⭐ UNIT 4 – Characteristics, Incidence, Prevalence, Types & Needs of Persons with Disabilities
⭐ Introduction to Unit 4
मानव विकास और कार्यप्रणाली विविधता से भरी हुई है। हर व्यक्ति की मानसिक, सामाजिक, संज्ञानात्मक, व्यवहारिक और शैक्षिक क्षमताएँ अलग-अलग होती हैं। कुछ व्यक्तियों में यह विविधता इतनी स्पष्ट होती है कि उन्हें सीखने, समझने, व्यवहार, संप्रेषण, सामाजिक सहभागिता या आत्मनिर्भरता में अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है।
Unit 4 में उन विकलांगताओं का अध्ययन किया जाता है जो मुख्य रूप से बौद्धिक, व्यवहारिक, संज्ञानात्मक, बहु-विकलांगता और संचार की जटिल स्थितियों से संबंधित हैं। यह यूनिट समावेशी शिक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन विकलांगताओं की पहचान, समझ और समर्थन न केवल शैक्षिक परिणामों को प्रभावित करती है, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करती है।
⭐ Definition of Intellectual Disability (ID)
Intellectual Disability एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता (intellectual functioning) और अनुकूली व्यवहार (adaptive behavior) दोनों सामान्य व्यक्तियों की तुलना में काफी कम होते हैं।
बौद्धिक क्षमता से मतलब है—समस्या हल करना, नई चीज़ें सीखना, logic समझना, और निर्णय लेना।
अनुकूली व्यवहार का अर्थ है—दैनिक जीवन की गतिविधियाँ जैसे—खाना खाना, कपड़े पहनना, संवाद करना, पैसे का उपयोग करना, समय समझना, नियमों का पालन करना और समाज में सामंजस्य बैठाना।
ID जन्म से भी हो सकती है और जीवन के शुरुआती वर्षों में भी विकसित हो सकती है। यह एक life-long condition है परंतु सही शिक्षा, प्रशिक्षण और समर्थन से व्यक्ति काफी हद तक स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है।
⭐ Characteristics of Intellectual Disability (विशेषताएँ)
Intellectual Disability की विशेषताएँ दो मुख्य क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं—
(1) सीखने और सोचने की क्षमता (Cognitive functioning)
(2) अनुकूली आचरण (Adaptive behaviour)
🔹 सीखने और सोचने की विशेषताएँ
ID वाले व्यक्तियों की सीखने की गति सामान्य बच्चों की तुलना में काफी धीमी होती है। वे नई जानकारी को समझने और याद रखने में अधिक समय लेते हैं। जटिल निर्देशों को समझना, अमूर्त अवधारणाओं (abstract concepts) को पकड़ना, और समस्या हल करना चुनौतीपूर्ण होता है। ध्यान अवधि छोटी होती है और वे जल्दी विचलित हो जाते हैं। कई बार उन्हें बार-बार अभ्यास, उदाहरण और दृश्य संकेतों की जरूरत होती है।
🔹 अनुकूली आचरण से संबंधित विशेषताएँ
अनुकूली आचरण में संचार, दैनिक जीवन कौशल और सामाजिक व्यवहार शामिल हैं। ID वाले व्यक्तियों को अक्सर स्वयं कपड़े पहनना, भोजन करना, यात्रा करना, पैसे संभालना या समय समझना सीखने में सहायता की आवश्यकता होती है। सामाजिक संकेतों—जैसे eye contact, gestures, tone—को समझना भी कठिन हो सकता है।
🔹 सामाजिक और भावनात्मक विशेषताएँ
ये व्यक्ति सामान्यतः सरल, स्नेही और विनम्र होते हैं। आलोचना से जल्दी दुखी हो जाते हैं और उन्हें सकारात्मक प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। आत्मविश्वास में कमी और सामाजिक डर (social anxiety) आम बात है।
🔹 व्यवहारिक विशेषताएँ
धैर्य की कमी, आवेगपूर्ण व्यवहार, दिनचर्या पर अत्यधिक निर्भरता, और कभी-कभी repetitive behaviour भी देखा जा सकता है।
🔹 शैक्षणिक विशेषताएँ
Language development, reading, writing और गणितीय अवधारणाएँ सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक धीमी गति से विकसित होती हैं।
⭐ Types of Intellectual Disability (प्रकार – With Definitions)
ID को severity के आधार पर चार स्तरों में बाँटा गया है। यह वर्गीकरण व्यक्ति की सहायता आवश्यकताओं, सीखने की क्षमता और स्वतंत्रता के स्तर को समझने में मदद करता है।
⭐ 1. Mild Intellectual Disability (हल्की बौद्धिक विकलांगता)
इस श्रेणी के व्यक्ति कई कार्य सीख सकते हैं, बशर्ते उन्हें सही प्रशिक्षण मिले। वे आमतौर पर भाषा, गणित और दैनिक गतिविधियाँ एक मूल स्तर तक सीख सकते हैं।
वे वयस्कता में सरल कार्य (simple jobs) कर सकते हैं और प्रशिक्षित होने पर स्वतंत्र रूप से रह भी सकते हैं।
⭐ 2. Moderate Intellectual Disability (मध्यम स्तर)
इन्हें बहुत अधिक structured वातावरण की आवश्यकता होती है। ये व्यक्ति सरल भाषा और सरल कार्य सीख लेते हैं, लेकिन जटिल गतिविधियों में कठिनाई होती है।
दैनिक जीवन कौशल—जैसे grooming, खाना, basic travel—सीख सकते हैं, परंतु निगरानी और सहायता की आवश्यकता रहती है।
