दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016

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दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016

यह अधिनियम दिव्यांग लोगों को (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 को विस्थापित करता है। यह संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कर्त्तव्यों को पूरा करता है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकार नियम जिसमें भारत ने भी हस्ताक्षर किए है। यह अधिनियम दिसंबर 2016 में संसद से पारित हुआ तथा 15 जून 2017 से प्रभावी हुआ है।

दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 13 दिसम्बर, 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर उसके अभिसमय को अंगीकृत किया था। और पूर्वोक्त अभिसमय दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए निम्नलिखित सिद्धांत अधिकथित करता है।

(क) अंतर्निहित गरिमा, वैयक्तिक स्वायत्तता के लिए आदर, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को स्वयं की पसंद की स्वतंत्रता और व्यक्तियों को स्वतंत्रता भी है।

(ख) अविभेद।(nondiscrimination)

(ग) समाज में पूर्ण और प्रभावी भागीदारों और सम्मिलित होना।

(घ) मानवीय भेदभाव और मानवता के भाग के रूप में दिव्यांगजनों को भिन्नता के लिए आदर और उनका ग्राहण।

(ङ) अवसर की समानता।

(च) पहुंच।

(छ) पुरुषों और स्त्रियों के बीच समता।

(ज) दिव्यांग बालकों की बढ़ती हुई क्षमता के लिए आदर और दिव्यांग बालकों की पहचान परिरक्षित करने के उनके अधिकार के लिए आदर।

भारत उक्त अभिसमय का एक हस्ताक्षरकर्ता है। और भारत ने 1 अक्तूबर, 2007 को उक्त अभिसमय का अनुसमर्थन किया था।

आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 की मुख्य विशेषताएं

  • दिव्यांगजन अपने अधिकारों सहित समानता का जीवन जी सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उचित मापदंड तय किए गए हैं। अतिरिक्त लाभ जैसे उच्च शिक्षा में, सरकारी नौकरियों, भूमि आबंटन, गरीबी उन्मूलन योजनाओं के तहत आरक्षण।
  • दिव्यागता से ग्रषित 6 से 18 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार प्राप्त है।
  • दिव्यांगजन  को समावेशी शिक्षा देने के लिए सरकार ने शैक्षिक संस्थानों और अन्य संस्थानों हेतु धन की व्यवस्था की है।
  • सरकारी स्थानों में दिव्याग लोगों लिए आरक्षण को 3 से 4 प्रतिशत करते हुए बढ़ाया गया है।
  • इस अधिनियम के तहत जिला न्यायलय द्वारा संरक्षता प्रदान की गई है जिसमें अभिभावक और विकलांग एक जुट होकर निर्णय ले सकते हैं।
  • केंद्र और राज्य परामर्श समिति ने केंद्र और राज्य के स्तर पर विकलांग लोगों के लिए नीतियां बनाने का काम किया है।
  • दिव्यांगजन  अधिकारियों के कार्यालयों को और मजबूत बनाया गया है जिसे दो अधिकारियों और परामर्श समिति द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
  • इसी तरह से दिव्यांगजन राज्य अधिकारियों के कार्यालयों को भी मजबूत बनाया गया है जिसकी सहायता परामर्श समिति करती है।
  • दिव्यांगजन  हेतु मुख्य अधिकारी और राज्य अधिकारी नियमन निकायों और परिवेदना निवारण ऐजेंसी हेतु कार्यरत है।
  • दिव्यांगजनो को वित्तीय सहायता हेतु राष्ट्रीय और राज्य कोष का निर्माण किया गया है।
  • दिव्यांगता के प्रकार मौजूदा 7 से बढ़ाकर 21 कर दिए गए हैं।

पढ़े: विभिन प्रकार की दिव्यांगता की परिभाषाएं

यहा हम दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 को उसके अध्याय के अनुसार अध्यन करेगें ।

अध्याय- 1 : प्रारंभिक (संछिप्त नाम ,विस्तार और प्रारम्भ) प्रारंभिक: इस अध्याय में अधिनियम का संक्षेप शीर्षक, क्षेत्र, प्रारंभ और परिभाषाएँ शामिल हैं जो अधिनियम से संबंधित हैं।

अध्याय- 2 : अधिकार और हकदारियां : इस अध्याय में व्यक्तियों के अधिकार और हक्क का विवरण है, जिसमें समानता और असमानता से बचाव का हक्क, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और रोजगार का हक्क शामिल है।

अध्याय- 3 : शिक्षा: इस अध्याय में विकलांगता वाले व्यक्तियों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित है, जिसमें समावेशी शिक्षा का हक्क, बच्चों के लिए स्कूल और संस्थानों की स्थापना, और सरकार की भूमिका शिक्षा को बढ़ावा देने में है।

