⭐विकलांगता की मूलभूत समझ
🌿 भूमिका (Introduction)
बचपन विकास की सबसे संवेदनशील अवस्था है।
हर बच्चे का अपना एक “learning rhythm” होता है—कोई जल्दी सीख जाता है, कोई धीरे-धीरे; कोई बोलने में तेज़ होता है, तो कोई गणित में। यह अंतर ही मानव विविधता (Human Diversity) है।
लेकिन इस विविधता के भीतर कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें
➡️ देखने,
➡️ सुनने,
➡️ बोलने,
➡️ चलने-फिरने,
➡️ सीखने,
➡️ ध्यान लगाने,
➡️ सामाजिक संपर्क बनाए रखने
में कठिनाई आती है।
इन्हीं कठिनाइयों को समझना और सही समर्थन देना ही Special Education का मूल उद्देश्य है।
इस Unit में हम सीखेंगे:
- Exceptionality क्या है?
- Disability और Delay में क्या अंतर है?
- कौन-कौन से भ्रम (Myths) समाज में फैले हैं?
- RPwD Act 2016 में कौन-सी 21 विकलांगताएँ शामिल हैं?
- ICF Framework क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
- “Disability बच्चे में नहीं, वातावरण में होती है” – यह वाक्य क्यों सच है?
1.1 Exceptionality: Concept, Types, Strengths and Characteristics
(अपवादता: अवधारणा, प्रकार, शक्तियाँ और विशेषताएँ)
1.1 Introduction
मानव विकास स्वाभाविक रूप से विविध है। प्रत्येक बालक भिन्न क्षमताओं, रुचियों, सोचने के तरीकों और सीखने की गति के साथ जन्म लेता है। शिक्षा का उद्देश्य इस विविधता को पहचानते हुए प्रत्येक बच्चे को उसकी अधिकतम क्षमता तक पहुँचने में सहायता करना है। लेकिन कुछ बच्चे सामान्य विकास की अपेक्षा या तो तेज़ गति से, या धीमी गति से, अथवा अलग प्रकार की सहायता के साथ सीखते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षा विज्ञान में “Exceptional Learners” कहा जाता है, और इस विशेषता को “Exceptionality” की संज्ञा दी जाती है।
Exceptionality की अवधारणा यह स्वीकार करती है कि सभी बच्चे समान नहीं होते। कुछ बच्चों को सहभागिता, सीखने तथा विकास के लिए विशिष्ट रणनीतियों, अतिरिक्त सामग्री, अनुकूलित पद्धतियों या विशेष सहयोग की आवश्यकता पड़ती है। कुछ बच्चों को साधारण पाठ्यक्रम उबाऊ लग सकता है और उन्हें अधिक समृद्ध शिक्षण सामग्री चाहिए होती है, जबकि कुछ बच्चों को उसी पाठ्यक्रम को समझने के लिए व्यक्तिगत समर्थन की ज़रूरत होती है।
1.2 Meaning and Concept of Exceptionality
Exceptionality शिक्षा में एक व्यापक अवधारणा है, जिसमें वे सभी विद्यार्थी शामिल हैं जिनकी सीखने, समझने, व्यवहार, क्षमता और विकास की प्रक्रिया सामान्य औसत स्तर से भिन्न होती है। यह भिन्नता सकारात्मक (जैसे उत्कृष्ट क्षमता) भी हो सकती है और सीखने में कठिनाई (जैसे विकलांगता) के रूप में भी।
सरल परिभाषा
“Exceptionality वह स्थिति है जिसमें किसी विद्यार्थी के सीखने के तरीके, क्षमता या व्यवहार में ऐसी विशेषता होती है जिसके लिए सामान्य से भिन्न शिक्षण पद्धति या अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है।”
अवधारणा की मुख्य विशेषताएँ
- यह विविधताओं और व्यक्तिगत भिन्नताओं को स्वीकार करती है।
- सभी Exceptional learners को समान समस्याएँ नहीं होतीं; कई में विशेष प्रतिभाएँ भी होती हैं।
- Exceptionality स्थायी भी हो सकती है और कुछ मामलों में अस्थायी भी।
- इसमें प्रतिभाशाली, रचनात्मक, विकलांग, या दोनों (2e) प्रकार के विद्यार्थी सम्मिलित होते हैं।
- Exceptionality का उद्देश्य ‘‘लेबलिंग’’ नहीं, बल्कि उचित ‘‘शैक्षिक योजना’’ तैयार करना है।
1.3 Types of Exceptionality
Exceptionality को व्यापक रूप से चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- Children with Disabilities
- Gifted Children
- Talented Children
- Twice Exceptional (2e) Children
1. Children with Disabilities
वे बच्चे जिनमें शारीरिक, संवेदी, बौद्धिक, व्यवहारिक या संज्ञानात्मक कठिनाइयाँ होती हैं, और जिनके सीखने पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, उन्हें इस श्रेणी में रखा जाता है।
उदाहरण:
- बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability)
- श्रवण बाधित (Hearing Impairment)
- दृष्टिबाधित (Blindness/Low Vision)
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)
- विशिष्ट अधिगम कठिनाई (Dyslexia, Dysgraphia, Dyscalculia)
- सेरेब्रल पाल्सी
- लोकोमोटर विकलांगता
आवश्यकताएँ:
- व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP)
- अनुकूलित पाठ्यपुस्तकें
- सहायक उपकरण (Assistive Technology)
- सहायक शिक्षक, रेसोर्स रूम सुविधाएँ
- लचीली मूल्यांकन प्रक्रिया
2. Gifted Children
ये बच्चे औसत से अत्यधिक उच्च बौद्धिक क्षमता रखते हैं। सीखने की गति, तर्क क्षमता एवं समस्याओं को हल करने का कौशल सामान्य बच्चों से काफी अधिक होता है।
विशेषताएँ:
- गहरी एवं विस्तृत सोच
- कम उम्र में उच्च स्तर के सिद्धांत समझ लेना
- असाधारण जिज्ञासा
- स्वतंत्र सीखने की क्षमता
- उत्कृष्ट स्मरण शक्ति
उदाहरण:
कक्षा 5 का विद्यार्थी जो कक्षा 10 के गणितीय सिद्धांत सहज रूप से समझ लेता है।
3. Talented Children
ये वे बच्चे हैं जो किसी विशेष क्षेत्र—जैसे संगीत, नृत्य, कला, खेल, तकनीकी कौशल—में असाधारण प्रतिभा रखते हैं।
विशेषताएँ:
- किसी क्षेत्र में गहरी रुचि
- कम उम्र में कौशल में दक्षता
- रचनात्मकता और मौलिकता
- निरंतर अभ्यास की प्रवृत्ति
उदाहरण:
8 वर्ष का बच्चा जो जटिल राग प्रस्तुत करने में सक्षम हो।
4. Twice Exceptional (2e) Children
2e बच्चे वे होते हैं जिनमें Giftedness + Disability दोनों मौजूद होती हैं।
इनकी आवश्यकताएँ सबसे अनूठी और चुनौतीपूर्ण होती हैं।
उदाहरण:
- उच्च IQ वाला बच्चा लेकिन Dyslexia
- बहुत तेज़ logical reasoning लेकिन ADHD
- गणित में उत्कृष्टता लेकिन Autism
इनकी चुनौतियाँ:
- क्षमता और कठिनाई में असमानता
- शिक्षक का उन पर गलत अनुमान लगाना
- भावनात्मक उतार–चढ़ाव
- anxiety, frustration
इनकी जरूरतें:
- समृद्ध शिक्षण सामग्री
- कमजोर क्षेत्रों में remedial support
- सामाजिक–भावनात्मक समर्थन
- लचीली शिक्षण-रणनीतियाँ
1.4 Strengths of Exceptional Learners
हर Exceptional learner अपनी विशिष्ट शक्तियों के साथ आता है। इन शक्तियों की पहचान और उनका समुचित उपयोग शिक्षण को प्रभावी बनाता है।
मुख्य शक्तियाँ
- Cognitive Strengths
- उन्नत तर्क
- तेज़ सीखने की क्षमता
- समस्या-समाधान कौशल
- Creative Strengths
- मौलिक विचार
- कला/संगीत/अभिनय में दक्षता
- Affective Strengths
- संवेदनशीलता
- सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार
- Social Strengths
- टीमवर्क
- नेतृत्व क्षमता
Table: Types of Exceptional Learners and Their Strengths
| श्रेणी | प्रमुख शक्तियाँ | उदाहरण |
|---|---|---|
| Disability | दृढ़ता, वैकल्पिक रणनीतियाँ | Blind child using tactile methods |
| Gifted | उच्च-स्तरीय चिंतन | advanced math कौशल |
| Talented | रचनात्मकता, कौशल | संगीत/खेल में उत्कृष्टता |
| 2e | dual strengths | brilliant ideas + writing difficulty |
1.5 Characteristics of Exceptional Learners
हर Exceptional learner की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ होती हैं जिन्हें समझना शिक्षण योजना बनाने के लिए आवश्यक है।
A. Characteristics of Children with Disabilities
- सीखने की धीमी गति
- भाषा/संचार में बाधाएँ
- मोटर या संवेदी चुनौतियाँ
- सामाजिक–व्यवहारिक कठिनाइयाँ
- दृश्य/श्रव्य सामग्री की आवश्यकता
B. Characteristics of Gifted Learners
- उन्नत शब्दावली
- तेज़ reasoning ability
- complex ideas में रुचि
- boredom से जल्दी प्रभावित होना
- कल्पनाशीलता
C. Characteristics of Talented Learners
- विशिष्ट क्षेत्र पर केंद्रित
- उत्कृष्ट मोटिवेशन
- निरंतर अभ्यास
- कौशल में proficiency
D. Characteristics of Twice Exceptional Learners
- uneven performance
- प्रतिभा छिपी रह जाना
- आत्मविश्वास में कमी
- उच्च बौद्धिक क्षमता
- व्यवहारिक कठिनाइयाँ
1.6 Educational Significance of Understanding Exceptionality
Exceptionality की समझ के बिना समावेशी शिक्षा संभव नहीं है।
यह शिक्षक को—
- व्यक्तिगत भिन्नताओं को स्वीकारने
- उपयुक्त शिक्षण रणनीतियाँ चुनने
- विशेष प्रतिभाओं को विकसित करने
- कठिनाइयों को कम करने
- सहयोगात्मक वातावरण बनाने
में मदद करती है।
Conclusion
Exceptionality मानव विविधता का स्वाभाविक और आवश्यक हिस्सा है। यह किसी कमी का संकेत नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रत्येक बच्चा सीखने की अपनी विशिष्ट शैली और आवश्यकताओं के साथ आता है।
शिक्षक की भूमिका इन विशेषताओं को पहचानने, स्वीकारने और सीखने को सहज बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि सीखने के वातावरण, शिक्षण विधि और संसाधनों को बच्चों की व्यक्तिगत ज़रूरतों के अनुरूप बनाया जाए, तो प्रत्येक exceptional learner उच्च उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है।

1.2 DIVERSITY, DIFFICULTY, DELAY & DISABILITY IN LEARNERS (सीखने वालों में विविधता, कठिनाई, विलंब और विकलांगता)
1.2 Introduction
एक कक्षा में बैठा हर बच्चा अपनी क्षमता, रुचि, भाषा, अनुभव, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और सीखने की शैली में अलग होता है। यह स्वाभाविक विविधता शिक्षा को समृद्ध बनाती है, परन्तु साथ ही शिक्षक से अधिक संवेदनशीलता और अनुकूलन की अपेक्षा करती है।
लेकिन कई बार शिक्षकों को यह समझने में कठिनाई होती है कि—
क्या बच्चे की समस्या विविधता है?