⭐ 3. Severe Intellectual Disability (गंभीर स्तर)
इनमें बौद्धिक क्षमता काफी कम होती है। संचार सीमित होता है और वे दैनिक गतिविधियों में पूर्ण सहायता पर निर्भर रहते हैं।
इन्हें निरंतर training और support की आवश्यकता होती है।
⭐ 4. Profound Intellectual Disability (अत्यंत गंभीर स्तर)
इस स्तर पर व्यक्ति लगभग सभी गतिविधियों के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं।
इनमें communication बहुत सीमित होता है और लगातार medical व caregiving support की आवश्यकता होती है।
⭐ ID Classification Based on IQ (मानसिक आयु और IQ के आधार पर ID वर्गीकरण)
WHO और APA अनुसार ID का सबसे पारंपरिक वर्गीकरण IQ पर आधारित है:
- Mild ID: IQ 50–69
- Moderate ID: IQ 35–49
- Severe ID: IQ 20–34
- Profound ID: IQ 20 से कम
IQ-based classification आज भी उपयोग किया जाता है, पर अब अधिक महत्व adaptive behaviour को दिया जाता है, क्योंकि स्वतंत्र जीवन जीने की क्षमता IQ से अधिक महत्वपूर्ण है।
⭐ Incidence (घटनादर)
Incidence से तात्पर्य है—एक निश्चित अवधि में नए मामलों की संख्या।
विश्व स्तर पर ID के नए मामलों की संख्या में स्थिरता है, लेकिन developing देशों में यह संख्या अधिक पाई जाती है।
- विश्व में प्रति 1000 बच्चों में लगभग 1–3 नए मामले प्रतिवर्ष
- भारत में नए मामलों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक
- जन्म के समय oxygen की कमी, माँ के स्वास्थ्य और पोषण का बड़ा प्रभाव
⭐ Prevalence (प्रचलन – कुल प्रभावित व्यक्तियों की संख्या)
Prevalence किसी जनसंख्या में कुल प्रभावित व्यक्तियों का प्रतिशत बताता है।
- WHO के अनुसार ID का वैश्विक प्रचलन 1–3%
- भारत में अनुमानित 1–2%
- दक्षिण एशिया में प्रसार अधिक क्योंकि
- कुपोषण
- प्रसव देखभाल की कमी
- संक्रमण
- गरीबी
- कम शिक्षा
Prevalence इसलिए भी अधिक दिखता है क्योंकि ID lifelong है—नए मामले जुड़ते रहते हैं और पुराने कम नहीं होते।
⭐ Needs of Persons with Intellectual Disability (आवश्यकताएँ – विस्तृत, मानवीय और सरल)
ID वाले छात्रों को बहुआयामी समर्थन की आवश्यकता होती है। उनकी ज़रूरतें शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवहार, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्रों में समान रूप से फैली होती हैं।
⭐ 1. Educational Needs
इन छात्रों को एक structured, step-by-step और multi-sensory teaching approach की आवश्यकता होती है।
चित्रों, मॉडलों, संकेतों और hands-on activities के माध्यम से सीखना तेज़ होता है।
⭐ 2. Behavioural Needs
Behaviour modification, positive reinforcement और predictable routines बहुत ज़रूरी हैं।
अचानक परिवर्तन उन्हें परेशान कर सकता है।
⭐ 3. Communication Needs
Slow pace, clear instructions, gestures और visual support उनकी समझ बढ़ाते हैं।
कुछ छात्रों के लिए AAC devices आवश्यक हो जाते हैं।
⭐ 4. Social Needs
Peer support, group activities और role-play जैसे तरीकों से सामाजिक कौशल विकसित किए जा सकते हैं।
⭐ 5. Life-Skills Training
Self-care, hygiene, money use, travel, grooming, household skills—ये कौशल उन्हें अधिक स्वतंत्र बनाते हैं।
⭐ 6. Family Counseling
परिवार को यह सिखाना ज़रूरी होता है कि बच्चे के strengths और needs को समझकर कैसे मदद की जाए।
⭐ 7. Vocational Training
किशोरावस्था में उन्हें सरल रोजगार कौशल सिखाए जा सकते हैं:
- packing
- office helper tasks
- computer-based tasks (basic level)
⭐ 4.2 AUTISM SPECTRUM DISORDER (ASD)
⭐ Definition of Autism Spectrum Disorder (ASD)
Autism Spectrum Disorder एक neuro-developmental disability है, जिसका अर्थ है कि यह मस्तिष्क के विकास और उसकी कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है। ASD वाले व्यक्तियों को सामाजिक संचार (social communication), व्यवहार (behavior), और sensory processing (संवेदी जानकारी को समझने) में चुनौतियों का अनुभव होता है।
इसे Spectrum इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग रूप में दिखाई देते हैं—
किसी में बहुत हल्के, किसी में अत्यधिक गंभीर।
ASD जन्म से होती है और जीवनभर रहती है, परंतु सही प्रशिक्षण, संरचना (structure), और समर्थन से व्यक्ति जीवन के कई क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति कर सकता है।
⭐ Characteristics of Autism Spectrum Disorder (विशेषताएँ)
ASD की विशेषताएँ मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में देखी जाती हैं:
(1) Social Communication
(2) Behaviour
(3) Sensory Processing
नीचे तीनों की विस्तृत और सरल व्याख्या दी जा रही है।
⭐ 1. Social Communication Characteristics
ASD वाले व्यक्तियों को सामाजिक संपर्क स्थापित करने और बनाए रखने में कठिनाई होती है।
वे सामान्य सामाजिक संकेतों (social cues)—जैसे आँखें मिलाना, चेहरे के भाव, हाथ के संकेत, आवाज़ का टोन—को समझने में संघर्ष करते हैं।
कई बच्चे कम बोलते हैं या कभी-कभी बिलकुल नहीं बोलते। जो बच्चे बोलते हैं, उनमें भी भाषा monotone, scripted या robotic हो सकती है।
सामाजिक बातचीत उनकी सबसे बड़ी चुनौती होती है—
उन्हें पता नहीं होता कि बातचीत कब शुरू करें, कब जवाब दें, कब रुकें, और कब किसी को देख-सुनकर प्रतिक्रिया दें।
वे अक्सर एक ही विषय पर लगातार बात कर सकते हैं, लेकिन दूसरों की रुचि पर ध्यान देना उनके लिए कठिन होता है।
⭐ 2. Behavioural Characteristics
ASD के व्यवहारिक लक्षणों में सबसे महत्वपूर्ण है—repetitive behaviour (दोहराव वाले व्यवहार)।
यह विभिन्न रूपों में दिखाई दे सकता है—
- हाथ फड़फड़ाना
- चीजों को घुमाना
- एक ही शब्द या वाक्य बार-बार बोलना
- वस्तुओं को लाइन में लगाना
- एक ही routine का पालन
वे परिवर्तन (change) से घबरा जाते हैं और नई स्थिति या समय-सारणी अचानक बदल जाए तो बहुत असहज हो सकते हैं।
कुछ ASD बच्चों में hyperfocus (किसी विषय/चीज़ पर अत्यधिक एकाग्रता) पाई जाती है—
वे शब्दों, अक्षरों, आकृतियों, गाड़ियों, नक्शों या किसी खास गतिविधि में घंटों तक लगे रह सकते हैं।
⭐ 3. Sensory Processing Characteristics
ASD वाले बच्चों में sensory sensitivity बहुत आम है।
वे किसी भी sensory input—जैसे
- तेज़ आवाज़
- चमकीली रोशनी
- कपड़ों का texture
- भीड़
- गंध
- गर्म/ठंडा स्पर्श
—से अत्यधिक परेशान हो सकते हैं।
कुछ बच्चे उल्टा sensory seeking भी करते हैं—
- बार-बार घूमना
- बार-बार उछलना
- रोशनी को घूरना
- चीजों को मुंह में डालना
- तेज़ दबाव पसंद करना
इन सभी विशेषताओं का प्रभाव उनके दैनिक व्यवहार, सीखने, ध्यान, और सामाजिक सहभागिता पर पड़ता है।
⭐ Types of Autism Spectrum Disorder (प्रकार – With Definitions)
DSM-5 के अनुसार Autism अब एक ही श्रेणी “ASD” के रूप में परिभाषित है, लेकिन व्यवहार और क्षमता के आधार पर इसे ऐसे समझा जाता है:
⭐ 1. Level 1 ASD (Requires Support)
इस प्रकार के व्यक्तियों में सामाजिक संचार में कठिनाई होती है लेकिन कुछ सहायता से वे interact कर सकते हैं।
रूटीन में थोड़ा बदलाव असुविधा पैदा करता है लेकिन वे धीरे-धीरे समायोजित हो जाते हैं।
यह High Functioning Autism जैसा होता है।
⭐ 2. Level 2 ASD (Requires Substantial Support)
इन बच्चों को व्यवहार और संचार दोनों में स्पष्ट कठिनाई होती है।
Repetitive behaviours अधिक होते हैं और sensory sensitivity भी अधिक होती है।
नियमित, structured support और प्रशिक्षण आवश्यक है।
⭐ 3. Level 3 ASD (Requires Very Substantial Support)
यह ASD का सबसे गंभीर रूप है।
संचार कौशल बहुत सीमित या लगभग न के बराबर होता है।
Repetitive behaviour, sensory issues और learning challenges बहुत अधिक होते हैं।
पूरे जीवन मजबूत समर्थन और निरंतर देखभाल की आवश्यकता रहती है।
⭐ Incidence of ASD (घटनादर – नए मामले)
Incidence ऐसे बच्चों या व्यक्तियों की संख्या बताता है जो एक निश्चित अवधि में नए-नए पहचाने गए हैं।
WHO के अनुसार—
- हर साल दुनिया में लाखों बच्चे Autism के नए मामले के रूप में सामने आते हैं।
भारत में पिछले 10–15 वर्षों में ASD के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है—
कारण:
- बेहतर जागरूकता
- बेहतर स्क्रीनिंग
- विशेषज्ञों तक पहुँच
यह वृद्धि असल में पहचान बढ़ने के कारण है, न कि बीमारी बढ़ने के कारण।
⭐ Prevalence of ASD (प्रचलन – कुल प्रभावित व्यक्ति)
Prevalence बताता है कि किसी क्षेत्र में कुल कितने लोग ASD के साथ रह रहे हैं।
WHO के अनुसार विश्व स्तर पर—
- 1 in 100 children (1%)
भारत में अनुमान—
- 1 in 68 children
- यानी प्रत्येक स्कूल कक्षा में 1–2 बच्चे ASD वाले हो सकते हैं।
Prevalence इसलिए भी अधिक है क्योंकि ASD एक life-long condition है—नए मामले जुड़ते हैं, पर पुराने सक्रिय रूप से कम नहीं होते।
⭐ Needs of Persons with ASD (आवश्यकताएँ)
ASD वाले व्यक्तियों की आवश्यकताएँ बहुविविध और व्यक्तिगत होती हैं।
वातावरण, शिक्षण शैली और परिवार—तीनों का योगदान उनके विकास में महत्वपूर्ण है।
नीचे विस्तार से समझाया गया है:
⭐ 1. Structured Environment (संरचना वाला वातावरण)
