RPwD Act, 2016 अध्याय-11 (केन्द्रीय और राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड तथा जिला स्तर समिति)

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016

अध्याय-11

केन्द्रीय और राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड तथा जिला स्तर समिति

60. केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड का गठन-

(1) केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड के नाम से ज्ञात एक निकाय का गठन, इस अधिनियम के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए और सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करने के लिए करेगी।

(2) केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहाकार बोर्ड निम्नलिखित से मिलकर बनेगा

(क) केन्द्रीय सरकार के दिव्यांगता कार्य विभाग का प्रभारी मंत्री पदेन अध्यक्ष;

(ख) केंद्रीय सरकार के दिव्यांगता कार्य मंत्रालय में दिव्यांगता कार्य विभाग से संबंधित प्रभारी राज्य मंत्री पदेन उपाध्यक्ष:

(ग) तीन सांसद, जिनमें से दो का निर्वाचन लोक सभा द्वारा और एक का राज्य सभा द्वारा किया जाएगा पदेन सदस्य,

(घ) सभी राज्यों के दिव्यांगता कार्य के प्रभारी मंत्री और संघ राज्यक्षेत्रों के प्रशासक उपराज्यपाल पदेन सदस्यः

(ङ) दिव्यांगता कार्य, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, स्कूल शिक्षा और साक्षरता तथा उच्तर शिक्षा, महिला और बाल विकास, व्यय कार्मिक और प्रशिक्षण, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, औद्योगिक नीति और संवर्धन, शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी विधि कार्य लोक उद्यम, युवा कार्य और खेल, सड़क परिवहन और राजमार्ग, नागर विमानन मंत्रालयों या विभागों के भारसाधक सचिव, भारत सरकार—पदेन सदस्य:

(च) सचिव, नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ ट्रांसफार्मिंग इन्डिया (नीति) आयोग-पदेन सदस्य:

(छ) अध्यक्ष, भारतीय पुनर्वास परिषद्-पदेन सदस्य

(ज) अध्यक्ष, राष्ट्रीय स्वलीनता, प्रमस्तिष्क घात. स्वपरायणता. मानसिक मंदता और बहुदिव्यांगता कल्याण न्यास—पदेन सदस्य:

(झ) अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय दिव्यांग वित्त विकास निगम पदेन सदस्य;

(ञ) अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, कृत्रिम अंग विनिर्माण निगम पदेन सदस्य;

(ट) अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड पदेन सदस्य;

(ठ) महानिदेशक, नियोजन और प्रशिक्षण, श्रम और रोजगार मंत्रालय –पदेन सदस्य;

(ड) निदेशक, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् — पदेन सदस्य;

(ढ) अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् पदेन सदस्यः

(ण) अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग — पदेन सदस्यः

(त) अध्यक्ष, भारतीय चिकित्सा परिषद् —पदेन सदस्यः

(थ) निम्नलिखित संस्थानों के निदेशक पदेन सदस्य होंगे.

  1. राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून:
  2. राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, सिकन्दराबाद,
  3. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शारीरिक दिव्यांगजन संस्थान, नई दिल्ली:
  4. अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान, मुम्बई:
  5. राष्ट्रीय गतिशील दिव्यांगजन संस्थान, कोलकाता;
  6. राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, कटक,
  7. राष्ट्रीय बहु दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, चेन्नई,
  8. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और विज्ञान संस्थान, बैंगलोर:
  9. इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, दिल्ली;

(द) केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य.

(i) पांच व्यक्ति जो दिव्यांगता और पुनर्वास के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं:

(ii) दिव्यांगता से संबंधित गैर सरकारी संगठनों या दिव्यांगजन संगठनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जहां तक व्यवहार्य हो, ऐसे दस व्यक्ति, जो दिव्यांगजन हों:

परंतु नामनिर्दिष्ट दस व्यक्तियों में से कम से कम पांच महिलाएं होंगी और कम से कम एक-एक व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में से होगा;

(iii) राष्ट्रीय स्तर के वाणिज्य और उद्योग मंडल में से तीन प्रतिनिधि तक;

(ध) दिव्यांगता नीति के विषय से संबंधित भारत सरकार का संयुक्त सचिव पदेन सदस्य-सचिव ।

61. सदस्यों की सेवा के निबंधन और शर्तें

(1) इस अधिनियम के अधीन अन्यथा उपबंधित के सिवाय, धारा 60 की उपधारा (2) के खंड (द) के अधीन नामनिर्दिष्ट केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड का कोई सदस्य उसके नामनिर्देशन की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा:

परंतु ऐसा सदस्य उसकी पदावधि की समाप्ति के होते हुए भी तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तरवर्ती पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

