बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability)
बौद्धिक अक्षमता एक ऐसी विकासात्मक अवस्था है जिसमें व्यक्ति की बुद्धि (Intelligence), सीखने की क्षमता (Learning Ability), समस्या–समाधान (Problem Solving), तर्क क्षमताएँ (Reasoning) तथा दैनिक जीवन के अनुकूली कौशल (Adaptive Skills) उस उम्र के सामान्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से विकसित होते हैं।
ये बच्चे नई जानकारी, नियम, अवधारणाएँ और अनुभवों को समझ तो सकते हैं, परंतु उनकी सीखने की गति धीमी होती है। उन्हें सीखने के लिए अधिक पुनरावृत्ति, अतिरिक्त मार्गदर्शन, दृश्य सहायक (Visual aids) और संरचित वातावरण की जरूरत होती है।
बौद्धिक अक्षमता केवल बुद्धि (IQ) की कमी नहीं है, बल्कि अनुकूली व्यवहार (Adaptive Behavior) में कठिनाइयों का होना भी आवश्यक तत्व है। अनुकूली व्यवहार वे कौशल हैं जिनसे व्यक्ति दैनिक जीवन संभालता है—
जैसे बातचीत करना, सामाजिक संबंध बनाना, स्वयं की देखभाल करना, पैसे का उपयोग समझना, और घर–समाज में सुरक्षित रहना।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Aspects of Intellectual Disability)
बौद्धिक अक्षमता का दृष्टिकोण समय–समय पर बदला है। इतिहास के तीन महत्वपूर्ण चरण माने जाते हैं:
1. प्राचीन और मध्यकालीन दृष्टिकोण (Ancient & Medieval Views)
- प्राचीन सभ्यताओं में ऐसे बच्चों को दैवीय प्रकोप, पाप या अलौकिक शक्तियों से जोड़कर देखा जाता था।
- चिकित्सा और विज्ञान के अभाव में इन बच्चों को उपेक्षित या तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाता था।
- ग्रीक विचारकों में कुछ सकारात्मक दृष्टिकोण भी मिलते हैं; हिप्पोक्रेट्स ने इसे एक चिकित्सीय स्थिति माना।
2. उन्नीसवीं सदी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण (19th Century Scientific Perspective)
यह बौद्धिक अक्षमता के अध्ययन का महत्वपूर्ण काल है।
- जीन-मार्क गैस्पार्ड इटार्ड (Jean-Marc Itard) ने “विक्टर” नामक जंगली बच्चे के साथ काम किया और दिखाया कि उचित शिक्षा से विकास संभव है।
- एडुआर्ड सेगन (Édouard Séguin) ने बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के लिए संवेदी-आधारित प्रशिक्षण तकनीकों का विकास किया।
- इस समय पहली बार “ट्रेनिंग स्कूल” स्थापित हुए और यह समझ विकसित हुई कि ऐसे बच्चे सीख सकते हैं, लेकिन अलग तरीके से।
3. बीसवीं सदी और आधुनिक युग (20th Century to Modern Era)
- 1905 में बिनेट–साइमन बुद्धि परीक्षण (Binet-Simon Test) विकसित हुआ, जिससे IQ की अवधारणा आई।
- 1950 के बाद, WHO और APA ने बौद्धिक अक्षमता को एक चिकित्सीय–शैक्षिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया।
- 1970–80 के दशक में “Mental Retardation” शब्द को समाप्त कर “Intellectual Disability” शब्द अपनाया गया।
- अब दुनिया में समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) और व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है।
भारत में RPwD Act 2016 के बाद इसे एक स्पष्ट रूप से मान्यता प्राप्त विकलांगता के रूप में स्वीकार किया गया।
आधुनिक दृष्टिकोण (Modern Perspective)
आज बौद्धिक अक्षमता को—
- न्यूरो-विकासात्मक स्थिति,
- सीखी जा सकने वाली अक्षमता,
- और सहयोग व प्रशिक्षण से सुधारी जा सकने योग्य स्थिति
के रूप में स्वीकार किया जाता है।
अब ध्यान इन क्षेत्रों पर है—
- प्रारंभिक हस्तक्षेप (Early Intervention)
- विशेष शिक्षा और समावेशी शिक्षा
- व्यवहार संशोधन
- व्यावसायिक प्रशिक्षण
- परिवार परामर्श
- सामाजिक एवं व्यावहारिक जीवन कौशल

बौद्धिक अक्षमता किसे कहते हैं?