ASD वाले बच्चों के लिए साफ, स्पष्ट और नियमित वातावरण लाभदायक होता है।
हर चीज़—कक्षा की सीट, समय-सारणी, गतिविधियों का क्रम—अगर पहले से पता हो तो बच्चा सुरक्षित महसूस करता है।
⭐ 2. Visual Supports (दृश्य संकेत)
Autistic learners visual information को verbal information की तुलना में बेहतर समझते हैं।
इस लिए—
- visual schedules
- picture cards
- classroom rules charts
- visual timers
उन्हें नियमितता और स्पष्टता देते हैं।
⭐ 3. Social Stories (सामाजिक कहानियाँ)
Social Stories छोटे-छोटे पाठ होते हैं जिनके माध्यम से बच्चे को real-life situations (जैसे classroom behaviour, sharing, waiting) को समझने और उसका पालन करने में मदद मिलती है।
⭐ 4. Behavioural Support (व्यवहार समर्थन)
Applied Behaviour Analysis (ABA) सबसे प्रभावी हस्तक्षेप माना जाता है।
Behaviour modification techniques—
- positive reinforcement
- token economy
बहुत प्रभावी होते हैं।
⭐ 5. Communication Support
यदि बच्चा verbal नहीं है तो उसे AAC (Augmentative and Alternative Communication) जैसे—
- picture exchange (PECS)
- speech devices
का उपयोग करवाया जाता है।
⭐ 6. Sensory-Friendly Environment
लाइट को कम करना, तेज़ आवाज़ हटाना, sensory corner बनाना—ASD learners को calm रहने में मदद करता है।
⭐ 7. Peer Training
समान उम्र के साथियों को awareness दी जाए तो ASD बच्चे group activities में अधिक शामिल हो पाते हैं।
⭐ 8. Parent Training
Parents को training देना ASD intervention का पावरफुल हिस्सा है।
वे घर में सीखना जारी रखते हैं और routines को स्थिरता देते हैं।
⭐ 4.3 SPECIFIC LEARNING DISABILITIES (SLD)
⭐ Definition of Specific Learning Disabilities (SLD)
Specific Learning Disabilities ऐसे न्यूरो-आधारित विकार (neuro-developmental disorders) हैं जिनमें बच्चे की सीखने की एक या अधिक विशिष्ट क्षमताएँ—जैसे पढ़ना (reading), लिखना (writing), या गणित (mathematics)—सामान्य बुद्धिमत्ता होने के बावजूद प्रभावित होती हैं।
SLD बच्चे की overall intelligence को प्रभावित नहीं करता, बल्कि उसके दिमाग की जानकारी को प्रोसेस करने (processing), समझने, व्यवस्थित करने और याद रखने की क्षमता को प्रभावित करता है।
इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि SLD वाले बच्चे साधारण शिक्षण के तहत सीखने में संघर्ष करते हैं, जबकि उनकी बुद्धिमत्ता सामान्य या उससे अधिक हो सकती है।
यह “invisible disability” है—दिखती नहीं, लेकिन सीखने पर गहरा प्रभाव डालती है।
⭐ Characteristics of SLD (विशेषताएँ – विवरण सहित)
Specific Learning Disabilities के लक्षण अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग रूप में दिखाई देते हैं। यह उनके मस्तिष्क के processing difference के कारण होता है।
⭐ 1. Reading Difficulties (Dyslexia Characteristics)
Dyslexia वाले बच्चों को अक्षरों, ध्वनियों और शब्दों के संबंध को समझने में कठिनाई होती है।
वे शब्दों को पहचानने, उन्हें जोड़ने, और पढ़ने की गति बनाए रखने में संघर्ष करते हैं। पढ़ते समय वे अक्सर शब्द छोड़ देते हैं, उलटे पढ़ते हैं या एक ही शब्द बार-बार पढ़ते हैं। उनका comprehension कमजोर होता है क्योंकि ऊर्जा शब्द पहचान में खर्च हो जाती है।
⭐ 2. Writing Difficulties (Dysgraphia Characteristics)
दिमाग और हाथ के coordination में कठिनाई के कारण उनकी लिखावट अस्थिर, अव्यवस्थित और असमान होती है।
वे spelling, punctuation और sentence formation में बार-बार गलतियाँ करते हैं।
लिखते समय उनका ध्यान कार्य पर नहीं रह पाता और वे जल्दी थक जाते हैं।
⭐ 3. Mathematics Difficulties (Dyscalculia Characteristics)
Dyscalculia वाले बच्चों को संख्या पहचान, गणना, संख्या क्रम, जोड़-घटाव, गुणा-भाग और word problems समझने में कठिनाई होती है।
वे concepts जैसे बड़ा-छोटा, ज़्यादा-कम, time, money, measurement को समझने में संघर्ष कर सकते हैं।
⭐ 4. Processing Difficulties
SLD वाले बच्चों का दिमाग auditory या visual जानकारी को धीमी गति से प्रोसेस करता है।
उन्हें निर्देश समझने में अधिक समय लगता है।
वे जल्दी distract हो सकते हैं, और कई चरणों वाले कार्य कठिन लगते हैं।
⭐ 5. Memory Issues (Working Memory Weakness)
Short-term memory और working memory दोनों प्रभावित होती हैं।
उन्हें नई जानकारी याद रखना, steps को क्रम में करना और instructions follow करना कठिन लगता है।
⭐ 6. Low Confidence
