मानव अधिगम और बुद्धिमत्ता
परिचय
मानव अधिगम एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें ज्ञान, कौशल, और व्यवहारों को प्राप्त किया जाता है। यह मानव विकास का एक मौलिक पहलू है और व्यक्तियों के आस-पास की दुनिया के समझ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस इकाई में, हम मानव अधिगम और बुद्धिमत्ता के अर्थ और परिभाषा, विभिन्न अधिगम सिद्धांत, बुद्धिमत्ता के सिद्धांत, रचनात्मकता, और कक्षा शिक्षण और अधिगम के लिए इनके परिणामों का अन्वेषण करेंगे।
1. मानव अधिगम
1.1 मानव अधिगम का अर्थ
मानव अधिगम को उन्नति, ज्ञान, व्यवहार, कौशल, मूल्य, धारणाएं, और पसंदों की प्राप्ति की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह जन्म से शुरू होता है और व्यक्ति के जीवन के समाप्ति तक चलता है।
1.2 मानव अधिगम की परिभाषा
मानव अधिगम को नये समझ, ज्ञान, व्यवहार, कौशल, मूल्य, धारणाएं, और पसंदों की प्राप्ति की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें ज्ञान के बीच ज्ञान के बीच और पर्यावरणीय कारकों के बीच अंतरक्रिया होती है।
2. अधिगम सिद्धांत
2.1 व्यवहारवाद
2.1.1 पावलोव सिद्धांत
पावलोव का क्लासिकल कंडीशनिंग का सिद्धांत यह कहता है कि एक प्रतिक्रिया एक प्रेरक द्वारा प्रेरित होती है। उन्होंने कुत्तों के साथ प्रयोग किए, जहां उन्होंने उन्हें घंटी की आवाज पर भूख आना सीखाया।
2.1.2 थॉर्डाइक सिद्धांत
थॉर्डाइक का प्रभाव के कानून का सिद्धांत यह कहता है कि एक प्रतिक्रिया जो एक संतोषजनक प्रभाव के साथ अनुयायी जाती है, वह मजबूत हो जाती है। उन्होंने उपकरणीय अधिगम के निर्माण का अवधारणा दिया, जहां व्यवहार उसके परिणामों से प्रभावित होता है।
2.1.3 स्किनर सिद्धांत
स्किनर का ऑपरेंट कंडीशनिंग के सिद्धांत यह कहता है कि व्यवहार को प्रोत्साहन या दंड के जरिए बनाया जाता है। उन्होंने प्रोत्साहन अनु
सूचियों का अवधारणा प्रस्तुत की, जो प्रोत्साहन की आवधिकता और समयबद्धता का निर्धारण करती है।
2.2 बौद्धिकवाद
2.2.1 पियाजे का सिद्धांत
पियाजे का बौद्धिक विकास का सिद्धांत उनके द्वारा वर्णित किए गए बौद्धिक विकास के चरणों को समावेश करता है, जिसमें संवेदनात्मक, पूर्वाचार, साकार ऑपरेशनल, और सार्वत्रिक ऑपरेशनल चरण शामिल हैं। उन्होंने स्कीमा विकास और समाकरण और अनुकुलन प्रक्रियाओं की महत्वपूर्णता को जोर दिया।
2.2.2 ब्रूनर सिद्धांत
ब्रूनर का निर्माणवादी सिद्धांत में व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी की महत्वपूर्णता को जोर दिया गया। उन्होंने स्कैफफोल्डिंग का अवधारणा प्रस्तुत किया, जिसमें शिक्षक समर्थन प्रदान करते हैं ताकि छात्र नए अवधारणाओं को सीख सकें।
2.3 सामाजिक निर्माणवाद
2.3.1 वायगोत्स्की का सिद्धांत
वायगोत्स्की का अंतरिक्ष क्षेत्र विकास का सिद्धांत यह कहता है कि शिक्षा सामाजिक अंतरक्रिया के माध्यम से होती है। उन्होंने सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में बुद्धिमत्ता विकास की महत्वपूर्णता पर जोर दिया।
2.3.2 बैंडुरा सिद्धांत
बैंडुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत यह कहता है कि व्यक्तियों को देखकर और उनके व्यवहार के परिणामों को देखकर सीखने की प्रक्रिया होती है। उन्होंने स्व-प्रभाव की अवधारणा प्रस्तुत की, जो व्यक्तियों के अपने क्षमता के बारे में विश्वास की भूमिका निर्धारित करती है।
3. बुद्धिमत्ता
3.1 बुद्धिमत्ता की परिभाषा
बुद्धिमत्ता को ज्ञान प्राप्त, समझने, और लागू करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह तर्क, समझने, और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता को शामिल करता है।
3.2 बुद्धिमत्ता के सिद्धांत
3.2.1 दो कारक सिद्धांत
बुद्धिमत्ता का दो कारक सिद्धांत कहता है कि बुद्धिमत्ता में एक सामान्य ज्ञान क्षमता (जी-कारक) और विशेष क्षमताएं (एस-कारक) शामिल हैं। इससे सिद्ध होता है कि व्यक्तियों के पास सामान्य कोग्निटिव क्षमता होती है जो सभी बौद्धिक कार्यों की अधिभूत तत्व है, साथ ही कुछ विशेष क्षमताएं होती हैं जो किसी विशेष कार्य के लिए विशेष हैं।
3.2.2 बहुकारक सिद्धांत
बहुकारक सिद्धांत यह कहता है कि बुद्धिमत्ता को कई कारकों से प्रभावित किया जाता है, जिसमें जैविक, पर्यावरणीय, और अनुभवात्मक कारक शामिल हैं। यह सिद्ध करता है कि बुद्धिमत्ता एक जटिल गुण है जिसे जेनेटिक और पर्यावरणीय प्रभावों के संयोजन से आकार दिया जाता है।