किसी व्यक्ति को बौद्धिक अक्षमता तब कहा जाता है जब दो मुख्य क्षेत्रों में कठिनाइयाँ दिखें:
1. बौद्धिक कार्यक्षमता (Intellectual Functioning)
यह सीखने, तर्क करने, समस्याएँ हल करने, समझ विकसित करने और निर्णय लेने की क्षमता से संबंधित है।
IQ परीक्षण द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाता है।
- सामान्य व्यक्ति का IQ लगभग — 100
- बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्ति का IQ — 70 से कम
2. अनुकूली व्यवहार (Adaptive Behavior)
यह वे कौशल हैं जो दैनिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं। जैसे —
- संवाद करने की क्षमता
- सामाजिक व्यवहार
- स्वयं की देखभाल
- घर–समाज में व्यवहार
बच्चे की अनुकूली क्षमता की तुलना उसके ही उम्र के सामान्य बच्चों से की जाती है। जैसे—
क्या वह ख़ुद खाना खा सकता है?
क्या वह दूसरों से बात कर पाता है?
क्या वह निर्देशों को समझता है?
महत्वपूर्ण परिभाषाएँ
जे. डी. पेज (1976)
बौद्धिक अक्षमता वह अवस्था है जिसमें जन्म या बचपन के शुरुआती वर्षों से मानसिक विकास सामान्य स्तर से कम होता है, जिससे सीखने और सामाजिक व्यवहार दोनों में कमी दिखाई देती है।
ब्रिटिश मेंटल डेफिशियेंसी एक्ट
18 वर्ष से कम आयु में आनुवांशिक कारणों, बीमारी या चोट से मस्तिष्क का विकास रुक जाने अथवा सही रूप से न हो पाने की स्थिति को बौद्धिक अक्षमता कहा गया है।
क्रो एवं क्रो
जिन बच्चों का IQ 70 से कम पाया जाता है, उन्हें बौद्धिक अक्षमता की श्रेणी में रखा जाता है।
बच्चों में बौद्धिक अक्षमता के लक्षण
(Symptoms of Intellectual Disability in Children)
बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों में लक्षण अलग–अलग स्तर पर दिखाई देते हैं। कुछ संकेत जन्म के शुरुआती महीनों में दिख जाते हैं, जबकि कुछ तब स्पष्ट होते हैं जब बच्चा स्कूल जाने लगता है। सामान्यतः ये लक्षण चार क्षेत्रों में प्रकट होते हैं—विकास, भाषा, सीखने, सामाजिक–व्यवहार और दैनिक जीवन कौशल।
1. विकासात्मक (Developmental) लक्षण
यह वे संकेत हैं जो बच्चे की सामान्य वृद्धि और विकास में देरी को दर्शाते हैं।
(क) मोटर विकास में देरी
- देर से पलटना, बैठना या चलना
- सीढ़ियाँ चढ़ने, कूदने, पकड़ने जैसी गतिविधियों में कठिनाई
- हाथ–पैरों की हरकतें धीमी या कम समन्वित
- फाइन मोटर कौशल (जैसे–किताब पलटना, मोती पिरोना) में कमजोरी
(ख) शारीरिक संकेत (कुछ मामलों में)
- कम मांसपेशी टोन (Hypotonia)
- धीमी वृद्धि
- विशेष आनुवांशिक स्थितियों में चेहरे या शरीर के कुछ विशिष्ट लक्षण
2. भाषा और संचार संबंधी लक्षण (Speech & Communication)
भाषा विकास सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।
(क) भाषण विकास में देरी
- शब्द देर से बोलना
- वाक्य नहीं बना पाना
- स्पष्ट उच्चारण में कठिनाई
(ख) भाषा को समझने में कठिनाई
- निर्देशों को न समझ पाना
- जटिल वाक्यों का अर्थ न समझना