बार-बार असफलता और शिक्षकों/साथियों की तुलना के कारण ऐसे बच्चे अपना confidence खो देते हैं।
वे सोचते हैं कि “मैं कमजोर हूँ,” जबकि वास्तव में वे सिर्फ अलग तरह से सीखते हैं।
⭐ Types of SLD (प्रकार – With Definitions)
Specific Learning Disabilities के मुख्य तीन प्रकार होते हैं:
⭐ 1. Dyslexia (Reading Disability)
Dyslexia एक ऐसा reading disorder है जिसमें बच्चा phonological awareness, word recognition, spelling patterns, और fluency में लगातार संघर्ष करता है।
यह दुनिया में सबसे आम SLD है।
Dyslexia बच्चे की बुद्धिमत्ता को नहीं, बल्कि language processing को प्रभावित करता है।
⭐ 2. Dysgraphia (Writing Disability)
Dysgraphia में लिखावट अस्थिर होती है क्योंकि बच्चे को graphomotor skills में कठिनाई होती है।
वे spelling errors करते हैं, spacing गलत रखते हैं और ideas को लिखित रूप में बदलना मुश्किल लगता है।
⭐ 3. Dyscalculia (Mathematics Disability)
यह संख्या से संबंधित अवधारणाओं, गणितीय पैटर्न, symbols और operation को समझने में कठिनाई लाता है।
⭐ अतिरिक्त प्रकार – (SLD में शामिल होते हैं)
⭐ Dyspraxia
Motor coordination disorder जो handwriting, buttoning, tying shoes को प्रभावित करता है।
⭐ Non-Verbal Learning Disability (NVLD)
Child verbal tasks में अच्छा, पर visual-spatial tasks, organisation और social skills कमजोर।
⭐ Incidence (नए मामलों की दर)
SLD विश्वभर में सबसे अधिक देखा जाने वाला विकलांगता समूह है।
Incidence का अर्थ है—हर साल नए पहचाने गए मामलों की संख्या।
- विश्व स्तर: हर 100 बच्चों में लगभग 5–7 नए मामले
- भारत में यह अभी भी कम पहचाना जाता है, परंतु awareness बढ़ने से नए मामले अधिक सामने आ रहे हैं।
इसके कारण—
- न्यूरो-डेवलपमेंटल differences
- जन्म के समय जटिलताएँ
- genetics
- वातावरण
कोई एक कारण स्पष्ट नहीं।
⭐ Prevalence (समग्र प्रसार दर)
Prevalence बताता है कि किसी आबादी में कुल कितने बच्चे पहले से SLD के साथ रह रहे हैं।
- विश्व में 5–15% बच्चों में SLD
- भारत में अनुमानित 10–12%
- Primary कक्षा में सबसे ज्यादा पहचाना जाता है
SLD एक life-long condition है, पर प्रशिक्षण से बहुत सुधार संभव है।
⭐ Needs of Children with SLD (आवश्यकताएँ)
SLD वाले बच्चों की ज़रूरतें केवल “extra time” से पूरी नहीं होतीं। उन्हें सीखने की पूरी रणनीति बदलनी पड़ती है।
⭐ 1. Remedial Instruction (विशेष शिक्षण)
Multisensory teaching—देखकर, सुनकर, छूकर सीखने की प्रक्रिया—उनकी समझ बढ़ाती है।
VAKT (Visual–Auditory–Kinesthetic–Tactile) सबसे प्रभावी तरीका है।
⭐ 2. Orton–Gillingham Approach
यह Dyslexia के लिए विश्व का सबसे प्रभावी phonics-based teaching method है।
इसमें step-by-step, cumulative और multisensory रणनीतियाँ शामिल होती हैं।
⭐ 3. Assistive Technology
- Text-to-speech
- Audiobooks
- Spell-check
- Large keyboards
- Visual organizers
SLD बच्चे technology से तेज़ सीखते हैं।
⭐ 4. Academic Accommodations
- Extra time
- Scribe
- Oral exams
- Reduced syllabus
- No negative marking for spelling
ये उनके anxiety को कम करते हैं और प्रदर्शन बढ़ाते हैं।
⭐ 5. Self-Esteem & Emotional Support
SLD वाले बच्चे कमज़ोर नहीं होते—वे अलग तरह से सीखते हैं।
Teacher का positive feedback, success-based tasks और supportive environment उन्हें confidence देता है।
⭐ 6. Parent Training
माता-पिता को multisensory अभ्यास, पढ़ने की आदत, और बच्चे की strengths समझना सिखाया जाता है।
⭐ 7. Peer Support
Buddy-system या peer learning से उनका social inclusion बढ़ता है।
⭐ 4.4 MULTIPLE DISABILITY & DEAFBLINDNESS
⭐ Definition of Multiple Disability (बहु-विकलांगता की परिभाषा)
Multiple Disability ऐसी स्थिति है जिसमें दो या अधिक विकलांगताएँ एक साथ उपस्थित होती हैं और इन विकलांगताओं का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या संचार क्षमताओं को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
उदाहरण के लिए—
- Intellectual Disability + Visual Impairment
- Cerebral Palsy + Hearing Impairment
- Autism + ID
- Locomotor Disability + Speech Disorder
Multiple Disability में प्रत्येक विकलांगता एक-दूसरे के प्रभाव को बढ़ा देती है, जिससे व्यक्ति के समग्र विकास, सीखने, संप्रेषण और आत्मनिर्भरता पर गहरा असर पड़ता है।
यह कोई साधारण जोड़ नहीं है—यह combined impact है जो व्यक्ति को अधिक जटिल आवश्यकताओं वाला बनाता है।
