दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
अध्याय -16
अपराध और शास्तियां (offenses and penalties)
89. अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के उपबंधों के उल्लंघन के लिए दंड कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम के उपबंधों का उल्लंघन करता है. पहले उल्लंघन के लिए जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा और किसी पश्चात्वर्ती उल्लंघन के लिए जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए से कम नहीं होगा किंतु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
90. कंपनियों द्वारा अपराध
(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है, वहां ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के किए जाने के समय कंपनी के कारवार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक था और कंपनी के प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कंपनी भी ऐसे अपराध के लिए दोषी समझे जाएंगे और अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और तदनुसार दंडित किए जाने के भागी होने:
परंतु इस उपधारा की कोई बात इस अधिनियम में उपबंधित किसी दंड के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को भागी नहीं बनाएगी. यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने अपराध के निवारण के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी।
(2) उपधारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन दंडनीय कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की या मौनानुकूलता से किया गया है, या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा का कारण माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा।
सपष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए
(क) “कंपनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसमें कोई फर्म या व्यष्टियों का कोई अन्य संगम सम्मिलित है; और
(ख) फर्म के संबंध में “निदेशक से उस फर्म का कोई भागीदार अभिप्रेत है।
91. संदर्भित दिव्यांगजनों के लिए आशयित किसी फायदे को कपटपूर्वक लेने के लिए कपटपूर्वक दिव्यांगजनों के लिए आशयित किसी फायदे को लेता है या लेने का प्रयत्न करता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा।
92. अत्याचारों के अपराधों के लिए दंड—
जो कोई..
(क) किसी लोक दृष्टिगोचर स्थान में दिव्यांगजन को साशय अपमानित करता है या अपमान करने के आशय से अभित्रस्त है;
(ख) किसी दिव्यांगजन पर, उसका अनादर के आशय से हमला करता है या बल प्रयोग करता है या दिव्यांग महिला की लज्जा है:
(ग) किसी दिव्यांगजन पर वास्तविक प्रभार या नियंत्रण रखते हुए, स्वेच्छया या जानते हुए उसे भोजन या तरल पदार्थ देने से है;
(घ) किसी दिव्यांग बालक या महिला की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में होते हुए और उस स्थिति का उपयोग रूप से के लिए है;
(ङ) किसी दिव्यांगजन के किसी अंग या इंद्रिय या सहायक युक्ति के उपयोग में स्वेच्छया क्षति. नुकसान पहुंचाता है या बाधा
(च) किसी दिव्यांग महिला पर कोई चिकित्सीय प्रक्रिया करता है. उसका संचालन करता है. किए जाने के लिए यह निदेश करता है जिससे उसकी अभिव्यक्त सम्मति के बिना गर्भावस्था की समाप्ति है या समाप्त होने की संभावना है. में व्यवसायियों की राय दिव्यांगता के गंभीर समापन के लिए और दिव्यांग महिला के संरक्षक की सहमति से भी चिकित्सीय प्रक्रिया की
ऐसे कारावास से जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से दंडनीय होगा।
93. जानकारी प्रस्तुत करने में असफल रहने के लिए दंड—
जो कोई इस अधिनियम या इसके अधीन किए गए किसी आदेश, या निदेश के अधीन पुस्तिका, लेखा या अन्य दस्तावेज पेश करने में या कोई विवरणी, जानकारी या विशिष्टियां इस अधिनियम या इसके अधीन किए गए किसी आदेश या निदेश के उपबंधों के अनुसरण में पेश करने या देने या किए गए किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए कर्तव्यबद्ध है, को पेश करने में असफल रहता है वह प्रत्येक अपराध की बाबत जुर्माने से दंडनीय होगा जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा और चालू असफलता या इंकार की दशा में अतिरिक्त जुर्माने से जो जुर्माने के दंड के अधिरोपण के मूल आदेश की तारीख के पश्चात् चालू असफलता या इंकार के प्रत्येक दिन के लिए एक हजार रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा।
94. समुचित सरकार का पूर्वानुमोदन कोई न्यायालय समुचित सरकार के पूर्वानुमोदन या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा फाइल किए गए किसी परिवाद के सिवाय इस अध्याय के अधीन समुचित सरकार के किसी कर्मचारी द्वारा किए जाने के लिए अभिकथित किसी अपराध का संज्ञान नहीं लेगा ।
95. अनुकल्पी दंड —–
जहां इस अधिनियम के अधीन और किसी अन्य केन्द्रीय या राज्य अधिनियम के भी अधीन कोई कार्य या लोप किसी अपराध को गठित करता है तब तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी. ऐसे अपराध के लिए दोषी पाया गया अपराधी केवल ऐसे अधिनियम के दंड के लिए भागी होगा जो ऐसे दंड के लिए उपबंध करता है, जो कि डिग्री में अधिक है।