(ग) संप्रेषण कौशल में कमी
- अपनी बात स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में दिक्कत
- सीमित शब्दावली
- आँख से संपर्क कम बनाना
3. सीखने और संज्ञानात्मक क्षमताओं से जुड़े लक्षण (Learning & Cognitive Signs)
बौद्धिक अक्षमता का मुख्य प्रभाव बच्चे की सोचने और सीखने की प्रक्रिया पर पड़ता है।
(क) नई चीजें समझने की गति धीमी होना
- बार-बार समझाने पर भी बात याद न रहना
- अवधारणाओं (Concepts) को समझने में समय लगना
(ख) स्मृति संबंधी समस्याएँ
- याद किया हुआ जल्दी भूल जाना
- घटनाओं को क्रम में याद रखना मुश्किल
(ग) तर्क और समस्या–समाधान कौशल में कमी
- पैटर्न पहचानने में कठिनाई
- कारण–परिणाम (Cause-Effect) समझने में समस्या
- गणितीय सोच कमजोर
(घ) ध्यान की कमी
- एक कार्य पर लंबे समय तक ध्यान न लगा पाना
- आसानी से विचलित हो जाना
4. अनुकूली व्यवहार में समस्याएँ (Adaptive Behavior Difficulties)
दैनिक जीवन कौशलों में दिखने वाली कठिनाइयाँ—
(क) स्व-देखभाल कौशल (Self-Help Skills)
- खुद से खाना न खा पाना
- कपड़े पहनने–उतारने में कठिनाई
- टॉयलेट ट्रेनिंग में देरी
- नहाने, हाथ धोने जैसे कार्यों में सहायता की आवश्यकता
(ख) सामाजिक और व्यावहारिक कौशल
- साथियों के साथ घुलने-मिलने में समस्या
- उपयुक्त सामाजिक प्रतिक्रिया नहीं दे पाना
- अपने भाव (भावनाओं) को नियंत्रित न कर पाना
- नियमों का पालन करने में कठिनाई
(ग) सुरक्षा कौशलों की कमी
- खतरों की पहचान न कर पाना
- सड़क पार करना, गर्म चीज़ छूना जैसे जोखिम न समझ पाना
5. व्यवहार से संबंधित लक्षण (Behavioral Indicators)
(क) आवेगपूर्ण (Impulsive) या अनियंत्रित व्यवहार
- छोटी बात पर गुस्सा आना
- रोना, चिल्लाना, जमीन पर बैठ जाना
(ख) बार-बार दोहराने वाले व्यवहार (Repetitive Behavior)
- हाथ हिलाना, झूलना, उँगलियों को घुमाना आदि
(ग) सामाजिक संकेतों को न समझ पाना
- दूसरे की भावनाएँ, संकेत, या मज़ाक समझने में समस्या
(घ) नई दिनचर्या में समायोजन में कठिनाई
- बदलाव होने पर तनाव या चिड़चिड़ापन
- रूटीन बिगड़ने पर व्यवहार में नकारात्मक प्रतिक्रिया
6. शैक्षिक (Academic) लक्षण
(क) पढ़ने–लिखने में कठिनाई
- अक्षरों, शब्दों, संख्याओं को पहचानने में देरी
- धीमी सीखने की गति
(ख) कार्य पूरा करने में अधिक समय लगना
- असाइनमेंट या गृहकार्य पूरा करने में समस्या
(ग) बहु-चरणीय (Multi-step) कार्य न कर पाना
- जैसे—”पहले बैग रखो, फिर हाथ धोओ और फिर खाना खाओ”
7. गहन और गंभीर बौद्धिक अक्षमता में अतिरिक्त लक्षण
- बार–बार दौरे
- शारीरिक अक्षमताएँ
- सुनने या देखने की समस्याएँ
- न्यूरोलॉजिकल विकार
- पूर्ण देखभाल की आवश्यकता
सारांश (Summary Table)
| क्षेत्र | प्रमुख लक्षण |
|---|---|
| विकास | चलना–बोलना देर से, मोटर कौशलों में कमजोरी |
| भाषा | सीमित शब्दावली, निर्देश न समझना |
| संज्ञानात्मक | याददाश्त कमजोर, तर्क/समस्या समाधान में कमी |