⭐ Characteristics of Multiple Disability (विशेषताएँ)
Multiple Disability वाले व्यक्तियों के लक्षण बहुत विविध होते हैं और उनकी प्रकृति इस बात पर निर्भर करती है कि कौन-सी विकलांगताएँ एक साथ जुड़ी हुई हैं।
फिर भी कुछ सामान्य विशेषताएँ अक्सर मिलती हैं—
⭐ 1. Developmental Delays
बच्चे कई क्षेत्रों—जैसे भाषा, मोटर कौशल, सामाजिक व्यवहार, self-care—में देरी दिखाते हैं।
वे milestones सामान्य बच्चों की तुलना में काफी देर से प्राप्त करते हैं।
⭐ 2. Communication Difficulties
कई बच्चों को बोलने, समझने या संकेतों का उपयोग करने में अत्यधिक कठिनाई होती है।
कुछ बच्चे respond भी नहीं करते, जिससे उनकी ज़रूरतें समझना कठिन हो जाता है।
⭐ 3. Motor & Mobility Challenges
Cerebral Palsy या Locomotor Disability के साथ जुड़ी multiple disability में चलने, बैठने, पकड़ने, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है।
⭐ 4. Cognitive Limitations
यदि Intellectual Disability साथ हो, तो सीखने, problem-solving, reasoning और daily functioning सभी प्रभावित होते हैं।
⭐ 5. Behavioural Issues
कुछ बच्चों में frustration, crying, self-injury, aggression, withdrawal या repetitive behaviour देखा जा सकता है—मुख्य रूप से communication barriers के कारण।
⭐ 6. Health Complications
Feeding problems, seizures, respiratory problems कई बच्चों में पाई जाती हैं।
⭐ 7. Social Isolation
संचार और मोटर कठिनाइयों के कारण बच्चे peers से कम interact करते हैं।
⭐ Definition of Deafblindness (श्रवण-दृष्टि संयुक्त विकलांगता)
Deafblindness ऐसी अनोखी और जटिल स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सुनने और देखने दोनों में गंभीर कमी होती है।
इस दोहरी संवेदी हानि (dual sensory loss) के कारण व्यक्ति को—
- जानकारी प्राप्त करने
- संवाद करने
- गतिशीलता (mobility)
- पर्यावरण को समझने
में अत्यधिक कठिनाई होती है।
Deafblindness का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति पूरी तरह अंधा और पूरी तरह बहरा है—
बल्कि यह है कि दोनों क्षमताओं में कमी का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति को अपने आसपास की दुनिया से अलग कर देता है।
इसी कारण यह communication disability की सबसे जटिल श्रेणियों में से एक मानी जाती है।
⭐ Characteristics of Deafblindness (विशेषताएँ)
Deafblind व्यक्ति के सामने आने वाली चुनौतियाँ संज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर अत्यंत गहरी होती हैं—
⭐ 1. Communication Barriers
वे न दृश्य संकेत (gestures) स्पष्ट देख पाते हैं, न श्रवण भाषा (spoken language) स्पष्ट सुन पाते हैं।
इस कारण संवाद बहुत सीमित रह जाता है।
⭐ 2. Mobility Difficulties
एकल sensory loss से mobility प्रभावित होती है; दोनों sensory losses से mobility अत्यधिक कठिन हो जाती है।
घर, स्कूल और बाहरी वातावरण में orientation चुनौती बन जाता है।
⭐ 3. Limited Access to Information
वे पर्यावरण के संकेतों को न देख पाते हैं न सुन पाते हैं; इसलिए उन्हें tactile (स्पर्श आधारित) जानकारी पर निर्भर रहना पड़ता है।
⭐ 4. Emotional Challenges
Communication और social isolation के कारण चिंता (anxiety), withdrawal, emotional frustration आम है।
⭐ 5. Slow Learning Pace
सीखने की प्रक्रिया tactile, step-by-step और repetitive होती है।
⭐ Incidence of Multiple Disability & Deafblindness (घटनादर)
Incidence यानी “नए मामले”—
⭐ Multiple Disability
- वैश्विक स्तर पर हर साल हजारों नए मामले
- भारत में जन्म के समय जटिलताओं, prematurity, birth asphyxia और maternal health issues प्रमुख कारण
⭐ Deafblindness
- हर वर्ष लगभग 1 in 30,000 बच्चे Deafblind के रूप में पहचाने जाते हैं
- भारत में जागरूकता की कमी के कारण incidence कम दर्ज होता है, परंतु संख्या अधिक है
⭐ Prevalence (प्रचलन)
Prevalence यानी “कुल प्रभावित लोग”—
⭐ Multiple Disability
- कुल वैश्विक जनसंख्या का लगभग 2%
- भारत में अनुमानित प्रसार अधिक, कारण—
- कम प्रसव देखभाल
- पोषण की कमी
- संक्रमण
- जन्मजात स्थितियाँ
⭐ Deafblindness
- विश्व में लगभग 0.2–0.4%
- भारत में हजारों बच्चे और वयस्क इस स्थिति के साथ रह रहे हैं
- कम diagnosis के कारण वास्तविक संख्या कहीं अधिक
⭐ Types of Multiple Disability (प्रकार)
Multiple Disability “X + Y” के रूप में समझी जाती है।
कुछ सामान्य मिश्रण—
⭐ CP + Intellectual Disability
चलने, बोलने और सोचने की क्षमता संयुक्त रूप से प्रभावित।
