दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
अध्याय- 3
शिक्षा
16.शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य:
समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी प्रयास करेंगे कि उनके द्वारा सभी वित्तपोषित व मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थाएं दिव्यांग बालकों के लिए सम्मिलित शिक्षा प्रदान करें और इस संबंध में निम्नलिखित उपाय करेंगी. –
(i) उन्हें बिना किसी विभेद के प्रवेश देना और अन्य व्यक्तियों के समान खेल और आमोद-प्रमोद गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान करना:
(ii) भवन, परिसर और विभिन्न सुविधाओं तक पहुंच बनाना;
(iii) व्यक्तिगत अपेक्षाओं के अनुसार युक्तियुक्त वास सुविधा प्रदान करना;
(iv) ऐसे वातावरण में, जो पूर्ण समावेशन के ध्येय के संगत शैक्षणिक और सामाजिक विकास को उच्चतम सीमा तक बढ़ाते हैं, व्यक्तिपरक या अन्यथा आवश्यकता सहायता प्रदान करना;
(v) यह सुनिश्चित करता कि ऐसे व्यक्ति को, जो अंधा या बधिर या दोनो है, संसूचना की समुचित भाषाओं और रीतियों तथा साधनों में शिक्षा प्रदान करना;
(vi) बालकों में विनिर्दिष्ट विद्या दिव्यांगताओं का शीघ्रतम पता लगाना और उन पर काबू पाने के लिए उपयुक्त शैक्षणिक और अन्य उपाय करना;
(vii) प्रत्येक दिव्यांग छात्र के संबंध में शिक्षा के प्राप्ति स्तरों और पूर्णता के रूप में उसकी भागीदारी, प्रगति को मानीटर करना;
(viii) दिव्यांग बालकों और उच्च सहायता को आवश्यकता वाले दिव्यांग बालकों के परिचर के लिए भी परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराना।
17.शिक्षा को संवर्धित और सुकर बनाने के उपाय-
समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी धारा 16 के प्रयोजन के लिए निम्नलिखित उपाय करेंगे, अर्थात्ः
(क) दिव्यांग बालकों की पहचान करने के लिए उनकी विशेष आवश्यकताओं को अभिनिश्चित के लिए विनिर्दिष्ट करने और उस परिमाण के संबंध में जहां तक उन्हें वह पूरा कर लिया गया है, स्कूल जाने वाले बालकों के उपाय। लिए हर पांच वर्ष में सर्वेक्षण करना:
परंतु पहला सर्वेक्षण इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से दो वर्ष की अवधि के भीतर किया जाएगा:
(ख) पर्याप्त संख्या में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाओं को स्थापित करना:
(ग) शिक्षकों को, जिसके अंतर्गत दिव्यांग अध्यापक भी हैं जो सांकेतिक भाषा और बेल में अर्हित है और ऐसे शिक्षकों को भी, जो बौद्धिक रूप में दिव्यांग बालकों के अध्यापन में प्रशिक्षित हैं, प्रशिक्षित और नियोजित करना:
(घ) स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सम्मिलित शिक्षा में सहायता करने के लिए वृत्तिकों और कर्मचारिवृंद को प्रशिक्षित करना
(ङ) स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर शैक्षिक संस्थाओं की सहायता के लिए संसाधन केन्द्रों को पर्याप्त संख्या में स्थापित करना:
(च) वाक्शक्ति, संप्रेषण या भाषा दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के दैनिक संप्रेषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसी को स्वयं की वाक्शक्ति के उपयोग की अनुपूर्ति के लिए संप्रेषण, बैल और सांकेतिक भाषा के साधनों और रूपविधानों सहित समुचित संबंध और अनुप पद्धतियों के प्रयोग का संवर्धन करना;
(छ) संदर्भित दिव्यांग छात्रों को अठारह वर्ष की आयु तक पुस्तकें, अन्य विद्या सामग्री और समुचित सहायक युक्तियां निःशुल्क उपलब्ध कराना;
(ज) संदर्भित दिव्यांग छात्रों के समुचित मामलों में छात्रवृत्ति प्रदान करना;
(झ) दिव्यांग छात्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम और परीक्षा प्रणाली में उपयुक्त उपांतरण करना जैसे परीक्षा पत्र को पूरा करने के लिए अधिक समय एक लिपिक या लेखक की सुविधा, दूसरी और तीसरी भाषा के पाठ्यक्रमों से छूट;
(ञ) विद्या में सुधार के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना; और
(ट) कोई अन्य उपाय, जो अपेक्षित हों ।
18.प्रौढ़ शिक्षा
समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी प्रौढ़ शिक्षा में दिव्यांगजनों की भागीदारी को संवर्धित, प्रौढ़ शिक्षा । संरक्षित और सुनिश्चित करने के लिए और अन्य व्यक्तियों के समान शिक्षा कार्यक्रम जारी रखने के लिए उपाय करेंगे।