| दैनिक जीवन | खाना, कपड़े पहनना, टॉयलेट ट्रेनिंग में कठिनाई |
| सामाजिक–व्यवहार | गुस्सा, अनुचित व्यवहार, दोस्ती में कठिनाई |
| स्वास्थ्य/शारीरिक | गंभीर मामलों में दौरे, मोटर समस्याएँ |
बौद्धिक अक्षमता के कारण
(Causes of Intellectual Disability)
1. आनुवांशिक कारण (Genetic Causes)
माता–पिता से प्राप्त दोषपूर्ण जीन या गुणसूत्रों में असामान्यता के कारण।
मुख्य उदाहरण
- डाउन सिंड्रोम – 21वें गुणसूत्र की अतिरिक्त प्रति
- फ्रैजाइल X सिंड्रोम (लड़कों में अधिक)
- क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम
- विलियम्स सिंड्रोम
- न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस
- जन्मजात हाइपोथायरायडिज़्म
- फेनिलकेटोनुरिया (PKU)
- प्रेडर–विली सिंड्रोम
आनुवांशिक कारणों में कई बार माता–पिता में कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन जीन दोष बच्चे में प्रकट हो जाता है।
2. जन्म से पूर्व कारण (Prenatal Causes)
गर्भावस्था के दौरान माँ या भ्रूण पर प्रभाव डालने वाली स्थितियाँ।
(क) गुणसूत्र व जीन संबंधी त्रुटियाँ
- आनुवांशिक सामग्री में बदलाव
- गुणसूत्रों की संख्या में गड़बड़ी (जैसे– ट्राइसॉमी 21)
(ख) गर्भावस्था के दौरान मातृ संक्रमण
पहले 3 महीनों में संक्रमण का जोखिम अधिक—
- रुबेला (German Measles)
- हर्पीज़
- सिफलिस
- टॉक्सोप्लाज़्मोसिस
- साइटोमेगेलो वायरस (CMV)
- टीबी
(ग) मातृ स्वास्थ्य समस्याएँ
- अनियंत्रित मधुमेह
- उच्च रक्तचाप
- थायराइड विकार
- गंभीर कुपोषण
- मिर्गी या बार–बार दौरे
(घ) हानिकारक पदार्थ / दवाएँ
- शराब, नशीले पदार्थ
- रेडिएशन (जैसे एक्स-रे, शुरुआती महीनों में)
- कैंसर उपचार की दवाएँ
- कुछ एंटी–कंवल्सेंट दवाएँ
(ङ) बाहरी चोटें या दुर्घटनाएँ
- गर्भवती महिला का गिरना
- पेट पर चोट
- अनियंत्रित उच्च बुखार
3. जन्म के समय के कारण (Perinatal Causes)
प्रसव की जटिलताएँ, अप्रत्याशित परिस्थितियाँ।
मुख्य कारण
- समय से पहले जन्म (Premature birth)
- बहुत कम जन्म वजन (2 किग्रा से कम)
- जन्म के बाद तुरंत साँस न लेना (Birth Asphyxia)
- प्रसव के दौरान सिर में चोट
- नाभिनाल का अधिक कस जाना
- कठिन या लंबा प्रसव
- नवजात में गंभीर पीलिया (Kernicterus)
जन्म के समय 4–5 मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन न मिले तो स्थायी क्षति हो सकती है।
4. जन्म के बाद के कारण (Postnatal Causes)
बच्चे के जन्म के बाद मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने वाली स्थितियाँ।
मुख्य कारण
- गंभीर कुपोषण (पहले 2 वर्षों में मस्तिष्क का तीव्र विकास होता है)
- मस्तिष्क संक्रमण –
- मेनिन्जाइटिस
- एन्सेफलाइटिस
- बार–बार दौरे पड़ना (अनियंत्रित एपिलेप्सी)
- सिर पर चोट, दुर्घटना
- लंबे समय तक अत्यधिक पीलिया
- विषाक्त पदार्थों का संपर्क (जैसे– लेड प्वाइजनिंग)
संक्षेप में चार प्रमुख श्रेणियाँ
| श्रेणी | मुख्य कारण |
|---|---|
