दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
विभिन प्रकार की दिव्यांगता की परिभाषाएं
[धारा 2 का खंड (यग) देखें] विनिर्दिष्ट दिव्यांगता (specified disability)
1. शारीरिक दिव्यांगता
(अ) गतिविषयक दिव्यांगता
गतिविषयक दिव्यांगता (motor disability)(सुनिश्चित गतिविधियों को करने में किसी व्यक्ति की असमर्थता जो स्वयं और वस्तुओं की गतिशीलता से सहबद्ध है जिसका परिणाम पेशीकंकाल और तंत्रिका प्रणाली या दोनों में पीड़ा है, जिसके अंतर्गत—
(क) “कुष्ठ रोगमुक्त व्यक्ति” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो कुष्ठ से रोगमुक्त हो गया है किंतु निम्नलिखित से पीड़ित है—
(i) हाथ या पैरों में सुग्राहीकरण का ह्रास के साथ-साथ आंख और पलक में सुग्राहीकरण का ह्रास और आंशिक घात किंतु व्यक्त विरूपता नहीं है;
(ii) व्यक्त विरूपता और आंशिक घात किंतु उसके हाथों और पैरों में पर्याप्त गतिशीलता है जिससे वह सामान्य व्यावसायिक क्रियाकलापों में लगे रहने के लिए सक्षम है;
(iii) अत्यंत शारीरिक विरूपता के साथ-साथ वृद्ध जो उसे लाभप्रद व्यवसाय करने से निवारित करती है। और “कृष्ठ रोगमुक्त व्यक्ति” पद का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा;
(ख) “प्रमस्तिष्क घात (cerebral palsy)” से कोई गैर-प्रगामी तन्त्रिका स्थिति का समूह अभिप्रेत है जो शरीर के संचलन को और पेशियों के समन्वयन को प्रभावित करती है. जो मस्तिष्क के एक या अधिक विनिर्दिष्ट क्षेत्रों में क्षति के कारण उत्पन्न होता है जो साधारणत: जन्म से पूर्व जन्म के दौरान या जन्म के तुरंत पश्चात् होता है;
(ग) “बौनापन (dwarfism)” से कोई चिकित्सय या आनुवांशिक दशा अभिप्रेत है जिसके परिणामस्वरूप किसी वयस्क व्यक्ति की लंबाई चार फीट दस इंच (147 से० मी०) या उससे कम रह जाती है:
(घ) “पेशीयदुष्पोषण से वंशानुगत (Hereditary from muscular dystrophy), आनुवांशिक पेशी रोग का समूह अभिप्रेत है जो मानव शरीर को संचलित करने वाली पेशियों को कमजोर कर देता है और बहुदुष्पोषण के रोगी व्यक्तियों के जीन में वह सूचना अशुद्ध होती है या नहीं होती है जो उन्हें उस प्रोटीन को बनाने से निवारित करती है जिसकी उन्हें स्वस्थ पेशियों के लिए आवश्यकता होती है. इसकी विशेषता प्रगामी कंकाल पेशी की कमजोरी, पेशी प्रोटीनों में त्रुटि और पेशी कोशिकाओं और टिशुओं की मृत्यु है:
(ङ) “तेजाबी आक्रमण पीड़ित (acid attack victim)” से तेजाब या समान संक्षारित पदार्थ को फेंककर किए गए हिंसक हमले के कारण विद्रूपित कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;
(आ) दृष्टिगत ह्रास (visual impairment)
(क) “अंधता (blindness)” से ऐसी दशा अभिप्रेत है जिसमें सर्वोत्तम सुधार के पश्चात् व्यक्ति में निम्नलिखित स्थितियों में से कोई एक स्थिति विद्यमान होती है.
(i) दृष्टि का पूर्णतया अभाव; या
(ii) सर्वाधिक संभव सुधार के साथ बेहतर आंख में दृष्टि सुतीक्षणता 3/60 से कम या 10/200 (स्नेलन) से
(iii) 10 डिग्री से कम के किसी कोण पर कक्षांतरित दृश्य क्षेत्र की परिसीमा: कम, या
(ख) “निम्न दृष्टि(low vision) से ऐसी स्थिति अभिप्रेत है जिसमें व्यक्ति की निम्नलिखित में से कोई एक स्थिति होती है, अर्थात्ः
(i) बेहतर आंख में सर्वाधिक संभव सुधार के साथ 6 / 18 से अनधिक या 20/60 से कम से 3/60 तक या 10/200 (स्नेलन) तक दृश्य सुतीक्षणताः या (ii) 40 डिग्री से कम से 10 डिग्री तक की कक्षांतरित दृष्टि की क्षेत्र परिसीमा:
(इ) “श्रवण शक्ति का ह्रास” –
(loss of hearing)
(क) “बधिर(Deaf) से दोनों कानों में संवाद आवृत्तियों में 70 डेसिविल श्रव्य ह्रास वाले व्यक्ति अभिप्रेत हैं:
(ख) “ऊंचा सुनने वाला व्यक्ति(hard hearing person)” से दोनों कानों से संवाद आवृत्तियों में 60 डेसिबिल से 70 डेसिबिल श्रव्य हास वाला व्यक्ति अभिप्रेत है;
(ई) “वाक् और भाषा दिव्यांगता (speech and language disability)” से लेराइनजेक्टोमी या अफेलिया जैसी स्थितियों से उद्भूत स्थायी दिव्यांगता अभिप्रेत है जो कार्बनिक या तंत्रिका संबंधी कारणों के कारण वाक् और भाषा के एक या अधिक संघटकों को प्रभावित करती है।
बौद्धिक दिव्यांगता (intellectual disability)