3.2.3 त्रैतीक सिद्धांत (रॉबर्ट स्टर्नबर्ग)
स्टर्नबर्ग का त्रैतीक बुद्धिमत्ता सिद्धांत यह कहता है कि बुद्धिमत्ता तीन पहलुओं से मिलकर बनी होती है: विश्लेषणात्मक बुद्धिमत्ता, रचनात्मक बुद्धिमत्ता, और व्यावहारिक बुद्धिमत्ता। विश्लेषणात्मक बुद्धिमत्ता जानकारी का विश्लेषण और मूल्यांकन करने की क्षमता है। रचनात्मक बुद्धिमत्ता नए और उपयोगी विचार उत्पन्न करने की क्षमता है। व्यावहारिक बुद्धिमत्ता विभिन्न वातावरणों में अनुकूलता और व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है।
4. रचनात्मकता
4.1 रचनात्मकता का अर्थ
रचनात्मकता को नये और उपयोगी विचार उत्पन्न करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें बाहर सोचने और समस्याओं के लिए नवाचारी समाधान बनाने की क्षमता शामिल है।
4.2 रचनात्मकता की परिभाषा
रचनात्मकता को नया (मौलिक, अप्रत्याशित) और उपयुक्त (उपयोगी, अनुकूल) काम उत्पन्न करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें नई और उपयोगी विचारों को उत्पन्न करने की क्षमता शामिल है।
4.3 रचनात्मकता की विशेषताएँ
रचनात्मकता की कई मुख्य विशेषताएँ हैं, जिनमें मौलिकता, फ्लूएन्सी, लचीलापन, और विस्तारण शामिल हैं। मौलिकता विचारों की नवाचारिकता को संकेत करती है। फ्लूएन्सी एक बड़ी संख्या में विचारों का उत्पन्न करने की क्षमता है। लचीलापन एक विभिन्न विचारों की उत्पत्ति करने की क्षमता है। विस्तारण विचारों को विस्तार से विकसित करने की क्षमता है।
5. कक्षा शिक्षण और अधिगम के लिए परिणाम
5.1 व्यवहारवाद
व्यवहारवाद को व्यवहार को आकार देने के लिए संचालन और दंड का उपयोग करने का जोर दिया जाता है। कक्षा में, व्यवहारवाद यह सुझाव देता है कि शिक्षकों को वांछित व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए सकारात्मक प्रोत्साहन का उपयोग करना चाहिए और अवांछित व्यवहार को नकारने के लिए नकारात्मक प्रोत्साहन का उपयोग करना चाहिए।
5.2 बौद्धिकवाद
बौद्धिकवाद छात्रों के द्वारा सूचना को प्रसंगिक करने और उनके मौजूदा ज्ञान के साथ नई सूचना को संगठित करने में कैसे मदद करता है उसे समझने पर केंद्रित होता है। कक्षा में, बौद्धिकवाद यह सुझाव देता है कि शिक्षकों को ऐसी शिक्षण पद्धतियाँ उपयोग करनी चाहिए जो छात्रों को नई सूचना को संगठित करने और उसे उनके मौजूदा ज्ञान के साथ जोड़ने में मदद करें।
5.3 सामाजिक निर्माणवाद
सामाजिक निर्माणवाद अधिगम में सामाजिक अंतरक्रिया और सहयोग की महत्वपूर्णता को जोर देता है। कक्षा में, सामाजिक निर्माणवाद यह सुझाव देता है कि शिक्षकों को छात्रों को मिलकर काम करने और सहयोगी अधिगम गतिविधियों में शामिल होने के अवसर प्रदान करना चाहिए।
5.4 बुद्धिमत्ता के सिद्धांत
बुद्धिमत्ता के सिद्धांत विभिन्न शिक्षण शैलियों की आवश्यकता को जोर देते हैं ताकि विभिन्न शैलियों और क्षमताओं की व्यापक आवश्यकताओं को संतुलित किया जा सके। कक्षा में, बुद्धिमत्ता के सिद्धांत यह सुझाव देते हैं कि शिक्षकों को अपने छात्रों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न शिक्षण शैलियों का उपयोग करना चाहिए।
5.5 रचनात्मकता
रचनात्मकता शिक्षकों को उत्कृष्ट सोचने और अभिव्यक्ति करने के लिए समर्थन करने के लिए एक समर्थनशील वातावरण बनाने की प्रोत्साहना करती है। कक्षा में, रचनात्मकता यह सुझाव देती है कि शिक्षकों को छात्रों को नए विचारों का अन्वेषण करने और उनके अध्ययन में जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
निष्कर्षण
समापन में, मानव अधिगम एक जटिल और बहुपहलु वाली प्रक्रिया है जिसमें नए समझ, ज्ञान, व्यवहार, कौशल, मूल्य, धारणाएं, और पसंद प्राप्त किए जाते हैं। विभिन्न शिक्षण सिद्धांतों, बुद्धिमत्ता के सिद्धांतों, और रचनात्मकता को समझना शिक्षाविदों को प्रभावी शिक्षण पद्धतियाँ डिज़ाइन करने में मदद कर सकता है जो उनके छात्रों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करती है। इन सिद्धांतों को अपने शिक्षण अभिकल्पों में शामिल करके, शिक्षाविद एक और आकर्षक और समर्थनशील अधिगम वातावरण बना सकते हैं जो छात्र सफलता को प्रोत्साहित करता है।
यहाँ दिया गया आलेख शिक्षा और अधिगम के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद कर सकता है। यह सिखाने और सीखने की प्रक्रिया में वृद्धि करने में सहायक हो सकता है।
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