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दिव्यांगता और रोजगार

भारत में दिव्यांगता को केवल एक स्वास्थ्य समस्या के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए। दिव्यांगजन, जो समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, अक्सर रोजगार के क्षेत्र में समान अवसरों से वंचित रहते हैं। रोजगार में उनकी भागीदारी बढ़ाना न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाता है, […]

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Activities of Daily Living (ADL)

विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए दैनिक जीवन की गतिविधियों (एडीएल) का विस्तृत गाइड परिचय दैनिक जीवन की गतिविधियाँ (ADL) एक सीमित क्षेत्र को शामिल करती हैं जिन्हें लोग रोजाना बिना किसी सहायता के करते हैं। विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए, ये गतिविधियाँ चुनौतियों से भरी हो सकती हैं, और इन्हें पूरा करने के लिए सहायता

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शिक्षण और अध्ययन सामग्री (TLM)

विकलांग बच्चों के लिए शिक्षण और अध्ययन सामग्री (टीएलएम) का उपयोग प्रस्तावना विकलांग बच्चों के लिए शिक्षण और अध्ययन सामग्री (टीएलएम) एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो इन बच्चों के लिए अध्ययन को और भी सक्रिय, प्रभावी और सहज बनाता है। विकलांगता के कारण इन बच्चों को अध्ययन करने में विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ता

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बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क(Biwako Millennium Framework)

बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क फॉर एक्शन: एक विस्तृत विश्लेषण और प्रभाव मूल्यांकन परिचय: बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (BMF) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो विकलांगता अधिकार और समावेशी विकास के क्षेत्र में उभरता है। 2002 में एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन में बनाया गया, BMF विकलांग विकास को प्रोत्साहित करने और विकलांगता के साथ व्यक्तियों के

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National Trust Act of 1999: विकलांगों को सशक्तिकरण

National Trust Act : 1999 राष्ट्रीय ट्रस्ट अधिनियम 1999, भारत में विकलांगों को सशक्तिकरण के लक्ष्य से एक महत्वपूर्ण कदम है। 30 दिसंबर, 1999 को पारित इस अधिनियम ने ऑटिज़्म, सिबरियल पॉल्सी, मानसिक मंदता, और बहु विकलांगताओं वाले व्यक्तियों के कल्याण और सुगमता की देखभाल के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट की स्थापना की, जिससे उनकी देखभाल

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पाठ्यक्रम(Curriculum): अवधारणा, उद्देश्य और सिद्धांत

पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम एक ऐसी योजना है जो शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शिक्षा की दिशा और माध्यमों को संदर्भित करके विद्यार्थियों की सीखने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। इस लेख में, हम पाठ्यक्रम के अर्थ, उद्देश्य, और सिद्धांतों पर विचार करेंगे और यह देखेंगे कि इसका विकास किस प्रकार होता

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Introduction to Guidance(मार्गदर्शन) and Counselling(परामर्श)

Guidance and Counselling Guidance(मार्गदर्शन) परिभाषा: मार्गदर्शन एक प्रक्रिया है जो व्यक्तियों को उनके जीवन में सही दिशा और मार्ग का चयन करने में मदद करती है। यह एक संवादात्मक प्रक्रिया है जिसमें एक मार्गदर्शक व्यक्ति के साथ संवाद करता है और उसे उसके स्वयं के लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को समझने में मदद करता है। मार्गदर्शन

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PORTAGE

PORTAGE (पोर्टेज) इसका निर्माण एस० एम० ब्लूमा, एम० सीएर, एच० फ्राहमेंन तथा जीन एम० होलीयर्ड द्वारा किया गया जिसका भारतीय परिवेश में हिन्दी अनुवाद किया गया है। यह विकासात्मक समस्या वाले बच्चों के लिए एक गृह आधारित प्रशिक्षण तंत्र है जिसमें अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा में परोक्ष रूप से शामिल करते हैं। यह 6

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समावेशी शिक्षा(Inclusive Education)

समावेशी शिक्षा क्या है? समावेशी शिक्षा एक ऐसी शैक्षिक दिशा है जिसमें हर छात्र को उसकी आवश्यकताओं और संभावनाओं के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जाता है। यह शैक्षिक प्रक्रिया में समानता, समावेशीता और समरसता को बढ़ावा देती है। समावेशी शिक्षा का मूल उद्देश्य है समाज में सभी व्यक्तियों को समान अधिकार