2. “बौद्धिक दिव्यांगता (intellectual disability)” से ऐसी स्थिति, जिसकी विशेषता बौद्धिक कार्य (तार्किक, शिक्षण, समस्या, समाधान) और अनुकूलित व्यवहार. दोनों में महत्वपूर्ण कमी होना है. जिसके अंतर्गत दैनिक सामाजिक और व्यवहार्य कोशलों की रेंज है. जिसके अंतर्गत—
(क) “विनिर्दिष्ट विद्या दिव्यांगताओं (Specific learning disabilities)” से स्थितियों का एक ऐसा विजातीय समूह अभिप्रेत है जिसमें भाषा को बोलने या लिखने की प्रक्रिया द्वारा आलेखन करने की कमी विद्यमान होती है जो समझने, बोलने, पढ़ने, लिखने, अर्थ निकालने या गणितीय गणना करने में कमी के रूप में सामने आती है और इसके अंतर्गत बोधक दिव्यांगता डायसेलेक्सिया. डायसग्राफिया. डायसकेलकुलिया, डायसप्रेसिया और विकासात्मक अफेसिया जैसी स्थितियां भी हैं:
(ख) “स्वपरायणता स्पैक्ट्स विकार (autism spectrum disorder) से एक ऐसी तंत्रिका विकास की स्थिति अभिप्रेत है जो विशिष्टत: जीवन के पहले तीन वर्ष में उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति की संपर्क करने की. संबंधों को समझने की और दूसरों से संबंधित होने की क्षमता को अत्यधिक प्रभावित करती है और आमतौर पर यह अप्रायिक या घिसे-पिटे कर्मकांडों या व्यवहार से सहबद्ध होता है।
3. मानसिक व्यवहार,
“मानसिक रुग्णता (mental illness)” से चिंतन, मनोदशा, बोध, अभिसंस्करण या स्मरणशक्ति का अत्यधिक विकार अभिप्रेत है जो जीवन की साधारण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समग्र रूप से निर्णय, व्यवहार, वास्तविकता की पहचान करने की क्षमता या योग्यता को प्रभावित करता है किंतु जिसके अंतर्गत मानसिक मंदता नहीं है जो किसी व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास रुकने या अपूर्ण होने की स्थिति है. विशेषकर जिसकी विशिष्टता बुद्धिमता का सामान्य से कम होना है।
4. निम्नलिखित के कारण दिव्यांगता
(क) चिरकारी तंत्रिका दशाएं, जैसे—
(i) “बहु-स्केलेरोसिक (multiple sclerosic)” से प्रवाहक, तंत्रिका प्रणाली रोग अभिप्रेत है जिसमें मस्तिष्क की तंत्रिक कोशिकाओं के अक्ष तंतुओं के चारों ओर रीढ़ की हड्डी की मायलिन सीथ क्षतिग्रस्त हो जाती है जिससे डिमायीलिनेशन होता है और मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं और रीढ़ की हड्डी की कोशिकाओं की एक-दूसरे के साथ संपर्क करने की क्षमता प्रभावित होती है:
(ii) “पार्किसन रोग” से कोई तंत्रिका प्रणाली का प्रगामी रोग अभिप्रेत है, जो कम्प, पेशी कठोरता और धीमा, कठिन संचलन द्वारा चिह्नाकिंत होता है जो मुख्यतया मस्तिष्क के आधारीय गंडिका के अद्यपतन तथा तंत्रिका संचलन डोपामई के हास से संबद्ध मध्य आयु और वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करता है:
(ख) रक्त विकृति
(i) “हेमोफीलिया” से एक आनुवंशकीय रोग अभिप्रेत है जो प्रायः पुरुषों को ही प्रभावित करता है किंतु इसे महिला द्वारा अपने नर बालकों को संचारित किया जाता है. इसकी विशेषता रक्त के थक्का जमने की साधारण क्षमता का नुकसान होना है जिससे छोटे से घाव का परिणाम भी घातक रक्तस्राव हो सकता है;
(11) “थेलेसीमिया” से वंशानुगत विकृतियों का एक समूह अभिप्रेत है जिसकी विशेषता हिमोग्लोबिन की कमी या अभाव है:
(iii) “सिक्कल कोशिका रोग” से होमोलेटिक विकृति अभिप्रेत है जो रक्त की अत्यंत कमी. पीड़ादायक घटनाओं और जो सहबद्ध टिशुओं और अंगों को नुकसान से विभिन्न जटिलताओं में परिलक्षित होता है, “हेमोलेटिक” लाल रक्त कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली के नुकसान को निर्दिष्ट करता है जिसका परिणाम हिमोग्लोबिन का निकलना होता है।
बहुदिव्यांगता (multiple disabilities)
5. बहुदिव्यांगता (उपर्युक्त एक या एक से अधिक विनिर्दिष्ट दिव्यांगताएं) जिसके अंतर्गत बधिरता, अंधता, जिससे कोई ऐसी दशा जिसमें किसी व्यक्ति के श्रव्य और दृश्य के सम्मिलित ह्रास के कारण गंभीर संप्रेषण, विकास और शिक्षण संबंधी गंभीर दशाएं अभिप्रेत हैं।
6. कोई अन्य प्रवर्ग जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएं।
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