या कठिनाई है?
या विकास में विलंब है?
या वास्तव में विकलांगता है?
इन चारों शब्दों के भेद को समझना समावेशी शिक्षा का पहला कदम है।
1. Diverse Learners (विविधता)
1.2.1 Concept of Diversity
Diversity का अर्थ है—कक्षा में उपस्थित प्रत्येक विद्यार्थी की व्यक्तिगत भिन्नता।
यह भिन्नता सामान्य है और इसे किसी समस्या की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।
विविधता के मुख्य रूप
- बौद्धिक विविधता – कोई बच्चा तेज़ सीखता है, कोई धीरे
- सांस्कृतिक विविधता – भाषाएँ, रीति–रिवाज
- भाषाई विविधता – mother tongue, accent
- सीखने की शैली – visual, auditory, kinesthetic
- व्यवहारिक विविधता – introvert, extrovert
- रुचियाँ – कला, खेल, विज्ञान
Table 1: Types of Diversity in Classroom
| प्रकार | उदाहरण | शिक्षक की भूमिका |
|---|---|---|
| Intellectual | तेज़/धीमी सीखने की गति | Differentiated Teaching |
| Cultural | अलग भाषाएँ | Multilingual Support |
| Learning Style | visual learner | Multi-sensory Lessons |
| Behavioural | shy child | Encouragement, Safety |
| Interests | art/science | Interest-based tasks |
उदाहरण
कक्षा में एक बच्चा चित्र देखकर जल्दी सीखता है, दूसरा कहानी सुनकर।
दोनों सामान्य हैं—यह विविधता है।
2. Learning Difficulty (कठिनाई)
1.2.2 Concept of Difficulty
यह एक अस्थायी या हल्की समस्या होती है, जिसका कारण अक्सर—
- अभ्यास की कमी
- विषय में रुचि का अभाव
- अध्यापन शैली
- भाषिक अंतर
हो सकता है।
कठिनाई (Difficulty) किसी विकलांगता का संकेत नहीं होती।
Examples of Learning Difficulties
- Mathematics में fractions कठिन लगना
- लंबा paragraph लिखने में समस्या
- नई भाषा के शब्द जल्दी न याद होना
- Diagram बनाने में कठिनाई
इनमें समय, अभ्यास और सही मार्गदर्शन से सुधार हो जाता है।
Table 2: Difference Between Difficulty and Disability
| आधार | Difficulty | Disability |
|---|---|---|
| अवधि | अस्थायी | दीर्घकालिक |
| सुधार | अभ्यास से संभव | विशेष समर्थन आवश्यक |
| कारण | विषय/शैली आधारित | neurological/physical |
| उदाहरण | fractions कठिन | dyscalculia |
3. Developmental Delay (विकास में विलंब)
1.2.3 Concept of Delay
जब बच्चा विकास की सामान्य अवस्थाओं (milestones) को अपेक्षित उम्र में प्राप्त नहीं करता, तो इसे Delay कहा जाता है।
Milestones Examples
- 1 वर्ष में बोलना
- 18 महीने में चलना
- 3 वर्ष में sentences बोलना
- 5 वर्ष में pencil पकड़ना
जब बच्चा इन milestones को देर से प्राप्त करे, यह Delay है, पर आवश्यक नहीं कि Disability हो।
Types of Developmental Delay
- Speech and Language Delay
- Cognitive Delay
- Motor Delay
- Social–Emotional Delay
- Global Developmental Delay
Examples of Delay
- दो साल का बच्चा दो शब्द जोड़कर नहीं बोल पा रहा
- बच्चा 2.5 वर्ष की उम्र में भी चलना शुरू नहीं करता
- 5 साल का बच्चा shapes नहीं पहचान पाता
Delay कई बार intervention से सुधार ले आता है।
4. Disability (विकलांगता)
1.2.4 Concept of Disability
जब किसी क्षमता में कमी इतनी अधिक हो कि—
- सीखने
- व्यवहार
- संचार
- सामाजिक सहभागिता
पर स्थायी प्रभाव पड़े, तब इसे “Disability” कहा जाता है।
Disability केवल-medical problem नहीं, बल्कि environment + individual interaction का परिणाम है।
Examples of Disability
- Autism
- Visual Impairment
- Hearing Impairment
- Dyslexia
- Cerebral Palsy
- Intellectual Disability
ये स्थितियाँ दीर्घकालिक होती हैं और विशेष समर्थन आवश्यक होता है।
Major Differences Among Diversity, Difficulty, Delay & Disability
Master Table: Comprehensive Comparison
| तत्व | Diversity | Difficulty | Delay | Disability |
|---|---|---|---|---|
| प्रकृति | प्राकृतिक अंतर | अस्थायी समस्या | विकास में देर | दीर्घकालिक सीमा |
| कारण | व्यक्तिगत विविधता | विषय/अभ्यास | biological/environmental | neurological/physical |
| अवधि | स्थायी/सामान्य | temporary | temporary/potential permanent | permanent |
| सीखने पर प्रभाव | कम | मध्यम | मध्यम | अधिक |
| समर्थन | सामान्य | अभ्यास | early intervention | special education |
| उदाहरण | सीखने की गति | spelling errors | late walking | Dyslexia |
Flow Chart: Identification Process
सीखने में कठिनाई देखी गई
│
▼
क्या यह अस्थायी है? → Difficulty
│
▼
क्या माइलस्टोन्स देर से हैं? → Delay
│
▼
क्या सीखने/सहभागिता पर दीर्घकालिक प्रभाव है?