⭐ ASD + Visual Impairment
सामाजिक व्यवहार + sensory vision loss का मिश्रण।
⭐ ID + Hearing Impairment
सीखने की क्षमता + communication दोनों प्रभावित होते हैं।
⭐ CP + Speech Disability
Motor planning + articulation दोनों कमजोर।
⭐ Deafblindness (Dual Sensory Loss)
Hearing + Vision दोनों में severe impairment।
⭐ Types of Deafblindness
⭐ Congenital Deafblindness
जन्म से ही hearing + vision दोनों में हानि होती है।
संवेदी जानकारी सीमित होने के कारण communication बहुत कठिन बन जाता है।
⭐ Acquired Deafblindness
जीवन में बाद में दोनों क्षमताएँ कम होती जाती हैं।
यह aging, accidents, infections या genetic conditions का परिणाम हो सकता है।
⭐ Needs of Persons with Multiple Disability & Deafblindness
इन विकलांगताओं में आवश्यकताएँ बहुत विशेष और विस्तृत होती हैं।
⭐ Needs of Multiple Disability
⭐ 1. Multisensory Teaching
ऐसे शिक्षण तरीके जिनमें touch, sound, movement और visual cues सभी शामिल हों।
⭐ 2. Highly Individualized IEP
General strategies प्रभावी नहीं होतीं; व्यक्ति-विशेष IEP आवश्यक है।
⭐ 3. Life Skills Training
Self-care, feeding, grooming, mobility—ये कौशल सीखना सबसे महत्वपूर्ण।
⭐ 4. Communication Support
PECS, gestures, tactile cues और AAC devices।
⭐ 5. Therapeutic Support
Physiotherapy, occupational therapy, speech therapy—कई स्तर पर आवश्यक।
⭐ 6. Behaviour Support
Frustration, crying, self-harm को समझना और support देना।
⭐ 7. Family Training
Parent involvement सबसे ज़रूरी—continuity of training essential।
⭐ Needs of Deafblindness
⭐ 1. Tactile Communication
Touch-based communication system—Tactile Sign Language, Tadoma Method।
⭐ 2. Orientation & Mobility Training
Long cane, tactile maps, guided movement।
⭐ 3. Sensory Integration
Touch-based exploration, object cues, environmental consistency।
⭐ 4. Consistent Routines
क्योंकि दृश्य और श्रवण दोनों सहायता नहीं मिलती, routine stability बेहद आवश्यक है।
⭐ 5. One-to-One Teaching
Information एक से अधिक बार और स्पर्श आधारित तरीके से दी जाती है।
⭐ 6. Social-Emotional Support
Isolation से बचाने के लिए regular interaction और emotional bonding आवश्यक।
⭐ 7. Assistive Devices
Vibration tools, braille devices, vibro-tactile alarms, tactile books।
⭐ 4.5 OTHER DISABILITIES INCLUDED IN THE RPwD ACT (2016)
RPwD Act (2016) ने विकलांगताओं की परिभाषा को पहले से कहीं अधिक व्यापक बनाया है। पुराने कानून PWD Act (1995) में केवल 7 विकलांगताएँ थीं, लेकिन RPwD Act (2016) में 21 प्रकार की disabilities शामिल की गईं, जिससे भारत में विकलांग व्यक्तियों का दायरा और अधिकार दोनों विस्तृत हुए।
Unit 4 का यह भाग उन अन्य महत्वपूर्ण विकलांगताओं को समझने पर केंद्रित है जो पहले उल्लेखित विकलांगताओं (ID, ASD, SLD, Multiple Disability) से अलग हैं, लेकिन शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और लाभ योजनाओं पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
⭐ 1. Mental Illness (मानसिक रोग)
⭐ Definition
मानसिक रोग ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के विचार, भावनाएँ, व्यवहार, और जीवन जीने की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
यह सिर्फ थोड़े समय का तनाव नहीं, बल्कि लगातार बनी रहने वाली स्थिति होती है।
सबसे सामान्य स्थितियाँ—
- Major Depression
- Bipolar Disorder
- Schizophrenia
- Anxiety Disorders
- OCD
- PTSD
⭐ Characteristics
मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति—
- अत्यधिक चिंता या भय
- उदासी या निराशा
- भ्रम (hallucinations) या अवास्तविक विचार
- सामाजिक अलगाव
- ऊर्जा की कमी
- नींद और भूख में परिवर्तन
- दैनिक गतिविधियों में कठिनाई
इनका प्रभाव व्यक्ति के काम, रिश्तों और सीखने पर गहरा पड़ता है।
⭐ Incidence & Prevalence
- भारत में लगभग 5–7% लोग गंभीर मानसिक बीमारियों से प्रभावित
- लगभग 15% लोग किसी-न-किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या का अनुभव करते हैं
⭐ Needs
- नियमित दवा (psychiatric treatment)
- Counselling / psychotherapy
- Life-skills training
- Family support
- Non-judgmental environment
- Stress management training
⭐ 2. Chronic Neurological Conditions (दीर्घकालिक तंत्रिका स्थितियाँ)
⭐ Definition