(2) केन्द्रीय सरकार, यदि वह ठीक समझे तो धारा 60 की उपधारा (2) के खंड (द) के अधीन नामनिर्दिष्ट किसी सदस्य को उसकी पदावधि की समाप्ति से पूर्व उसे हेतुक उपदर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् पद से हटा सकेगी।

(3) धारा 60 की उपधारा (2) के खंड (द) के अधीन नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य केन्द्रीय सरकार को संबोधित अपने हस्ताक्षर मे किसी भी समय अपना पद त्याग सकेगा और तत्पश्चात् उक्त सदस्य का पद रिक्त हो जाएगा।

(4) ) केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड में किसी आकस्मिक रिक्ति को नए नामनिर्देशन द्वारा भरा जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए नामनिर्दिष्ट व्यक्ति केवल उस सदस्य की शेष अवधि के लिए पद धारण करेगा, जिसके स्थान पद वह इस प्रकार नामनिर्दिष्ट किया गया था।

(5) धारा 60 की उपधारा (2) के खंड (द) के उपखंड (i) या उपखण्ड (iii) के अधीन नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य पुनः नामनिर्देशन के लिए पात्र होगा ।

(6) धारा 60 की उपधारा (2) के खंड (द) के उपखंड (1) और उपखंड (ii) के अधीन नामनिर्दिष्ट सदस्य ऐसे भत्ते प्राप्त करेंगे जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किए जाएं।

62. निरर्हता – (1) कोई व्यक्ति केंद्रीय सलाहकार बोर्ड का सदस्य नहीं होगा.

(क) जो दिवालिया है या जिसे किसी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है या उसने अपने ऋणों के संदाय को निलंबित किया है या अपने लेनदारों के साथ उपशमन किया है. या

(ख) जो विकृतचित्त है और उसे सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है. या

(ग) जो ऐसे किसी अपराध के लिए सिद्धदोष है या ठहराया गया है, जिसमें केन्द्रीय सरकार की राय में नैतिक अधमता अंतर्वलित है. या

(घ) जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष है या जिसे किसी समय सिद्धदोष ठहराया गया है. या

(ङ) जिसने केन्द्रीय सरकार की राय में सदस्य के रूप में अपने पद का ऐसा दुरुपयोग किया है जो उसके पद पर बने रहने को साधारण जनता के हितों के प्रतिकूल ठहराता है।

(2) इस धारा के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा हटाए जाने का कोई आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि संबद्ध सदस्य को उसके विरुद्ध हेतुक उपदर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर प्रदान नहीं कर दिया जाता है।

(3) धारा 61 की उपधारा (1) या उपधारा (5) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस धारा के अधीन पद से हटाया गया कोई सदस्य, सदस्य के पुनः नामनिर्देशन के लिए पात्र नहीं होगा ।

63. सदस्यों द्वारा स्थानों की रिक्ति यदि केंद्रीय सलाहकार बोर्ड का कोई सदस्य, धारा 62 में विनिर्दिष्ट निरर्हताग्रस्त हो जाता है तो उसका स्थान रिक्त हो जाएगा।

64. केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड की बैठकें केंद्रीय सलाहकार बोर्ड प्रत्येक छह मास में कम से कम एक बैठक करेगा और अपनी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के लिए ऐसे नियमों और प्रक्रिया का अनुपालन करेगा जो विहित की जाए।

65. केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड के कार्य

( 1 ) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए केंद्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड, दिव्यांगता विषयों पर राष्ट्रीय स्तर का परामर्शदाता और सलाहकार निकाय होगा और दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और अधिकारों के पूर्ण उपयोग के लिए समग्र नीति के सतत् विकास को सुकर बनाएगा।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केंद्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगा, अर्थात्:

(क) केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों को दिव्यांगता के बारे में नीतियों, कार्यक्रमों, विधान और परियोजनाओं पर सलाह देना;

(ख) दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति का विकास करना

(ग) सरकार के सभी विभागों तथा सरकारी और अन्य गैर-सरकारी संगठनों के, जो दिव्यांगजनों से संबंधित मामलों से संबंधित हैं. कार्यकलापों का पुनर्विलोकन और समन्वयन करना

(घ) राष्ट्रीय योजनाओं में दिव्यांगजनों के लिए स्कीमों और परियोजनाओं का उपबंध करने की दृष्टि से संबंधित प्राधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ दिव्यांगजनों के मामलों पर विचार करना:

(ङ) सूचना. सेवाओं के प्रति दिव्यांगजनों की पहुंच युक्तियुक्त वास और भेदभावहीनता को सुनिश्चित करने के लिए और उसके लिए वातावरण तैयार करना तथा सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी के लिए उपायों की सिफारिश करना;