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विशेष शिक्षा: समाज के हर वर्ग के लिए समान अधिकार

विशेष शिक्षा विशेष शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जो समाज में समानता और सहायता का माध्यम बनता है। इसका मकसद विकलांग व्यक्तियों को समाज में सम्मान और समानता के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। विशेष शिक्षा का उद्देश्य विकलांगता के कारण होने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में सहायता करना है

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Functional Assessment Checklist for Programming (FACP)

FACP फंक्शनल एसेसमेंट चेकलिस्ट फॉर प्रोग्रामिंग (FACP) विशेष शिक्षा में उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण है जो विकलांगता वाले व्यक्तियों के कार्यात्मक कौशल और व्यवहार का मूल्यांकन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह शिक्षकों और चिकित्सकों को व्यक्ति की सामर्थ्यों और आवश्यकताओं की पहचान करने में मदद करता है, जो फिर एक

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UPANAYAN

उपनयन यह प्री-स्कूल के बच्चों के लिए आकलन का उपकरण है। इसमें 0-से- 6 वर्ष की आयु के बच्चों को शामील किया जाता है। इस चेकलिस्ट में विकास के पांच क्षेत्र शामिल है-1. मोटर कौशल 2. स्वयं सहायता (self Help) 3.भाषा4 संज्ञानात्मक 5.समाजीकरण → प्रत्येक डोमेन में 50 आइटम तथा कुल 250 आइटम होते हैं।

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प्रारंभिक हस्तक्षेप (Early Intervention)

प्रारंभिक हस्तक्षेप उन सेवाओं और समर्थनों को संदर्भित करता है जो विकास संबंधी देरी या अक्षमता वाले बच्चों की मदद कर सकते हैं। शिशुओं और बच्चों के लिए लक्षित है जो विकासात्मक मील के पत्थर तक नहीं पहुंचे हैं। प्रारंभिक हस्तक्षेप (Early Intervention) एक प्रक्रिया है जिसमें शिशुओं और बच्चों की आवश्यकताओं को पहचाना और

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व्यक्तिगत शैक्षणिक कार्यक्रम (Individualized Education Program)

व्यक्तिगत शैक्षणिक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्स बौद्धिक अक्षम बच्चे को विशिष्ट एवं उपयुक्त शिक्षण तथा प्रशिक्षण देना है जिसके माध्यम से व्यक्ति या बच्चा आत्मनिर्भर बन सके | I.E.P का विकास बच्चे की आवश्यकता पे निर्भर करता है। बौद्धिक अक्षम बच्चे के वातावरण जिसमे वो रहा है वह देखकर यह निर्णय किया जाता है उसे

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APGAR SCORE (अपगार स्कोर)

अपगार स्कोर (APGAR) अपगार स्कोर का उपयोग डॉक्टरों द्वारा जन्म के समय नवजात शिशु के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए किया जाता है यानी यह जन्म के बाद बच्चे की स्थिति का आकलन करने का एक उपाय है। इस परीक्षण का उपयोग बच्चे की हृदय गति, मांसपेशियों और अन्य लक्षणों को देखने के लिए

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नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर द एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद विजुअल डिसएबिलिटीज (NIEPVD)

NIEPVD नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर द एम्पावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद विजुअल डिसएबिलिटीज (NIEPVD) की उत्पत्ति 1943 में स्थापित युद्ध नेत्रहीनों के लिए सेंट डंस्टन के छात्रावास से हुई, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में नेत्रहीन सैनिकों और नाविकों को पुनर्वास सेवाओं का एक बुनियादी सेट प्रदान किया। 1950 में, भारत सरकार ने सेंट डंस्टन छात्रावास को अपने

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बेसिक एम. आर. (BASIC-MR)

BASIC-MR (Behavioral Assessment scale for Indian children with Mental Retardation ) BASIC-MR: Part – ABASIC-MR: Part- B बेसिक एम०आर० भाग (A):- इसमें कुल 07 कौशल क्षेत्र प्रत्येक कौशल क्षेत्र में 40 क्रियाएँ है कुल 280 क्रियाएं हैं।जो अवलोकन तथा मापन योग्य हैं जिन्हे सरल से जटिल के क्रम में रखा गया है।1- गामक2 – दैनिक

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Grade Level Assessment Device – GLAD