│
▼
Disability
Importance for Teachers
- अवधारणात्मक स्पष्टता
- गलत लेबलिंग से बचाव
- प्रारम्भिक पहचान
- समावेशी शिक्षण पद्धतियाँ
- बच्चे के अनुरूप पाठ्य योजना
Conclusion
सीखने वाले बच्चों में Diversity, Difficulty, Delay और Disability चार अलग–अलग लेकिन परस्पर जुड़े हुए शब्द हैं। इनकी स्पष्ट समझ शिक्षक को यह जानने में सहायता देती है कि किस बच्चे को किस प्रकार की सहायता चाहिए। समावेशी शिक्षा की सफलता इन्हीं सूक्ष्म अंतरों को पहचानकर प्रत्येक बच्चा–केंद्रित शिक्षण प्रदान करने में निहित है।
1.3 MYTHS AND REALITIES ABOUT DISABILITIES & TWICE EXCEPTIONALITY (2e)
(विकलांगताओं से जुड़े मिथक और वास्तविकताएँ, तथा द्विगुणित अपवादता)
1.3 Introduction
शिक्षा और समाज में विकलांगता को लेकर अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं। इनमें से कई धारणाएँ अनुभव, तथ्यों या वैज्ञानिक समझ पर आधारित नहीं होतीं। ऐसे भ्रमित विश्वासों को मिथक (Myths) कहा जाता है। ये मिथक बच्चों की क्षमताओं, उनके अधिकारों, सीखने के अवसरों और सामाजिक प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
समावेशी शिक्षा का उद्देश्य ही इन मिथकों को तोड़कर वास्तविक, वैज्ञानिक और संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित करना है।
1.3.1 Meaning of Myths and Realities
Myth (मिथक)
ऐसा विश्वास जो लोग सत्य समझते हैं, परंतु जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता।
Reality (वास्तविकता)
ऐसी सच्चाई जो शोध, प्रमाण, क्लिनिकल अनुभव और वास्तविक जीवन अवलोकन पर आधारित हो।
शिक्षा में सबसे बड़ा नुकसान तब होता है जब शिक्षक, माता-पिता या समाज मिथकों पर विश्वास करने लगते हैं। इससे बच्चे की सही पहचान, सहारा और सीखने के अवसर प्रभावित होते हैं।
1.3.2 Major Myths, Realities and Full Examples
नीचे विकलांगताओं से संबंधित 10 सबसे सामान्य मिथकों को वैज्ञानिक वास्तविकताओं और वास्तविक जीवन उदाहरणों के साथ समझाया गया है।
⭐ Table: Myths → Realities → Examples
| क्रम | मिथक (Myth) | वास्तविकता (Reality) | उदाहरण (Explanation Example) |
|---|---|---|---|
| 1 | “दिव्यांग बच्चे सीख नहीं सकते।” | सभी बच्चे सीख सकते हैं; आवश्यकता सिर्फ सही रणनीति और समर्थन की होती है। | Asha, जो Low Vision है, large print किताबों से पढ़कर अपनी कक्षा में प्रथम आई। |
| 2 | “Hearing Impaired बच्चे बुद्धिमान नहीं होते।” | श्रवण हानि का बुद्धि से कोई संबंध नहीं। | Raghav Deaf है और Sign Language से science exhibition में पहला स्थान जीत लेता है। |
| 3 | “Blind बच्चे हमेशा दूसरों पर निर्भर रहते हैं।” | Orientation & Mobility प्रशिक्षण इन बच्चों को स्वतंत्र बनाता है। | Naseem cane, mobile reader apps और Braille की मदद से अकेले स्कूल आता-जाता है। |
| 4 | “Dyslexia = आलस।” | Dyslexia एक neurological condition है, आलस्य नहीं। | Neha पढ़ने में शब्द उलट देती थी, पर Maths में बहुत तेज़ थी — शिक्षक ने Dyslexia पहचाना। |
| 5 | “Autism गलत व्यवहार है।” | Autism sensory और social communication की कठिनाई है। | Kabir loud sound में हाथ हिलाता है; यह sensory overload है, misbehavior नहीं। |
| 6 | “Intellectual Disability वाले बच्चे कुछ नहीं सीख सकते।” | वे step-wise और functional methods से बहुत कुछ सीख सकते हैं। | Ritu रुपयों का लेन-देन, खाना परोसना और self-care सीख चुकी है। |
| 7 | “Physical disability = mental disability।” | शरीर की कठिनाई का बुद्धि से कोई संबंध नहीं। | Dev, जो wheelchair उपयोग करता है, गणित में class topper है। |
| 8 | “दिव्यांग बच्चे inclusive स्कूल में समायोजित नहीं हो सकते।” | Inclusive settings ही सबसे उपयुक्त हैं। | Anjali, Low Vision, front-row seating और enlarged notes से बेहतरीन प्रदर्शन करती है। |
| 9 | “Therapy लेने से Disability पूरी तरह ठीक हो जाती है।” | Therapy से improvement होता है, disability समाप्त नहीं होती। | Cerebral Palsy वाला बच्चा physiotherapy से motor skills बेहतर करता है, पर condition बनी रहती है। |
| 10 | “दिव्यांग बच्चे खेल-कूद में हिस्सा नहीं ले सकते।” | Adapted games और accessible environment से वे उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन कर सकते हैं। | Paralympic champions इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। |
