दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
अध्याय- 4
कौशल विकास और नियोजन
19.व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वनियोजन
(1) समुचित सरकार दिव्यांगजनों के लिए नियोजन, विशेषकर उनके व्यावसायिक प्रशिक्षण और व्यावसायिक स्वनियोजन को सुकर बनाने और उसमे सहायता करने के लिए, जिसके अंतर्गत रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना भी है, स्कीम और कार्यक्रम बनाएगी। प्रशिक्षण और स्वनियोजन ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट स्कीमों और कार्यक्रमों में निम्नलिखित उपबंध होंगे,
(क) सभी मुख्य धारा के औपचारिक और गैर-औपचारिक वृत्तिक और कौशल प्रशिक्षण स्कीम और कार्यक्रमों में दिव्यांगजनों को सम्मिलित किया जाना:
(ख) यह सुनिश्चित करना कि किसी दिव्यांगजन को विनिर्दिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पर्याप्त सहायता और सुविधाएं प्राप्त हैं;
(ग) ऐसे दिव्यांगजनों के लिए जो विकासात्मक, बौद्धिक, बहुविध दिव्यांगता स्वपरायणता वाले हैं, अनन्य कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाना, जिनका प्रभावी संयोजन बाजार के साथ हों;
(घ) रियायती दर पर ऋण, जिसके अंतर्गत सूक्ष्म उधार भी है;
(ङ) दिव्यांगजनों द्वारा बनाए गए उत्पादों का विपणन; और
(च) कौशल प्रशिक्षण और स्वनियोजन में की गई प्रगति पर असंकलित डाटा बनाए रखना जिसके अंतर्गत दिव्यांगजन भी हैं।
20.नियोजन में विभेद न करना
(1) कोई भी सरकारी स्थापन नियोजन से संबंधित किसी मामले में किसी दिव्यांगजन के विरुद्ध विभेद नहीं करेगा:
परंतु समुचित सरकार किसी स्थापन में किए जाने वाले कार्यों के प्रकार को ध्यान में रखते हुए अधिसूचना द्वारा और ऐसे निबंधनों के अधीन रहते हुए, यदि कोई हो, इस धारा के उपबंधों से किसी स्थापन को छूट प्रदान कर सकेगी।
(2) प्रत्येक स्थापन दिव्यांग कर्मचारियों को युक्तियुक्त आवासन और समुचित अवरोध मुक्त तथा सहायक वातावरण उपलब्ध कराएगा।
(3) केवल दिव्यांगता के आधार पर किसी व्यक्ति को प्रोन्नति से इंकार नहीं किया जाएगा।
(4) कोई सरकारी स्थापन, किसी ऐसे कर्मचारी को, जो अपनी सेवा के दौरान कोई दिव्यांगता ग्रहण करता है, उसे अभिमुक्त या उसके रैंक में कमी नहीं करेगा:
परंतु यदि कोई कर्मचारी, दिव्यांगता ग्रहण करने के पश्चात् उस पद के लिए उपयुक्त नहीं रह जाता है जिसे वह धारित करता है तो उसे समान वेतनमान और सेवा के फायदों के साथ किसी अन्य पद पर स्थानान्तरित किया जाएगा:
परंतु यह और कि यदि कर्मचारी को किसी अन्य पद पर समायोजित करना संभव नहीं है तो वह उपयुक्त पद उपलब्ध होने तक या अधिवर्षिता की आयु प्राप्त होने तक इनमें से जो पूर्ववर्ती हो, किसी अधिसंख्या पद पर रखा जा सकेगा।
(5) समुचित सरकार दिव्यांग कर्मचारियों की तैनाती और स्थानांतरण के लिए नीति बना सकेगी।
21. समान अवसर नीति
(1) प्रत्येक स्थापन इस अध्याय के उपबंधों के अनुसरण में उसके द्वारा किए जाने वाले प्रस्तावित समान अवसर नीति से संबंधित उपायों को ऐसी रीति में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, अभिसूचित करेगा।
(2) प्रत्येक स्थापन, यथास्थिति, मुख्य आयुक्त या राज्य आयुक्त के पास उक्त नीति की एक प्रति रजिस्ट करेगा।
22. अभिलेखों का रखा जाना
(1) प्रत्येक स्थापन, इस अध्याय के उपबंधों के अनुपालन में उपलब्ध कराए गए नियोजन, सुविधाओं के मामलों के संबंध में दिव्यांग व्यक्तियों के अभिलेख रखेगा और अन्य आवश्यक जानकारी ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए रखेगा।
(2) प्रत्येक रोजगार कार्यालय रोजगार चाहने वाले दिव्यांग व्यक्तियों के अभिलेख रखेगा।
(3) उपधारा (1) के अधीन रखे गए अभिलेख, ऐसे व्यक्तियों द्वारा जो समुचित सरकार द्वारा उनके निमित्त प्राधिकृत किए जाएं सभी युक्तियुक्त समयों पर निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे।
23. शिकायत प्रतितोष अधिकारी की नियुक्ति
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन, धारा 19 के प्रयोजन के लिए एक शिकायत प्रतितोष अधिकारी नियुक्त करेगा और यथास्थिति, मुख्य आयुक्त या राज्य आयुक्त को ऐसे अधिकारी की नियुक्ति के बारे में सूचना देगा।
(2) धारा 20 के उपबंधों के अननुपालन से व्यथित कोई व्यक्ति शिकायत प्रतितोष अधिकारी को शिकायत फाइल कर सकेगा जो उसका अन्वेषण करेगा और सुधार कार्रवाई के लिए स्थापन से मामले को विचार में लेगा।
(3) शिकायत प्रतितोष अधिकारी शिकायतों का एक रजिस्टर ऐसी रीति में रखेगा, जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए और प्रत्येक शिकायत की, इसके रजिस्ट्रीकरण के दो सप्ताह के भीतर जांच की जाएगी।
(4) यदि व्यथित व्यक्ति का उसकी शिकायत पर की गई कार्रवाई से समाधान नहीं होता है तो वह जिला स्तर दिव्यांगता समिति के पास जा सकेगा या सकेगी।