच्छे।
- Teaching: पहेलियां, कोडिंग, वर्गीकरण (Sorting), संख्या खेल।
3. Spatial Intelligence (स्थानिक बुद्धि) – Picture Smart
- विशेषता: चित्रों, नक्शों और विज़ुअलाइज़ेशन में अच्छे।
- Teaching: लेगो, ड्राइंग, वीडियो, चार्ट।
4. Bodily-Kinesthetic Intelligence (शारीरिक-गामक बुद्धि) – Body Smart
- विशेषता: शरीर के नियंत्रण और खेलों में अच्छे। डांसर, एथलीट।
- Teaching: नाटक (Drama), नृत्य, खेल, शारीरिक गतिविधियाँ।
5. Musical Intelligence (संगीतमय बुद्धि) – Music Smart
- विशेषता: लय, ताल और स्वर को समझने वाले।
- IDD Context: विलियम्स सिंड्रोम (Williams Syndrome) या ऑटिज्म वाले बच्चे अक्सर संगीत में अद्भुत प्रतिभा दिखाते हैं (Savant Skills)।
- Teaching: गानों के माध्यम से सिखाना, वाद्ययंत्र बजाना।
6. Interpersonal Intelligence (अंतर-वैयक्तिक बुद्धि) – People Smart
- विशेषता: दूसरों की भावनाओं को समझने और टीम में काम करने वाले।
- Teaching: समूह कार्य (Group work), पीयर ट्यूटरिंग।
7. Intrapersonal Intelligence (अंतःवैयक्तिक बुद्धि) – Self Smart
- विशेषता: अपनी भावनाओं और लक्ष्यों को समझने वाले। अकेले काम करना पसंद करते हैं।
- Teaching: जर्नल लिखना, व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करना, शांत समय (Quiet time)।
8. Naturalist Intelligence (प्रकृतिवादी बुद्धि) – Nature Smart
- विशेषता: प्रकृति, पौधों और जानवरों में रुचि।
- Teaching: बागवानी (Gardening), जानवरों की देखभाल, प्रकृति भ्रमण।
(9वां – Existential Intelligence भी बाद में जोड़ा गया, लेकिन 8 मुख्य हैं)
📊 2.4 Role of Learning Styles in Evaluation (मूल्यांकन में भूमिका)
“अगर हम मछली की क्षमता का मूल्यांकन उसके पेड़ पर चढ़ने के कौशल से करेंगे, तो वह पूरी जिंदगी खुद को मूर्ख समझेगी।” (आइंस्टीन का प्रसिद्ध कथन)
पारंपरिक परीक्षा प्रणाली (पेन-पेपर टेस्ट) विशेष बच्चों के लिए अक्सर अनुचित होती है। मूल्यांकन (Evaluation) का उद्देश्य यह जानना होना चाहिए कि “बच्चे ने क्या सीखा है”, न कि यह कि “वह कितना अच्छा लिख सकता है”।
A. The Conflict: Standard Assessment vs Learning Styles
- Visual Learner को अगर मौखिक परीक्षा (Oral Test) देनी पड़े, तो वह घबरा सकता है।
- Auditory Learner लिखित परीक्षा में अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाता।
- Kinesthetic Learner 3 घंटे बैठकर परीक्षा नहीं दे सकता।
B. Principles of Inclusive Evaluation (समावेशी मूल्यांकन के सिद्धांत)
1. Flexibility (लचीलापन): मूल्यांकन के तरीके को बच्चे की सीखने की शैली (Learning Style) के अनुसार बदलें। इसे UDL (Universal Design for Learning) कहते हैं।
- For Visual: उसे चित्र बनाकर या डायग्राम के माध्यम से उत्तर देने दें।
- For Auditory: उसका मौखिक साक्षात्कार (Viva) लें या उसे उत्तर रिकॉर्ड करने दें।
- For Kinesthetic: उसे प्रयोग (Project/Demo) करके दिखाने दें।
2. Multiple Modes of Expression (अभिव्यक्ति के अनेक माध्यम): बच्चे को विकल्प दें। “आप मुझे सौर मंडल के बारे में कैसे बताना चाहते हैं? लिखकर, चित्र बनाकर, या मॉडल बनाकर?”
3. Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE): साल के अंत में एक बड़ी परीक्षा के बजाय, पूरे साल छोटे-छोटे तरीकों से जांचें।
- अवलोकन (Observation)
- चेकलिस्ट
- पोर्टफोलियो (Portfolio – बच्चे के काम का संग्रह)
4. Assessing Strengths, Not Just Deficits: परंपरागत मूल्यांकन अक्सर यह बताता है कि बच्चा क्या नहीं कर सकता। “Learning Style Based Evaluation” यह बताता है कि बच्चा क्या कर सकता है।
- Example: एक बच्चा जो लिख नहीं सकता (Dysgraphia), लेकिन बहुत अच्छा बोल सकता है। अगर हम लिखित परीक्षा लें, तो वह 0 पाएगा। अगर मौखिक लें, तो 100। मूल्यांकन शैली बदलने से उसकी योग्यता सामने आती है।
C. Specific Evaluation Strategies for Different Styles
| सीखने की शैली | मूल्यांकन विधि (Evaluation Strategy) |
|---|---|
| Visual | पोस्टर मेकिंग, मैप भरना, चित्र पहचानना, मैचिंग (Matching) प्रश्न। |
| Auditory | मौखिक प्रश्नोत्तरी, कविता सुनाना, समूह चर्चा में भागीदारी, श्रुतलेख (Dictation)। |
| Kinesthetic | प्रोजेक्ट वर्क, मॉडल बनाना, रोल प्ले, प्रयोग प्रदर्शन (Demonstration)। |
📝 Teacher’s Guidelines & Exam Tips
Practical Classroom Application:
- Multi-Sensory Teaching: अपनी हर क्लास में VAK तीनों तत्वों को शामिल करें। केवल बोलें नहीं, दिखाएं भी और कराएं भी।
- Topic: Apple
- Visual: असली सेब दिखाएं (लाल रंग)।
- Auditory: “A for Apple” गाना गाएं।
- Kinesthetic: सेब को छूने दें, काटने दें और खाने दें।
- Observation is Key: पहले हफ्ते में पढ़ाएं कम, बच्चों को ऑब्जर्व ज्यादा करें।
- No Labeling: बच्चे को “सिर्फ विजुअल” लेर्नर मानकर सीमित न करें। शैलियाँ बदलती रहती हैं और मिश्रित (Mixed) भी होती हैं।
Exam Writing Tips:
- जब आप Multiple Intelligences पर उत्तर लिखें, तो 8 प्रकारों का एक चक्र (Wheel/Chart) जरूर बनाएं।
- VAK को समझाते समय वास्तविक जीवन के उदाहरण (Real-life examples) दें।
- Evaluation वाले हिस्से में “मछली और पेड़” वाला उदाहरण या “Accommodations” (सुविधाओं) का जिक्र करें।
Mindmap:

Mind Map 2: Multiple Intelligences (Gardner)

🗺️ Mind Map 3: Evaluation Strategies

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