1.3.4 Concept of Twice Exceptionality (2e)
Twice Exceptional (2e) ऐसे विद्यार्थियों को कहा जाता है जिनमें—
● Giftedness (असाधारण उच्च क्षमता)
● + Disability (विकलांगता)**
दोनों एक साथ होती हैं।
ये बच्चे एक तरफ तेज़ दिमाग, गहरी सोच और विशेष प्रतिभा रखते हैं; दूसरी तरफ उन्हें सीखने, ध्यान, सामाजिक संबंध या संचार में कठिनाइयाँ भी होती हैं।
1.3.5 Characteristics of 2e Learners
| क्षेत्र | विशेषताएँ |
|---|---|
| Cognitive | तेज़ सोच, advanced reasoning, creativity |
| Academic | uneven performance — कुछ विषय अच्छे, कुछ कमजोर |
| Social | साथियों से मेलजोल में कठिनाई |
| Emotional | frustration, low confidence |
| Behavioural | boredom, restlessness (कभी-कभी) |
1.3.6 Examples of 2e Profiles
- Gifted + Dyslexia
- मन में तेज़ विचार → लेकिन पढ़ने/लिखने में कठिनाई
- Gifted + ADHD
- creativity बहुत → ध्यान कम टिकता
- Gifted + Autism
- excellent memory → लेकिन social signals समझने में कठिनाई
- Gifted + Dysgraphia
- strong imagination → but writing very slow
1.3.7 Strengths of 2e Children
- Unusual creativity
- Extra strong visual thinking
- Deep interest areas
- Unique problem-solving methods
- Intense focus (hyper-focus phases)
1.3.8 Challenges
- Talent छिपी रह जाती है
- शिक्षक उन्हें “weak” समझ लेते हैं
- uneven marks के कारण misunderstanding
- social anxiety
- frustration due to mismatch between mind & output
1.3.9 Needs of 2e Learners
- Dual Approach – strengths को उभारना + challenges को support देना
- Flexible assessments – लिखने की बजाय oral, projects
- Emotional support – self-esteem बढ़ाना
- Multi-sensory learning
- Enrichment programs for talent
⭐ Case Study: Realistic 2e Example
Arjun – Class 6
- Complex maths आसानी से हल कर लेता है
- Logic में अत्यंत तेज़
- लेकिन writing में severe difficulty → Dysgraphia
- Teachers उसे “careless” समझते थे
- जब Oral + Practical Assessment दिया गया → 90% marks
- अब वह Maths Club का छात्र प्रतिनिधि है
➡ सीख: 2e बच्चों का potential पहचानने के लिए दो-तरफ़ा दृष्टिकोण आवश्यक है।
Conclusion (निष्कर्ष)
Disability से जुड़े मिथक न केवल बच्चों की प्रगति बल्कि उनके अधिकार और आत्मसम्मान को भी प्रभावित करते हैं।
समावेशी शिक्षा तभी सफल होती है जब—
- मिथकों का वैज्ञानिक खंडन किया जाए
- वास्तविकताओं को स्वीकार किया जाए
- और हर बच्चे को उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप समर्थन मिले
Twice Exceptionality (2e) इस विविधता का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें उच्च क्षमता और चुनौती दोनों साथ मौजूद रहती हैं। ऐसे विद्यार्थियों को उपयुक्त मार्गदर्शन मिल जाए तो वे असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
1.4 • 21 Specified Disabilities in RPwD Act, 2016 and Their Educational Implications
(आर.पी.डब्ल्यू.डी. अधिनियम – 2016 में निर्दिष्ट 21 विकलांगताएँ और उनके शैक्षिक निहितार्थ)
1.4.1 Introduction
भारत सरकार ने “Rights of Persons with Disabilities Act (RPwD Act), 2016” में विकलांगताओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 21 कर दी। यह परिवर्तन विकलांग व्यक्तियों की विविध आवश्यकताओं को व्यापक रूप से स्वीकारने और उन्हें शिक्षण, रोजगार, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और समान अधिकारों का अवसर प्रदान करने हेतु किया गया।
शिक्षा के संदर्भ में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षक, स्कूल, अभिभावक और समाज—
✔ किस तरह के बच्चे को कौन सा समर्थन देना है
✔ कौन से शिक्षण साधन, अनुकूलन और संसाधन आवश्यक हैं
✔ किन छात्रों को परीक्षा में रियायतें मिलती हैं
इन सबकी सही पहचान कर सकते हैं।
⭐ 1.4.2 List of 21 Specified Disabilities (तालिका सहित)
नीचे RPwD अधिनियम (2016) में शामिल 21 विकलांगताओं की सूची उनके सरल अर्थ के साथ दी गई है।
Table: 21 Disabilities under RPwD Act, 2016
| क्रम | विकलांगता | सरल अर्थ |
|---|---|---|
| 1 | Blindness | पूर्ण दृष्टि का अभाव |
| 2 | Low Vision | आंशिक दृष्टि, सहायक उपकरण से देख पाना |
| 3 | Leprosy Cured | कुष्ठ रोग ठीक होने के बाद के शारीरिक प्रभाव |
| 4 | Hearing Impairment | सुनने की क्षमता में कमी |