अध्याय- 4 : कौशल विकास और रोजगार : इस अध्याय में कौशल विकास और विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसरों पर ध्यान केंद्रित है, जिसमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण, व्यावसायिक प्रशिक्षण, और विकलांगता वाले व्यक्तियों को नौकरी पर बुलाने के लिए प्रोत्साहन शामिल है।

अध्याय- 5 : सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास : इस अध्याय में विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित है, जिसमें पेंशन, बीमा योजनाएं, और अन्य लाभों की प्रावधान है।

अध्याय- 6 : संदर्भित दिव्यांगजनों के लिए विशेष उपबंध (Special Provisions for Referred Persons with Disabilities): इस अध्याय में विकलांगता वाले व्यक्तियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं के पहुंच, पुनर्वास, और विकलांगता की रोकथाम शामिल है।

अध्याय- 7 : उच्च सहायता की आवश्यकताओं वाले दिव्यांगजनों के लिए विशेष उपबंध (Special provision for persons with disabilities with high assistance needs): इस अध्याय में विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए जो स्वयं की देखभाल नहीं कर सकते हैं, उनकी अभिभावकता की मान्यता की बात की गई है।

अध्याय-8 : समुचित सरकारों के कर्तव्य और उत्तरदायित्व (Duties and Responsibilities of Appropriate Governments): इस अध्याय में सुनिश्चित करने के लिए ध्यान केंद्रित है कि विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक स्थानों, भवनों, परिवहन, और सूचना और संचार पहुच शामिल है।

अध्याय-9 : दिव्यांगजनों के लिए संस्थाओं का रजिस्ट्रीकरण और ऐसी संस्थाओं को अनुदान (Registration of institutions for persons with disabilities and grants to such institutions) :

अध्याय-10 : विनिर्दिष्ट दिव्यांगताओं का प्रमाणन (Certification of Specific Disabilities)

अध्याय-11 : केन्द्रीय और राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड तथा जिला स्तर समिति (Central and State Disabled Advisory Boards and District Level Committees):यह अध्याय विकलांगता के मामलों में सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सलाहकार मंडलों की स्थापना और सदस्यों की नियुक्ति के बारे में है। इन मंडलों का मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के मामलों में सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि उन्हें उनके अधिकारों की समझ और उन्हें प्राप्त करने में मदद मिल सके।

अध्याय -12 : दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त और राज्य आयुक्त (Chief Commissioner and State Commissioner for Persons with Disabilities) :विकलांग व्यक्तियों के लिए न्याय के पहुंच का अधिकार प्रावधान किया गया है। इसमें उज्जवल किया गया है कि विकलांग व्यक्तियों को अन्यों के साथ समान आधार पर न्याय की पहुंच होनी चाहिए, जिसमें उपयुक्त सुविधाएं शामिल हों। इस अनुच्छेद में यह भी उद्देश्यित किया गया है कि न्याय प्रणाली से संबंधित प्रक्रियाएं, अभ्यास और सुविधाएं विकलांग व्यक्तियों के लिए पहुंचने योग्य हों।

अध्याय -13 : विशेष न्यायालय (special court): विशेष न्यायालय: इस अध्याय में विकलांगता वाले व्यक्तियों के खिलाफ किए गए अपराधों के त्वरित न्याय के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई है।

अध्याय -14 : दिव्यांगजनों के लिए राष्ट्रीय निधि (National Fund for Persons with Disabilities) :इस अध्याय में विभिन्न उद्देश्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रीय विकलांगता निधि की स्थापना की गई है।

अध्याय -15 : दिव्यांगजनों के लिए राज्य निधि (State Fund for Divyangjan):

अध्याय -16 : अपराध और शास्तियां (offenses and penalties): अधिनियम की प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है। इसके अनुसार, जो कोई भी इस अधिनियम या इसके तहत बनाए गए किसी भी नियम का उल्लंघन करता है, तो अगर ऐसे उल्लंघन के लिए कोई विशेष दंड निर्धारित नहीं किया गया हो, तो पहले उल्लंघन के लिए जुर्माना जितना भी हो सकता है वह दस हजार रुपये तक हो सकता है और किसी भी आगामी उल्लंघन के लिए जुर्माना जितना भी हो सकता है वह पचास हजार रुपये तक हो सकता है।

अध्याय -17 : प्रकीर्ण (Miscellaneous):इस अध्याय में विविध प्रावधान हैं, जिसमें सरकार को अधिनियम की प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बनाने की शक्ति शामिल है।

स्रोत: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016


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