| आनुवांशिक | जीन/गुणसूत्र दोष, डाउन सिंड्रोम, फ्रैजाइल X |
| जन्म से पूर्व | संक्रमण, कुपोषण, दवाएँ, रेडिएशन, मातृ बीमारियाँ |
| जन्म के समय | ऑक्सीजन की कमी, कम वजन, सिर की चोट |
| जन्म के बाद | संक्रमण, कुपोषण, दुर्घटना, दौरे |
बौद्धिक अक्षमता के प्रकार
बौद्धिक अक्षमता को मुख्य रूप से IQ (बुद्धिलब्धि), कार्यात्मक क्षमता, और सहायता की आवश्यकता के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. हल्की बौद्धिक अक्षमता (Mild Intellectual Disability)
IQ : 50–69
मुख्य विशेषताएँ
- सीखने की गति धीमी होती है, परंतु बच्चे बुनियादी पढ़ना–लिखना और गणित सीख लेते हैं।
- सरल निर्देशों को समझ सकते हैं।
- दैनिक कार्य—खाना, कपड़े पहनना, सफाई—थोड़ी सहायता से अच्छे से कर लेते हैं।
- सामाजिक कौशल (मित्रता, बातचीत) लगभग सामान्य होते हैं।
- वयस्कता में साधारण नौकरियाँ या स्वरोजगार कर सकते हैं।
शैक्षिक आवश्यकता
विशेष शिक्षा + रेमेडियल टीचिंग + जीवन कौशल प्रशिक्षण।
2. मध्यम बौद्धिक अक्षमता (Moderate Intellectual Disability)
IQ : 35–49
मुख्य विशेषताएँ
- पढ़ना–लिखना सीमित स्तर तक सीखते हैं।
- दैनिक जीवन कौशलों (Self-care) के लिए नियमित प्रशिक्षण की आवश्यकता।
- सामाजिक समझ सरल स्तर की होती है।
- पैसे, समय और संख्याओं जैसे अवधारणाओं की सीमित समझ।
- वयस्क होने पर संरक्षित वातावरण में हल्के–फुल्के कार्य कर सकते हैं।
शैक्षिक आवश्यकता
व्यावहारिक शिक्षा, कार्यात्मक शैक्षिक कार्यक्रम, सामाजिक कौशल।
3. गंभीर बौद्धिक अक्षमता (Severe Intellectual Disability)
IQ : 20–34
मुख्य विशेषताएँ
- सीखने की क्षमता बहुत सीमित।
- भाषा विकास काफी धीमा; 2–3 शब्दों या संकेतों से संवाद करते हैं।
- अधिकांश गतिविधियों के लिए निरंतर सहायता की आवश्यकता।
- मोटर कौशल कमजोर; चलने–फिरने में कठिनाई हो सकती है।
- सामाजिक और पर्यावरणीय समझ सीमित।
शैक्षिक आवश्यकता
संवेदी–आधारित शिक्षण, दैनिक जीवन कौशल, व्यवहार प्रशिक्षण, निरंतर निगरानी।
4. गहन बौद्धिक अक्षमता (Profound Intellectual Disability)
IQ : 20 से कम
मुख्य विशेषताएँ
- लगभग सभी गतिविधियों के लिए दूसरों पर निर्भर।
- भाषा अत्यंत सीमित; इशारों या ध्वनियों से संवाद।
- गंभीर शारीरिक/संवेदी विकार जुड़े हो सकते हैं जैसे—
दौरे, दृष्टि–श्रवण समस्याएँ, मोटर विकार। - लगातार देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता।
शैक्षिक आवश्यकता
गहन संवेदी उत्तेजना, चिकित्सीय हस्तक्षेप (थैरेपी), निरंतर देखभाल और परिवार समर्थन।
संक्षिप्त तालिका
| प्रकार | IQ सीमा | मुख्य विशेषताएँ |
|---|---|---|
| हल्की | 50–69 | बुनियादी शिक्षा, लगभग स्वतंत्र जीवन |
| मध्यम | 35–49 | सरल शिक्षा, दैनिक कार्यों में प्रशिक्षण आवश्यक |
| गंभीर | 20–34 | सीमित भाषा, निरंतर सहायता |
| गहन | <20 | पूर्ण निर्भरता, गंभीर चिकित्सीय समस्याएँ |

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