| 5 | Deaf | अत्यधिक श्रवण बाधा |
| 6 | Hard of Hearing | मध्यम श्रवण हानि |
| 7 | Speech & Language Disability | बोलने और भाषा उत्पादन में कठिनाई |
| 8 | Locomotor Disability | शरीर के किसी भाग की गतिशीलता में समस्या |
| 9 | Dwarfism | औसत ऊँचाई से कम (137 cm से कम) |
| 10 | Intellectual Disability | बौद्धिक कार्यों एवं दैनिक जीवन कौशल में कमी |
| 11 | Specific Learning Disability | Dyslexia, Dysgraphia आदि |
| 12 | Autism Spectrum Disorder | सामाजिक संचार व व्यवहार में अंतर |
| 13 | Cerebral Palsy | मस्तिष्क क्षति से होने वाली मोटर कठिनाई |
| 14 | Muscular Dystrophy | मांसपेशियों का धीरे-धीरे कमजोर होना |
| 15 | Chronic Neurological Conditions | Epilepsy, Neuromotor conditions |
| 16 | Multiple Sclerosis | nervous system disorder |
| 17 | Thalassemia | रक्त विकार |
| 18 | Hemophilia | रक्त का न जमना |
| 19 | Sickle Cell Disease | sickle-shaped RBC disorder |
| 20 | Multiple Disabilities | दो या अधिक विकलांगताएँ साथ में |
| 21 | Acid Attack Victims | अम्ल हमले से हुए शारीरिक दुष्परिणाम |
1.4.3 Detailed Explanation & Educational Implications
अब प्रत्येक विकलांगता को शिक्षा के दृष्टिकोण से विस्तार, उदाहरण और रणनीतियों सहित समझते हैं।
1. Blindness (अंधता)
✔ विशेषताएँ
- पूर्ण दृष्टि का अभाव
- Braille पर निर्भरता
- mobility training आवश्यक
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- Braille books, tactile diagrams
- audio books, screen readers
- buddy support
- orientation & mobility training
- verbal instructions का उपयोग
2. Low Vision (कम दृष्टि)
✔ विशेषताएँ
- अल्प दृष्टि, धुंधला दिखाई देना
- high contrast और large print उपयोगी
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- large print textbooks
- magnifiers
- bold markers
- seating arrangement (front)
- well-lit classroom
3. Leprosy Cured Persons
✔ विशेषताएँ
- रोग ठीक होने के बाद हाथ-पैर में संवेदना कम
- सामाजिक कलंक भी समस्या
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- peer sensitization
- self-care activities
- safe handling tools
- social inclusion activities
4. Hearing Impairment (श्रवण बाधा)
(Deaf + Hard of Hearing दोनों शामिल)
✔ विशेषताएँ
- speech clarity पर प्रभाव
- lip reading या sign language का उपयोग
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- Indian Sign Language (ISL)
- captioned videos
- visual teaching
- hearing aids
- face-to-face communication
- slow & clear speaking
5. Speech and Language Disability
✔ विशेषताएँ
- स्पष्ट उच्चारण में कठिनाई
- expressive/receptive language delay
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- speech therapy
- AAC devices (communication boards)
- simple language instructions
- repetition and modelling
6. Locomotor Disability
✔ विशेषताएँ
- चलने, पकड़ने, उठाने में कठिनाई
- wheelchairs, crutches की आवश्यकता
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- ramps, accessible toilets
- adjustable desks
- extra time in writing
- supportive peers
7. Dwarfism
✔ विशेषताएँ
- ऊँचाई कम
- reach-related issues
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- low height classroom furniture
- accessible shelves
- peer assistance
8. Intellectual Disability (ID)
✔ विशेषताएँ
- कम IQ
- adaptive skills में कमी
- सरल निर्देशों की आवश्यकता
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- functional curriculum
- task breakdown (step-wise)
- practice & repetition
- life skills training
- concrete teaching aids
9. Specific Learning Disabilities (SLD)
(Dyslexia, Dyscalculia, Dysgraphia)
✔ विशेषताएँ
- पढ़ने/लिखने/गिनने में विशिष्ट कठिनाई
- सामान्य या उच्च IQ
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- phonics-based reading
- multi-sensory teaching
- extra time, scribe
- large fonts
- assistive technology (text-to-speech)
10. Autism Spectrum Disorder (ASD)
✔ विशेषताएँ
- repetitive behaviour
- sensory difficulties
- social communication challenges
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- visual schedules