(च) दिव्यांगजनों की संपूर्ण भागीदारी की सफलता के लिए विधियों, नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभाव की मानीटरी और मूल्यांकन करना और

(छ) ऐसे अन्य कृत्य करना जो समय-समय पर केन्द्रीय सरकार द्वारा सौपे जाएं।

66. राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड

(1) प्रत्येक राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड के नाम से ज्ञात एक निकाय का गठन इस अधिनियम के अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए और सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करने के लिए करेगी।

(2) राज्य सलाहकार बोर्ड निम्नलिखित से मिलकर बनेगा

(क) राज्य सरकार के दिव्यांगता मामलों से संबंधित विभाग का प्रभारी मंत्री अध्यक्ष पदेन

(ख) राज्य सरकार के दिव्यांगता मामलों से संबंधित विभाग यदि कोई है, का प्रभारी राज्य मंत्री या उपमंत्री उपाध्यक्ष पदेन

(ग) दिव्यांगता कार्य, स्कूल शिक्षा और साक्षरता तथा उच्चतर शिक्षा. महिला और बाल विकास, वित्त, कार्मिक और प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण. ग्रामीण विकास, पंचायती राज, औद्योगिक नीति और संवर्धन, श्रम और रोजगार. शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी. सूचना प्रौद्योगिकी, लोक उद्यम, युवा कार्य और खेल, सड़क परिवहन और कोई अन्य विभाग जिसे राज्य सरकार आवश्यक समझे, के भारसाधक राज्य सरकार के सचिव— पदेन सदस्य:

(घ) राज्य विधान मंडल के तीन सदस्य जिनमें से दो का निर्वाचन विधान सभा द्वारा और एक सदस्य का विधान परिषद्, यदि कोई हो. द्वारा किया जाएगा और जहां कोई विधान परिषद् नहीं है. वहां तीनों सदस्यों का निर्वाचन विधान सभा द्वारा किया जाएगा—सदस्य पदेन

(ङ) राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले सदस्य

(i) पांच सदस्य जो दिव्यांगता और पुनर्वास के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं.

(ii) जिलों का ऐसी रीति में जो विहित की जाए, प्रतिनिधित्व करने के लिए चक्रानुक्रम में राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले पांच सदस्य:

परंतु इस उपखंड के अधीन कोई नामनिर्देशन सिवाय संबंधित जिला प्रशासन की सिफारिश के नहीं किया जाएगा:

(iii) गैर-सरकारी संगठनों या संगमों, जो दिव्यांगता से संबद्ध है, का प्रतिनिधित्व करने के लिए जहां तक व्यवहार्य हो, ऐसे दस व्यक्ति, जो दिव्यांगजन हों:

परंतु इस उपखंड के अधीन नामनिर्दिष्ट दस व्यक्तियों में से कम से कम पांच महिलाएं होंगी और कम से कम एक-एक व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में से होगा;

(iv) राज्य वाणिज्य और उद्योग मंडल में से तीन से अनधिक प्रतिनिधि;

(च) राज्य सरकार में दिव्यांगता विषयों से संबंधित विभाग में ऐसा अधिकारी जो संयुक्त सचिव की पंक्ति से नीचे की पंक्ति का न हो—पदेन सदस्य सचिव ।

67. सदस्यों की सेवा के निबंध और शर्तें –

(1) इस अधिनियम के अधीन अन्यथा उपबंधित के सिवाय, धारा 66 की उपधारा (2) के खंड (ङ) के अधीन नामनिर्दिष्ट राज्य सलाहकार बोर्ड का सदस्य उसके नामनिर्देशन की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेगा:

परंतु ऐसा सदस्य उसकी पदावधि की समाप्ति के होते हुए भी तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तरवर्ती पदग्रहण नहीं कर लेता है

(2) राज्य सरकार यदि वह ठीक समझे तो धारा 66 की उपधारा (2) के खंड (ङ) के अधीन नामनिर्दिष्ट किसी सदस्य को उसकी पदावधि की समाप्ति से पूर्व उसे हेतुक उपदर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् पद से हटा सकेगी

(3) धारा 66 की उपधारा (2) के खंड (ङ) के अधीन नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य सरकार को संबोधित अपने हस्ताक्षर किसी भी समय अपना पद त्याग सकेगा और तत्पश्चात् उक्त सदस्य का पद रिक्त हो जाएगा।

(4) राज्य सलाहकार बोर्ड में किसी आकस्मिक रिक्ति को नए नामनिर्देशन द्वारा भरा जाएगा और रिक्ति को भरने लिए नामनिर्दिष्ट व्यक्ति केवल उस सदस्य की शेष अवधि के लिए पद धारण करेगा जिसके स्थान पर वह इस प्रकार नामनिर्दिष्ट किया गया था।