Grade Level Assessment Device (विद्यालयों में अधिगम समस्या वाले बच्चों के लिए स्तर आधारित आकलन उपकरण)→ इस उपकरण का विकास डा. जयंती नारायण, राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान – सिंकंदराबाद द्वारा किया गया है। → इस उपकरण का उपयोग कक्षा 1 से 4 तक के अधिगम समस्याग्रस्त बच्चों का आकलन किया जा सकता है। ग्रेड लेवल

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श्रवण दोष (Hearing Impairment)

श्रवण दोष का अर्थ और परिभाषाएं श्रवण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ध्वनि के प्रति जागरूकता, भेद, पहचान और समझ का बोध होता है। श्रवण दोष का सीधा सा अर्थ है सुनने की क्षमता का कम होना। यह क्षति एक व्यक्ति के लिए वातावरण में दूसरों और अन्य ध्वनियों को सुनना मुश्किल बना देती है।

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स्वलीनता या ऑटिज्म

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) ऑटिज्म को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है। यह एक तंत्रिका विकास की स्थिति है जिससे प्रभावित व्यक्ति के लिए संवाद करना, पढ़ना, लिखना और संवाद करना मुश्किल हो जाता है। ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति का दिमाग दूसरे लोगों के दिमाग से अलग तरह

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अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities)

सीखने की कठिनाई (जिसे सीखने की अक्षमता भी कहा जाता है) को मस्तिष्क की जानकारी को संसाधित करने की क्षमता के साथ एक समस्या के रूप में वर्णित किया जा सकता है। जिन व्यक्तियों को सीखने में कठिनाई होती है, वे अपने साथियों की तरह उसी तरह या जल्दी से नहीं सीख सकते हैं, और

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RPwD Act, 2016- विभिन प्रकार की दिव्यांगता की परिभाषाएं

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 विभिन प्रकार की दिव्यांगता की परिभाषाएं [धारा 2 का खंड (यग) देखें] विनिर्दिष्ट दिव्यांगता (specified disability) 1. शारीरिक दिव्यांगता (अ) गतिविषयक दिव्यांगता गतिविषयक दिव्यांगता (motor disability)(सुनिश्चित गतिविधियों को करने में किसी व्यक्ति की असमर्थता जो स्वयं और वस्तुओं की गतिशीलता से सहबद्ध है जिसका परिणाम पेशीकंकाल और तंत्रिका प्रणाली या दोनों

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दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 यह अधिनियम दिव्यांग लोगों को (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 को विस्थापित करता है। यह संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कर्त्तव्यों को पूरा करता है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकार नियम जिसमें भारत ने भी हस्ताक्षर किए है। यह अधिनियम दिसंबर 2016 में संसद से पारित

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राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (NIEPID)

एन.आई.ई.पी.आई.डी.  राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (विगत राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान) की स्थापना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के प्रशासनाधीन वर्ष 1984 में मनोविकास नगर, सिकंदराबाद में एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित की गई।  राष्ट्रीय हित में, बौद्धिक दिव्यांगजन को गुणवत्ता वाले सेवाएँ प्रदान करने के लिए

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बौद्धिक अक्षमता, परिभाषा ,कारण, वर्गीकरण ,लक्षण

बौद्धिक अक्षमता, जिसे पहले मानसिक मंदता कहा जाता था, औसत से कम बुद्धि या मानसिक क्षमता और रोजमर्रा की जिंदगी के सामान्य विकास के लिए आवश्यक कौशल की कमी होती है। बौद्धिक अक्षमता वाले लोग आमतौर पर नए कौशल हासिल कर सकते हैं, लेकिन दूसरों की तुलना में धीरे-धीरे। बौद्धिक अक्षमता के विभिन्न स्तर होते

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भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) अधिनियम 1992

भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) को 1986 में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में स्थापित किया गया था। सितंबर, 1992 को आरसीआई अधिनियम संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और यह 22 जून 1993 को एक वैधानिक निकाय बन गया । अधिनियम को 2000  में संसद द्वारा संशोधित किया गया। यह अधिक व्यापक है। आरसीआई को

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Quiz on Special Education (विशेष शिक्षा पर क्विज )

Hello दोस्तों आप सभी का Notes4SpecialEducaton पर स्वागत है, आप सभी के लिए विशेष शिक्षा पर क्विज तैयार किया गया है जो की विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते है।

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