- structured classroom
- sensory-friendly environment
- low-stimulus seating
- social stories
11. Cerebral Palsy (CP)
✔ विशेषताएँ
- motor control issues
- speech involvement possible
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- assistive devices
- writing support (slant board, pencil grip)
- flexible seating
- physiotherapy + academic integration
12. Muscular Dystrophy
✔ विशेषताएँ
- muscles weaken gradually
- increasing physical support needed
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- rest breaks
- light-weight materials
- assistive tech
- barrier-free movement
13. Chronic Neurological Conditions
✔ उदाहरण
Epilepsy, brain infections, neuropathy
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- emergency medication plan
- low-stress environment
- supportive peer network
14. Multiple Sclerosis
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- fatigue management
- flexible deadlines
- safe and supportive environment
15. Thalassemia
✔ विशेषताएँ
- frequent hospital visits
- low stamina
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- reduced academic load
- flexible attendance
- peer support
16. Hemophilia
✔ विशेषताएँ
- bleeding risk
- injury concern
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- safe environment
- avoid rough sports
- emergency first aid plan
17. Sickle Cell Disease
✔ विशेषताएँ
- fatigue
- pain episodes
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- rest periods
- warm environment
- flexible curriculum
18. Multiple Disabilities
✔ विशेषताएँ
- दो या अधिक विकलांगताएँ साथ में
- complex needs
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- multidisciplinary team approach
- IEP (Individualized Education Plan)
- assistive devices + therapies
19. Autism + ID / VI + CP (Examples)
(Already covered under Multiple Disabilities)
20. Acid Attack Victims
✔ विशेषताएँ
- vision loss
- skin sensitivity
- psychological trauma
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- counselling support
- accessible environment
- assistive devices
- anti-bullying measures
21. Parkinson’s Disease
(Adulthood में अधिक, पर higher studies में प्रभावित कर सकता है)
✔ शैक्षिक निहितार्थ
- writing support
- rest periods
- slow-paced teaching
1.4.4 Summary Table: Disabilities & Educational Needs
| Disability Category | Educational Needs |
|---|---|
| Visual Impairment | Braille, audio, tactile aids |
| Hearing Impairment | ISL, visual teaching |
| SLD | phonics, extra time |
| ID | functional curriculum |
| Locomotor | ramps, accessible seating |
| ASD | structure, visuals |
| CP | assistive tech |
| Blood disorders | reduced load |
1.4.5 Conclusion
RPwD Act 2016 की 21 विकलांगताएँ यह बताती हैं कि शिक्षा को हर बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। प्रत्येक विकलांगता की अपनी विशेष प्रकृति, सीखने की चुनौतियाँ और आवश्यक सहयोग होते हैं।
एक समावेशी शिक्षक वह है जो—
✔ इन विकलांगताओं की पहचान कर सके
✔ सही शैक्षिक अनुकूलन प्रदान करे
✔ और हर विद्यार्थी के सीखने को सुलभ और सार्थक बनाए।
📘 1.5 • International Classification of Functioning (ICF) Framework of WHO; Inaccessible Environments as Barriers
(WHO का ICF फ्रेमवर्क और बच्चों के लिए बाधा उत्पन्न करने वाले अनुपलब्ध वातावरण)
1.5.1 Introduction
WHO (World Health Organization) ने ICF – International Classification of Functioning, Disability and Health को एक वैश्विक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है।
यह मॉडल बताता है कि विकलांगता (Disability) केवल शरीर की समस्या नहीं होती, बल्कि व्यक्ति + वातावरण + सामाजिक दृष्टिकोण मिलकर यह निर्धारित करते हैं कि कोई बच्चा कितना सीख पाएगा और कितना भाग ले पाएगा।
ICF मॉडल का मूल सिद्धांत है:
⭐ “Disability is not in the child; it is in the mismatch between the child’s abilities and the environment.”
(विकलांगता बच्चे में नहीं, बल्कि बच्चे और वातावरण के बीच असंगति में होती है)