(5) धारा 66 की उपधारा (2) के खंड (ङ) के उपखंड (i) या उपखंड (iii) के अधीन नामनिर्दिष्ट कोई सदस्य पुनः नामनिर्देशन के लिए पात्र होगा।

(6) धारा 66 की उपधारा (2) के खंड (ङ) के उपखंड (1) और उपखंड (ii) के अधीन नामनिर्दिष्ट सदस्य ऐसे भने प्राप्त करेगा जो राज्य सरकार द्वारा विहित किए जाएं।

68. निरर्हता (1) कोई व्यक्ति राज्य सलाहकार बोर्ड का सदस्य नहीं होगा

(क) जो दिवालिया है या जिसे किसी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया या उसने अपने ऋणों संदाय को निलंबित किया है या अपने लेनदारों के साथ उपशमन किया है, या

(ख) जो विकृतचित्त है या उसे सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है. या

(ग) जो किसी अपराध के लिए सिद्धदोष है या ठहराया गया है जिसमें राज्य सरकार की राय में नैतिक अधमता अंतर्वलित है. या

(घ) जो इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष है या जिसे किसी समय सिद्धदोष ठहराया गया है, या

(ङ) जिसने राज्य सरकार की राय में सदस्य के रूप में अपने पद का ऐसा दुरुपयोग किया है जिससे उसका राज्य सलाहकार बोर्ड में बने रहना साधारण जनता के हितों के लिए हानिकर है।

(2) इस धारा के अधीन राज्य सरकार द्वारा पद से हटाने का कोई आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि संबंधित सदस्य को उसके विरुद्ध हेतुक दर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर प्रदान नहीं कर दिया जाता है।

(3) धारा 67 की उपधारा (1) या उपधारा (5) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई सदस्य जो इस धारा के अधीन हटाया गया है. सदस्य के रूप में पुनः नामनिर्देशन के लिए पात्र नहीं होगा।

69. स्थानों का रिक्त होना-

यदि राज्य सलाहकार बोर्ड का कोई सदस्य धारा 68 में विनिर्दिष्ट निरर्हता ग्रस्त हो जाता है तो उसका स्थान रिक्त हो जाएगा।

70. राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड की बैठकें राज्य सलाहकार बोर्ड प्रत्येक छह मास में कम से कम एक बैठक करेगा और अपनी बैठकों में कारवार के संव्यवहार के ऐसे नियमों या प्रक्रिया का अनुपालन करेगा जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए।

71. राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड के कृत्य —

(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य सलाहकार बोर्ड दिव्यांगता मामलों पर एक राज्यस्तरीय परामर्शदाता और सलाहकार निकाय होगा तथा दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और अधिकारों के पूर्ण उपभोग के लिए समग्र नीति के सतत् विकास को सुकर बनाएगा।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगा, अर्थात्:

(क) राज्य सरकार को दिव्यांगता की बाबत नीतियों, कार्यक्रमों, विधान और परियोजनाओं पर सलाह देना; (ख) दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने के लिए एक राज्य नीति का विकास करना; (ग) राज्य सरकार के सभी विभागों और अन्य सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के, जो दिव्यांगजनों से संबंधित मामलों से संबंधित हैं. कार्यकलापों का पुनर्विलोकन और समन्वय करना;

(घ) राज्य योजनाओं में दिव्यांगजनों के लिए स्कीमों और परियोजनाओं का उपबंध करने की दृष्टि से संबंधित प्राधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ दिव्यांगजनों के मामलों पर विचार करना,

(ङ) दिव्यांगजनों के लिए पहुंच. युक्तियुक्त रूप से वास, भेदभावहीनता सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए उपाय करना और वातावरण तैयार करना तथा अन्य व्यक्तियों के समान आधार पर सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी करना;

(च) दिव्यांगजनों की संपूर्ण भागीदारी की सफलता के लिए विधियों, नीतियों और डिजाइन किए गए कार्यक्रमों के प्रभाव की मानीटरी और मूल्यांकन करना; और

(छ) ऐसे अन्य कृत्य करना जो समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा सौंपे जाएं।

72. जिला स्तर दिव्यांगता समिति-

राज्य सरकार, ऐसे कृत्य जो विहित किए जाएं, का पालन करने के लिए जिला स्तर दिव्यांगता समितियों का गठन करेगी।

73. रिक्तियों से कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना केन्द्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड, राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड या जिला स्तर दिव्यांगता समिति का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं होगी कि. यथास्थिति, ऐसे बोर्ड या समिति में कोई रिक्ति है या गठन में कोई त्रुटि है।

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