ऐसी स्थितियाँ जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र को दीर्घकालिक रूप से प्रभावित करती हैं।
मुख्य स्थितियाँ—
- Multiple Sclerosis (MS)
- Parkinson’s Disease
- Epilepsy (कुछ संदर्भों में शामिल)
- Neuromuscular disorders
⭐ Characteristics
- मोटर नियंत्रण में कमी
- कंपकंपी (tremors)
- Balance खराब
- Fatigue
- Speech clarity में कमी
- Cognitive issues कुछ मामलों में
⭐ Incidence & Prevalence
Parkinson’s—
- आमतौर पर बढ़ती उम्र में
- भारत में 40 लाख से अधिक प्रभावित
MS—
- युवा वयस्कों में अधिक
- महिलाओं में अधिक प्रसार
⭐ Needs
- Physiotherapy & Occupational Therapy
- Medication
- Assistive devices
- Slow-paced instruction
- Emotional support
⭐ 3. Blood Disorders (Thalassemia, Sickle Cell Disease, Hemophilia)
ये तीनों RPwD Act में विशेष रूप से शामिल की गई हैं।
⭐ Thalassemia
⭐ Definition
एक आनुवंशिक blood disorder जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में hemoglobin नहीं बनाता।
⭐ Characteristics
- Frequent blood transfusion
- Fatigue
- Weak immunity
- Growth delay
⭐ Prevalence
- भारत में बहुत अधिक (कुछ समुदायों में 3–4%)
⭐ Needs
- Regular transfusion
- Iron chelation therapy
- Nutritional monitoring
⭐ Hemophilia
⭐ Definition
ऐसी स्थिति जिसमें खून का थक्का बनने की प्रक्रिया धीमी या खराब होती है।
⭐ Characteristics
- Minor injuries से भी heavy bleeding
- Joint pain
- Bruising
⭐ Needs
- Factor therapy
- Safe physical activities
- Early medical support
⭐ Sickle Cell Disease
⭐ Definition
RBCs की abnormal shape के कारण oxygen transport घट जाता है।
⭐ Characteristics
- Body pain
- Swelling
- Infection risk
- Low stamina
⭐ Needs
- Pain management
- Hydration
- Avoiding extreme temperatures
⭐ 4. Acid Attack Victims (एसिड अटैक पीड़ित)
⭐ Definition
वे व्यक्ति जिनके चेहरे या शरीर पर एसिड फेंका गया हो, जिससे गंभीर जलन, विकृति या विकलांगता उत्पन्न हुई हो।
⭐ Characteristics
- Burns, scars
- Vision loss
- Breathing difficulty
- Emotional trauma
- Social isolation
⭐ Needs
- Reconstructive surgery
- Psychological counseling
- Social reintegration
- Protection laws under RPwD
⭐ 5. Parkinson’s Disease
⭐ Definition
यह एक neurological condition है जिसमें मस्तिष्क में dopamine-producing cells कम हो जाती हैं, जिससे movement और posture प्रभावित होते हैं।
⭐ Characteristics
- Tremors
- Slow movements
- Body stiffness
- Balance problems
⭐ Needs
- Medication
- Physiotherapy
- Fine-motor training
- Assistive tools
⭐ 6. Speech and Language Disability (SLD अलग – यह अलग category है)
⭐ Definition
Spoken language, articulation, voice quality, or fluency में ऐसी गड़बड़ी जो effective communication को बाधित करती है।
⭐ Characteristics
- Stammering
- Misarticulation
- Voice disorder
- Delayed speech
⭐ Needs
- Speech therapy
- Language stimulation
- Social communication practice
⭐ 7. Multiple Sclerosis (MS)
(Chronic neurological category में)
⭐ Characteristics
- Fatigue
- Numbness
- Visual problems
- Muscle weakness
- Cognitive issues
⭐ 8. Dwarfism (बौनापन)
⭐ Definition
Height significantly below average due to genetic or medical causes।
Usually less than 4 feet 10 inches in adults.
⭐ Characteristics
- Short limbs
- Motor challenges
- Joint pain
⭐ Needs
- Accessible infrastructure
- Modified furniture
- Social inclusion
⭐ Why These Disabilities Are Important in RPwD Act?
RPwD Act (2016) इन सभी विकलांगताओं को अधिकार देता है—
- Education
- Employment reservation
- Barrier-free access
- Social security
- Scholarships
- Assistive devices
- Health benefits
इन विकलांगताओं का प्रभाव केवल शरीर पर नहीं, बल्कि जीवन के हर पक्ष पर होता है—
शिक्षा, रोजगार, सामाजिक जीवन, सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य।
⭐ Conclusion
Unit 4 का यह भाग हमें बताता है कि विकलांगता केवल शारीरिक या बौद्धिक सीमाओं तक सीमित नहीं है।
RPwD Act (2016) ने भारत में विकलांगता की परिभाषा को विस्तृत करके इन व्यक्तियों को समान अधिकार और अवसर प्रदान किए हैं।
ये सभी विकलांगताएँ अलग-अलग प्रकृति की हैं, परंतु इनका उद्देश्य एक ही है—
✔ समानता
✔ सम्मान
✔ स्वतंत्रता
✔ समावेशन
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