यह दृष्टिकोण समावेशी शिक्षा का आधार है।
1.5.2 What is the ICF Framework? (ICF क्या है?)
WHO (World Health Organization) द्वारा विकसित ICF – International Classification of Functioning, Disability and Health एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक ढांचा है, जिसका उद्देश्य यह समझना है कि कोई व्यक्ति अपने दैनिक जीवन, शिक्षा, सामाजिक गतिविधियों और सहभागिता में कैसी भूमिका निभा सकता है तथा उसके functioning को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं।
ICF व्यक्ति की क्षमताओं और कठिनाइयों को केवल स्वास्थ्य स्थिति (health condition) के आधार पर नहीं मापता, बल्कि यह इस बात पर भी ध्यान देता है कि पर्यावरण, सामाजिक समर्थन, दृष्टिकोण, शिक्षण शैली और उपलब्ध संसाधन किसी व्यक्ति की प्रगति को कैसे बढ़ाते या रोकते हैं।
इसलिए ICF एक holistic (समग्र) मॉडल है—जो बच्चे के शरीर, मन, सामाजिक व्यवहार और वातावरण को एक साथ देखकर यह निर्धारित करता है कि वह कितना भाग ले सकता है, कितना सीख सकता है और किन बाधाओं का सामना करता है।
ICF Framework की प्रमुख विशेषताएँ
1. Health Condition से आगे बढ़कर संपूर्ण functioning को समझना
ICF disability को केवल impairment के रूप में नहीं देखता, बल्कि यह समझता है कि किसी बच्चे की वास्तविक क्षमता—
- वातावरण,
- अवसरों,
- शिक्षण पद्धति
से मिलकर ही विकसित होती है।
2. व्यक्ति और वातावरण के बीच संबंध पर फोकस
ICF का मुख्य संदेश है:
“Disability = व्यक्ति की क्षमता + वातावरण की बाधाएँ।”
इसका अर्थ यह है कि कई बार बच्चा सक्षम होता है, पर वातावरण उसे सक्षम होने नहीं देता।
3. Educational Planning में उपयोगी
ICF शिक्षक को यह समझने में मदद करता है कि—
- बच्चे को वास्तव में किस प्रकार का समर्थन चाहिए,
- environment में क्या बदलाव आवश्यक हैं,
- कौन-से teaching strategies बच्चे की participation बढ़ाएँगे।
ICF के पाँच मुख्य घटक (Components of ICF)
ICF व्यक्ति की functioning को पाँच क्षेत्रों में विभाजित करता है:
1. Body Functions and Structures (शारीरिक संरचना और कार्य)
यह शरीर के अंगों, मांसपेशियों, आँख, कान, तंत्रिका तंत्र, स्मृति आदि को दर्शाता है।
यदि इनमें कोई कमी हो, तो उसे “impairment” कहा जाता है।
उदाहरण: सुनने की क्षमता कम होना, पैर की मांसपेशियों का कमजोर होना।
2. Activities (गतिविधियाँ)
यह बताता है कि बच्चा किसी कार्य को स्वयं कर सकता है या उसमें कठिनाई महसूस करता है।
उदाहरण:
- लिखना
- पढ़ना
- चलना
- गेंद पकड़ना
3. Participation (सहभागिता)
कक्षा, खेल, प्रोजेक्ट, सामुदायिक गतिविधियों में बच्चे की भागीदारी कितनी है, यह ICF विशेष रूप से देखता है।
उदाहरण:
Group work में भाग लेना, presentations देना, खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होना।
4. Environmental Factors (पर्यावरणीय कारक)
ICF के अनुसार, यह क्षेत्र सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
यह बच्चे के आसपास की—
- भौतिक,
- सामाजिक,
- शैक्षिक,
- और मनोवैज्ञानिक
स्थितियों को दर्शाता है।
उदाहरण:
रैम्प का होना, supportive teachers, accessible learning materials, family support।
5. Personal Factors (व्यक्तिगत कारक)
व्यक्ति की रुचि, प्रेरणा, आत्मविश्वास, घर का वातावरण, सीखने की शैली आदि इस श्रेणी में आते हैं।
उदाहरण:
किसी बच्चें की पढ़ाई में रुचि, जिज्ञासा, family encouragement।
ICF Model का उद्देश्य
ICF मॉडल का मुख्य उद्देश्य है—
- विकलांगता को deficit (कमी) नहीं, बल्कि barriers (बाधाओं) के संदर्भ में समझना
- बच्चे की क्षमताओं को पहचानना
- environment को सीखने योग्य बनाना
- और सहभागिता (participation) को अधिकतम करना
इसलिए ICF बच्चे पर ध्यान देने से पहले वातावरण पर ध्यान देता है।
ICF: Simplified Table (Book-Style Presentation)
| ICF Component | सरल अर्थ | शिक्षा में महत्व |
|---|---|---|
| Body Functions | शारीरिक क्षमताएँ | किस कार्य में कठिनाई है? |
| Activities | क्या कर सकता/नहीं कर सकता | सीखने की बाधाओं की पहचान |
| Participation | कक्षा में भागीदारी | inclusion की planning |
| Environment | आसपास की सुविधाएँ/रुकावटें | environment modification |
| Personal Factors | रुचि, आत्मविश्वास | motivation and support |
Conclusion
ICF फ्रेमवर्क समावेशी शिक्षा का वैज्ञानिक आधार है। यह दिखाता है कि शिक्षा में असली अंतर “बच्चे की कमी” नहीं, बल्कि “बच्चे और वातावरण के बीच का अंतर” होता है। जब वातावरण को सुलभ, सरल और सहायक बनाया जाता है, तो हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकता है।
Grid
Characteristics, incidence, prevalence, types and needs of Intellectual Disability, Autism, SLD, Multiple Disability and other RPwD conditions.
Characteristics, Incidence, Prevalence, Types & Needs of Persons with Disabilities
Significant Provisions for Empowerment of Learners with Disabilities – RPWD Act 2016)
Important Days for Persons with Disabilities (PwDs)
BASICS OF DISABILITY
Assessment – Strategies and Practices
B.Ed Special Education (ID), B.com & M.Com
Founder – ✨ Notes4SpecialEducation✨
I create simple, clear, and exam-focused study materials for Special Education students. My aim is to make learning accessible and easy to understand, so that every student can learn confidently and succeed in their academic journey.





